प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद जगन्नाथ ने संयुक्त रूप से मॉरीशस में सामाजिक आवास इकाई परियोजना का उद्घाटन किया और वर्चुअल माध्यम से मॉरीशस में सिविल सर्विस कॉलेज एवं 8 मेगावाट की सौर पीवी फार्म परियोजना की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने आज संयुक्त रूप से मॉरीशस में सामाजिक आवास इकाई परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना को भारत और मॉरीशस के बीच जीवंत विकास साझेदारी के तहत कार्यान्वित किया गया है। इस अवसर पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रि‍यों ने दो अन्‍य परियोजनाओं के वर्चुअल शिलान्‍यास समारोह में भी भाग लिया जिनमें एक अत्‍याधुनिक सिविल सर्विस कॉलेज और 8 मेगावाट के एक सौर पीवी फार्म का निर्माण शामिल है। इनका निर्माण भी भारत के विकास सहयोग के तहत किया जाना है। यह आयोजन वीडियो-कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से किया गया। मॉरीशस में यह कार्यक्रम मॉरीशस के पीएमओ परिसर में कैबिनेट मंत्रियों और मॉरीशस सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों सहित गणमान्यजनों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। 

इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की विकास सहायता को रेखांकित करने वाले विजन पर प्रकाश डाला जो हमारे मित्र देशों की जरूरतों एवं प्राथमिकताओं का ख्‍याल रखने और उनकी संप्रभुता का सम्मान करने के साथ-साथ लोगों की खुशहाली बढ़ाने और उनकी क्षमताओं को मजबूत करने पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र निर्माण में सिविल सर्विस कॉलेज परियोजना के विशेष महत्व को रेखांकित किया और मिशन कर्मयोगी से जुड़ी सीख को साझा करने की पेशकश की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ‘वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (ओएसओडब्‍ल्‍यूओजी)’ पहल को स्‍मरण किया जिसे उन्होंने अक्टूबर 2018 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की पहली सभा में सामने रखा था। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि 8 मेगावाट की सौर पीवी फार्म परियोजना 13,000 टन कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को सफलतापूर्वक टाल करके मॉरीशस के सामने आने वाली जलवायु चुनौतियों को कम करने में मदद करेगी।

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अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री प्रविंद जगन्नाथ ने मॉरीशस को वित्तीय सहायता समेत बड़े पैमाने पर सहायता प्रदान करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत और मॉरीशस के संबंधों ने नई ऊंचाइयों को हासिल किया है।               

भारत सरकार ने मई, 2016 में मॉरीशस सरकार को विशेष आर्थिक पैकेज (एसईपी) के रूप में 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान दिया था, ताकि मॉरीशस सरकार द्वारा पहचान की गई पांच प्राथमिकता वाली परियोजनाओं को पूरा किया जा सके। ये परियोजनाएं थी: मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना, सुप्रीम कोर्ट भवन, नया ईएनटी अस्पताल, प्राथमिक स्कूल के बच्चों को डिजिटल टैबलेट की आपूर्ति और सामाजिक आवास परियोजना। आज सामाजिक आवास परियोजना के उद्घाटन के साथ, एसईपी के तहत सभी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को लागू किया जा चुका है।

मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद जगन्नाथ की भारत यात्रा के दौरान 2017 में हुए समझौता ज्ञापन के तहत रेडुइट में स्थित सिविल सर्विस कॉलेज परियोजना को 4.74 मिलियन डॉलर की अनुदान सहायता के माध्यम से वित्तपोषित किया जा रहा है। निर्माण के बाद, यह मॉरीशस के अधिकारियों को विभिन्न प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करने के लिए पूरी तरह से तैयार और कार्य करने की सुविधा प्रदान करेगा। यह भारत के साथ संस्थागत संबंधों को और मजबूत बनाएगा।

8 मेगावाट सौर पीवी फार्म परियोजना के तहत सालाना लगभग 14 जीडब्ल्यूएच हरित ऊर्जा के उत्पादन के लिए 25,000 पीवी सेल की स्थापना की गयी है। इस परियोजना से लगभग 10,000 मॉरीशस परिवारों को बिजली की आपूर्ति की जायेगी तथा इससे हर साल 13,000 टन कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन में कमी आयेगी। इससे मॉरीशस को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलेगी।

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आज के इस समारोह में दो प्रमुख द्विपक्षीय समझौतों का आदान-प्रदान शामिल था: मेट्रो एक्सप्रेस एवं बुनियादी ढांचे से संबंधित अन्य परियोजनाओं के लिए भारत सरकार की ओर से 190 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता (लाइन ऑफ क्रेडिट) प्रदान करने संबंधी समझौता और लघु विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन से जुड़ा समझौता ज्ञापन।

कोविड-19 द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत-मॉरीशस विकास साझेदारी परियोजनाओं में तेजी से प्रगति हुई है। वर्ष 2019 में, प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री जगन्नाथ ने संयुक्त रूप से मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना और मॉरीशस में नए ईएनटी अस्पताल का वर्चुअल मोड में उद्घाटन किया था। इसी प्रकार, जुलाई 2020 में मॉरीशस के सुप्रीम कोर्ट के नए भवन का भी दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया गया था।

भारत और मॉरीशस के बीच साझा इतिहास, वंशावली, संस्कृति और भाषा के माध्यम से घनिष्ठ संबंध हैं। यह संबंध हमारे दोनों देशों के बीच विशेषाधिकार प्राप्त विकास साझेदारी में परिलक्षित होता है। मॉरीशस हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का एक प्रमुख विकास साझीदार है। आज का यह कार्यक्रम ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ की भावना के अनुरूप इस सफल और समय की कसौटी पर खरी उतरी साझेदारी में एक और मील का पत्थर है।

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