कृषि, पशुपालन और डेयरी उत्पादों को वैश्विक बाजार में जगह दिलाने के लिए बने प्रभावी नीति- राज्यपाल

कृषि विवि जोधपुर और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर के विभिन्न भवनों का लोकार्पण एवं शिलान्यास
कृषि, पशुपालन और डेयरी उत्पादों को वैश्विक बाजार में जगह दिलाने
के लिए बने प्रभावी नीति- राज्यपाल
कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र के विकास के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध, इस सम्बंध में
लिए महत्वपूर्ण निर्णय-मुख्यमंत्री
जयपुर, 10 जून। राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने प्रदेश में कृषि, पशुपालन और डेयरी उत्पादों के लिए प्रभावी विपणन नीति बनाने पर बल दिया है ,ताकि ये उत्पाद वैश्विक बाजार में अपनी जगह बना सकें। राज्यपाल श्री मिश्र ने कृषि और पशुपालन को राज्य के विकास का मुख्य आधार बताते हुए कहा कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हुए आधुनिक विकास का लाभ किसान और पशुपालकों को मिलना चाहिए।
राज्यपाल श्री मिश्र गुरुवार को यहां राजभवन से कृषि विवि जोधपुर और पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर के विभिन्न भवनों का लोकार्पण एवं शिलान्यास समारोह में ऑनलाइन सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल श्री मिश्र ने कृषि विश्वविद्यालय जोधपुर के प्रशासनिक भवन एवं कृषि महाविद्यालय, नागौर के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण तथा पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के जोधपुर में नवीन पशुचिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय भवन का शिलान्यास तथा जोधपुर, अविकानगर (टोंक), रतनगढ़ (चूरू), डूंगरपुर और झुंझुनूं के पशु विज्ञान केन्द्रों के नवीन भवनों का ऑनलाइन लोकार्पण किया।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही बड़ी आबादी की आजीविका का मुख्य आधार  कृषि और पशुपालन ही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए खेती के अलावा किसान अनुपूरक आय के लिए पशुपालन पर निर्भर हैं, ऎसे में पशुधन के बेहतर प्रबन्धन के साथ पशुधन संरक्षण के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत है। उन्होंने पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विवि बीकानेर को स्थान विशेष की विशेषताओं पर आधारित उत्पादों के प्रोत्साहन और विपणन के लिए कार्ययोजना बनाने का सुझाव दिया।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कृषि विवि जोधपुर को मरुक्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति और जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए भविष्य की चुनौतियों से निपटने हेतु अनुसंधान करने का सुझाव दिया।  उन्होंने कहा कि फसलों की ऎसी किस्में भी विकसित की जानी चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं और सूखे को सहन कर सकें। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर फसल उत्पादन, बीज गुणवत्ता और भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयासों का लाभ स्थानीय किसानों और पशुपालकों को अधिकाधिक मिलना चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोराना संक्रमण के इस दौर में जब देश की अर्थव्यवस्था धीमी गति से आगे बढ़ रही है, राजस्थान की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का 14 प्रतिशत एवं पशुपालन सेक्टर का 12.5 प्रतिशत योगदान है। राज्य सरकार का प्रयास है कि कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र का विस्तार तेज गति से हो। इन दोनों सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए पिछले तीन बजट में राज्य सरकार ने एक से बढ़कर एक फैसले लिए हैं। इनमें आगामी वित्तीय वर्ष से कृषि का अलग बजट तथा कृषक कल्याण कोष में 2 हजार करोड़ रूपए का प्रावधान शामिल है। पशुपालकों को दूध पर 2 रूपये प्रति लीटर बोनस दिया जा रहा है।
श्री गहलोत ने कहा कि वर्तमान में राज्य सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के हर गांव में डेयरी का विस्तार हो। इससे पशुपालकों को लाभ मिलेगा और डेयरी के बूथ खुलेंगे तो लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर पशु विज्ञान केन्द्र खोलने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार की मंशा है कि प्रदेश के हर जिले में यह केन्द्र खुले। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एम्स, आईआईटी, विधि विश्वविद्यालय, निफ्ट तथा कृषि एवं पशु विज्ञान के विश्वविद्यालय खुलने से यहां के छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ा है और प्रशिक्षित मैनपावर उपलब्ध होने में आसानी हुई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की जंग में प्रदेश में सभी का सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में संक्रमण की दर काफी कम होने के बाद लॉकडाउन 2-0 में कई तरह की ढील दी गई हैं। उन्होंने चेताया कि लोगों ने मास्क लगाने, दूरी रखने एवं भीड़-भाड़ एकत्र नहीं करने जैसे हैल्थ प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया तो संक्रमण फिर से बढ़ सकता है। उन्होंने आमजन से अपील की कि वे सतर्क रहें एवं हैल्थ प्रोटोकॉल की पूरी पालना करें।
श्री गहलोत ने कहा कि राज्यपाल श्री मिश्र ने अपने कार्यक्रमों में संविधान की उद्देश्यिका और मूल कर्तव्यों के वाचन की पहल की है। नागरिकों को संविधान की मूल भावना के प्रति जागरुक बनाने की दिशा में उनकी यह पहल अनुकरणीय है।
कृषि एवं पशुपालन मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने कहा कि देश की जीडीपी में कृषि और पशुपालन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, इसे देखते हुए सरकार प्रदेश में कृषि क्षेत्र में नवाचारों को प्रोत्साहन दे रही है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राजस्थान में जल की कमी को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय खेती-किसानी के लिए जल संरक्षण के तरीकों पर भी कार्य कर रहे हैं।
कृषि एवं पशुपालन राज्यमंत्री श्री भजनलाल जाटव ने कहा कि कोरोना काल में किसानों और पशुपालकों की समस्याओं के निदान तथा उनके कल्याण के लिए राज्य सरकार ने लगातार प्रयास किए हैं।

 

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