कांग्रेस में शामिल होने के बाद मौलाना तौकीर रजा की हिन्दू विरोधी सोच में बदलाव होना चाहिए।
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कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने 18 जनवरी को अपने ट्विटर हैंडल पर एक फोटो पोस्ट किया। इस फोटो में उत्तर प्रदेश के मुस्लिम नेता मौलाना तौकीर रजा भी दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस को समर्थन देने पर प्रियंका ने तौकीर रजा का शुक्रिया किया है। कांग्रेस को लगता है कि तौकीर रजा के साथ आ जाने से उत्तर प्रदेश के चुनाव में पार्टी की स्थिति मजबूत होगी। सब जानते हैं कि मुस्लिम सियासत में मौलाना रजा की पहचान एक कट्टरपंथी नेता की हे। हिन्दुओं के विरोध में मौलाना रजा का एक वीडियो भी वायरल हो चुका है। लेकिन अब जब मौलाना रजा के समर्थन मं आ गए हैं तो उम्मीद की जानी चाहिए कि उनकी सोच में भी बदलाव आएगा। अब यदि उनके मुस्लिम जवानों के पास व्यवस्था की कमान आएगी तो हिन्दुओं को भी हिंदुस्तान में रहने की जगह मिलेगी। मौलाना तौकीर रजा की मदद से यदि कांग्रेस उत्तर प्रदेश और देश में सरकार बनाती है तो मौलाना रजा खून की नदियां भी बहाएंगे। हिन्दुओं को लेकर उनके मेन में जो घृणा और नफरत है, वह भी समाप्ति हो जाएगी। मौलाना तौकीर रजा और उनकी पार्टी इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल के कार्यकर्ता भी कट्टर सोच को छोड़कर धर्मनिरपेक्षता की बात करेंगे। प्रियंका गांधी और उनके भाई राहुल गांधी स्वयं को हिन्दू बता रहे हैं तथा गंगा घाट से लेकर मंदिरों तक में पूजा अर्चना कर रहे हैं। गांधी परिवार के सदस्यों के साथ कुछ वक्त बिताने का असर मौलाना तौकीर रजा पर पड़ेगा ही। प्रियंका गांधी ने भी सोच समझ कर आला हजरत बरेली शरीफ के मौलाना तौकीर रजा साहब का समर्थन हासिल किया होगा। समर्थन लेने से पहले प्रियंका गांधी ने उनकी पार्टी इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल की सोच के बारे में जानकारी हासिल की होगी। प्रियंका गांधी कभी नहीं चाहेंगी कि हिन्दुस्तान में हिन्दुओं को रहने की जगह भी नहीं मिले। प्रियंका गांधी हिन्दुस्तान में खून की नदियां भी बहाना नहीं चाहेंगी। प्रियंका गांधी को इस बात का भी पता होगा कि मौलाना तौकीर रजा ने पहले समाजवादी पार्टी से गठबंधन की इच्छा जताई थी, लेकिन अखिलेश द्वारा इंकार कर दिए जाने के बाद तौकीर रजा ने कांग्रेस को समर्थन देने का निर्णय लिया। यानी यदि अखिलेश यादव गले लगा लेते तो मौलाना तौकीर रजा प्रियंका गांधी के साथ खड़े नजर नहीं आते। कांग्रेस किस कट्टरपंथी नेता को गले लगाए यह प्रियंका और राहुल गांधी पर निर्भर करता है, लेकिन यह उम्मीद की जानी चाहिए कि जिन कट्टरपंथियों को कांग्रेस गले लगा रही है वे कांग्रेस में आने के बाद धर्मनिरपेक्षता की सोच दिखाएंगे।