केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के कलोल में प्राकृतिक कृषि का लोगो, एफपीओ के माध्यम से कृषि उपज की बिक्री के लिए प्राकृतिक गुजरात मोबाइल एप्प और कृषि उपज की बिक्री के लिए ई-व्हीकल लॉन्च किया। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी और गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन की शुरूआत केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के आज़ाद होने के बाद आबादी बढ़ती गई लेकिन सिंचाई और वैज्ञानिक कृषि का अभाव रहा और इसी के कारण देश के सामने बहुत बड़ा संकट आया कि देश अनाज के मामले में आत्मनिर्भर नहीं था। दुनिया के बड़े बड़े देश खराब गुणवत्ता के गेहूं और चावल देने के लिए शर्तें रखते थे। इसी कारण भारत में हरित क्रांति शुरू हुई और इसके आरंभ से ही रासायनिक खाद का उपयोग शुरु हुआ और देश आत्मनिर्भर हो गया। लेकिन हर दस साल में हर समाज को अपनी पद्धतियों की समीक्षा करनी चाहिए कि हमारी जरूरतें बदली हैं या नहीं, ज़रूरतें पूरी करने के कोई खराब परिणाम तो नहीं मिल रहे, इस प्रकार का स्वमूल्यांकन करना चाहिए। ऐसा देखने में आया कि भारत में रासायनिक खाद के अधिक उपयोग के कारण ज़मीन बंजर होती जा रही है और केमिकल्स के ज्यादा उपयोग से भूमिगत जलस्त्रोत भी दूषित होने शुरू हो गए। इस संकट को पहचानने का काम सबसे पहले देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया। उन्होंने ऐसे विकल्प ढूंढने की शुरूआत की जिनसे रासायनिक खाद का उपयोग बंद हो, कृषि की पैदावर भी अधिक हो, पानी की ज़रूरत कम हो और किसान समृद्ध बनें। यह चारों चीज़ें इकट्ठा होने पर ही हम एक नई हरित क्रांति की शुरुआत कर सकते हैं, जो प्राकृतिक कृषि से सृजित हो और आने वाले कई सालों तक भूमि को खराब करने की बजाय भूमि का संरक्षण और संवर्धन करे और ऐसा करने का एकमात्र मार्ग प्राकृतिक कृषि ही है।
श्री अमित शाह ने कहा कि देश के वैज्ञानिकों ने ये प्रमाणित किया है कि प्राकृतिक कृषि भूमि को ख़राब होने से बचाती है, इससे अनाज, फल, दाल, तेल, गेहूं आदि में रासायनिक पदार्थ की मात्रा कम होती है, हमारा स्वास्थ्य अच्छा होता है, कृषि की पैदावर बढ़ती है, किसान की समृद्धि बढ़ती है, पानी का उपयोग कम होता है और भूमि उर्वरक बनती है। आचार्य देवव्रत जी के नेतृत्व में ये अभियान शुरू करना तय हुआ था। आचार्य देवव्रत जी हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बने और वहां उन्होंने किसानों तक यह प्रयोग पहुंचाना शुरू किया। इसके बाद जो अनुभव हुए, उस पर उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से चर्चा की। जब वे गुजरात के राज्यपाल बने तो उन्होंने यहां भी इस अभियान की शुरूआत की। कोरोनाकाल के दौरान भी उन्होंने दो लाख से अधिक किसानों में और ढाई लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि योग्य भूमि पर इसकी शुरूआत की। इतने बड़े पैमाने पर भूमि की कृषि पद्धति बदलने में कई दशक लग जाते हैं, लेकिन यहां सिर्फ दो साल में यह परिवर्तन आया, जिसका मतलब है कि गुजरात के किसानों ने इसके लाभ को पहचाना, स्वीकारा और अपने साथियों को भी इसके लिए प्रेरित किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस पूरे अभियान को देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 16 दिसंबर के दिन पूरे देश के आठ करोड़ किसानों के सामने रखा था और उन्होंने यह बात बहुत आसानी से समझ ली। कई किसानों ने अपनी कृषि पद्धति को बदलना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री जी ने यह भी बताया कि अगर आपके पास 10 एकड़ भूमि है, तो दो एकड़ से शुरुआत करिए और बाद में और दो एकड़ बढ़ाइए, लेकिन इसकी शुरूआत करनी ही होगी। अगर अन्नदाता ही भविष्य, पृथ्वी और देश के बारे में नहीं सोचेगा तो हम भयानक संकट की ओर बढ़ जायेंगे। उन्होंने कहा कि गुजरात में भूमिगत जलस्तर 1000 से 1200 फीट नीचे चला गया है और हम आज आनेवाली सात पीढ़ियों का पानी पी रहे हैं, हमें इस बात के प्रति जागरुक होना चाहिए और इसके चलते नई पद्धति को सीखने और स्वीकारने की उत्सुकता भी बढ़ानी होगी। मैंने गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र के सांसद के तौर पर तय किया है कि यहां कम से कम 50 प्रतिशत किसान प्राकृतिक कृषि को स्वीकार करें और इस दिशा में कार्यरत होना मेरा फर्ज है।
