आजादी का अमृत महोत्सव के तहत चल रहे समारोह के एक भाग के रूप में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री श्री महेंद्र नाथ पांडेय ने आज यहां भारत का पहला बीएचईएल निर्मित कोयले से मेथनॉल (सीटीएम) पायलट संयंत्र देश को समर्पित किया। वर्चुअल रूप में आयोजित समारोह में भेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. नलिन सिंघल, भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री जितेंद्र सिंह, भेल बोर्ड में कार्यात्मक निदेशक एवं भारी उद्योग मंत्रालय और भेल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
डॉ. पांडेय ने भेल की हैदराबाद इकाई में आयोजित “आत्मनिर्भर भारत के तहत विकसित उत्पाद” पर एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। इसके अलावा, तेलंगाना क्षेत्र से संबंधित “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों” पर ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति दी गई। वर्चुअल मोड के माध्यम से भेल के कर्मचारी देश भर के विभिन्न स्थानों से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने ऑनलाइन कार्यक्रम में हिस्सा लिया, वहीं कार्यक्रम का सीधा प्रसारण भी किया गया। बड़ी संख्या में भेल के कर्मियों ने प्रसारण मोड के माध्यम से कार्यक्रम को देखा।
इस अवसर पर डॉ. पांडेय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण का महत्वपूर्ण लक्ष्य आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण करना है। इस परिकल्पना को साकार करने में विनिर्माण क्षेत्र की भूमिका अहम होगी। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार पहले ही विनिर्माण क्षेत्र के महत्व को स्पष्ट कर चुकी है। भारी उद्योग विनिर्माण क्षेत्र की रीढ़ है। यह उपयोग करने वाले उद्योगों के व्यापक समूह को मशीनरी और उपकरण जैसे महत्वपूर्ण सहयोग देता है।
सबसे बड़ा इंजीनियरिंग और विनिर्माण उद्यम होने के नाते सरकार के सपने को पूरा करने में भेल की भूमिका विशेष महत्व रखती है। जैसा कि हाल ही में संपन्न सीओपी 26 की बैठक में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी उस दिशा में भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में तथा आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भेल को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
भेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. नलिन सिंघल ने “आजादी का अमृत महोत्सव के प्रतिष्ठित सप्ताह” समारोह के दौरान भेल द्वारा की गई पहलों पर विस्तार से जानकारी देते हुए भेल को लगातार सहयोग देने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय और सरकार को धन्यवाद दिया। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) हमेशा भेल की प्रमुख शक्तियों में से एक रहा है और भेल, संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी26) में प्रधानमंत्री के “पंचामृत” दृष्टिकोण की प्राप्ति के लिए नेतृत्व की भूमिका निभाने पर विशेष ध्यान दे रहा है।
विशेष कर भेल द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और स्थापित 0.25 टीपीडी क्षमता का सीटीएम पायलट संयंत्र वर्तमान में राख की उच्च मात्रा वाले भारतीय कोयले से 99 प्रतिशत से अधिक शुद्धता के साथ मेथनॉल का उत्पादन कर रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि गैसीकरण या वातीयन प्रक्रिया से उच्च राख वाले भारतीय कोयले का मेथनॉल में रूपांतरण भारत में अपनी तरह का पहला तकनीकी प्रदर्शन है।
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