श्री अमित शाह ने कहा कि भारत के लिए प्राकृतिक कृषि की शुरूआत आज एक ज़रूरत है और भारत की प्राकृतिक कृषि की ज़रूरत को पूरे विश्व को स्वीकारना ही पड़ेगा। पूरे विश्व को गाय के महत्व को स्वीकारना होगा। हमारे पूर्वजों ने गाय को माता का दर्जा ऐसे ही नहीं दिया था। गाय के महत्व को, गौमूत्र में और गोबर में करोड़ों जीवाणु, बेक्टेरिया हैं, उनके महत्व को स्वीकारना ही होगा। पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग – इन दो विषयों पर भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मार्गदर्शक बन रहे हैं और मुझे पूरा यकीन है कि प्राकृतिक कृषि की भारत में शुरूआत पूरे विश्व को दिशा देनेवाली होगी और इसकी शुरूआत भारत में गुजरात के अलावा कौन कर सकता है। गुजरात ने इस देश में अऩेक तरह के नये प्रयोग किए हैं फिर चाहे वो औद्योगिक क्षेत्र हो, आदिवासी कल्याण हो, ग्रामीण विकास हो या शहरी विकास हो। प्रयोगों के जनक के तौर पर गुजरात ने हमेशा भूमिका निभाई है। गुजरात अपने प्रयोगों के माध्यम से पूरे देश और देश के माध्यम से पूरे विश्व में कृषि परिवर्तन की शुरुआत करे, ऐसा संकल्प हम सभी को करना चाहिए।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने लगातार दस सालों तक 10 प्रतिशत की दर से राज्य में कृषि का विकास किया था। वे कई परिवर्तन लाए, जैसे, माइक्रो इरीगेशन, टपक पद्धति, फव्वारा पद्धति, सिंचाई में पानी की बचत, किसानों के घर तक राज्य सरकार की सहायता पहुंचाने के लिए कृषि महोत्सव का आयोजन, भूमि परीक्षण की शुरुआत, भूमि परीक्षण के माध्यम से रासायनिक खाद के उपयोग को सीमित करना। पूरे देश में सिर्फ गुजरात में 10 प्रतिशत कृषि विकास दर लगातार 10 साल तक रही। अब ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम प्राकृतिक कृषि के प्रयोग को सफल बनाएं और इसका सूत्रधार और दूत बनने की जिम्मेदारी गुजरात के किसानों की है।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्राकृतिक कृषि के कई लाभ हैं, जिनका अगर हम प्रचार-प्रसार नहीं करेंगे तो हम अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाएंगे। प्राकृतिक कृषि से उत्पादन बढ़ने से किसान की आय तो बढ़ेगी ही, प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग पूरे भारत और विश्व में भी बेहद है। किसान के उत्पादों का अधिक से अधिक बाज़ार मूल्य मिले, ऐसी व्यवस्था भी गुजरात को करनी चाहिए और अगर ऐसा होता है तो प्राकृतिक कृषि अपनाने वाले किसानों की संख्या कई गुना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल ने पहल की है और अब पूरे देश में प्राकृतिक कृषि और इसकी उपज की बिक्री की यह सबसे पहली शुरुआत होने जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय ने अमूल को एक प्रोजेक्ट दिया है, जिसके तहत जहां जहां प्राकृतिक कृषि करने वाले किसानों की संख्या बढ़ेगी, वहां अमूल अपनी लेबोरेटरी स्थापित करेगा जिसमें वो किसानों की भूमि और उनकी पैदावर को प्रमाणित करने अमूल ब्रान्ड के साथ उपजों की मार्केटिंग की चेन स्थापित करेगी।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि किसान को प्राकृतिक कृषि के गेहूं एमएसपी पर बेचने की नौबत नहीं आयेगी, क्योंकि भारत के और विश्व के बाज़ार में प्राकृतिक कृषि द्वारा उगाए गए गेहूं को एमएसपी से दोगुना भाव मिलेगा और फलों की कीमत भी बढ़ेगी। अगर आपने प्राकृतिक कृषि के तहत गन्ना बोया है, तो उससे बने गुड़ की कीमत भी बढ़ेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि इस दिशा में हम सफल होंगे और इससे प्राकृतिक कृषि का प्रचार – प्रसार अपने आप होगा। किसान की आय बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा और अच्छे दाम मिलेंगे तो प्राकृतिक कृषि की ओर नहीं जाने का कोई कारण ही नहीं बचेगा। केन्द्रीय गृह मंत्री ने इस अवसर पर समारोह में सभी उपस्थित डीडीओ, कलेक्टर्स और कृषि क्षेत्र से जुडे सभी अधिकारियों से अनुरोध किया कि वर्ष 2022 पूरा होने से पहले हर गांव में 15 किसानों को प्राकृतिक कृषि की ओर ले आने का लक्ष्य रखें और चारों तालुकाओं में हुई प्राकृतिक कृषि की उपज की बिक्री के लिए एफपीओ की रचना करके अहमदाबाद और गांधीनगर के ग्राहकों तक उत्पाद पहुंचाने की व्यवस्था करें। उन्होंने कहा कि ऐसा करने पर किसानों की आय दोगुना करने का प्रधानमंत्री जी का स्वप्न वर्ष 2022 से पहले ही पूरा हो जायेगा। श्री शाह ने कहा कि जिस प्रकार हमारे पूर्वजों ने देश को समृद्ध बनाया था, उसी दिशा में हमें फिर बेक-टु-बेसिक्स जाना है, जिससे पूरे विश्व का कल्याण होगा।
श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सपना देखा है कि पूरा भारत प्राकृतिक कृषि अपनाए और पूरा विश्व भी यह संदेश स्वीकार करके प्राकृतिक कृषि की ओर बढ़े। डायबिटिज़, रक्तचाप, कैंसर जैसी कई बीमारियां हैं जिनके पीछे मूल कारण रासायनिक कृषि है। प्राकृतिक कृषि से दवाईयों की ज़रूरत कम होगी, आय बढ़ेगी, उत्पादकता बढ़ेगी, भूमि का संरक्षण-संवर्धन होगा, जलस्तर बढ़ेगा और एक निरोगी विश्व की शुरुआत होगी।
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