Indian Railway: रेल पटरी के नीचे से खिसकी गिट्टी-मिट्टी, बिजली का खंभा झुका- गंगापुर की घटना
Indian Railway: रेल पटरी के नीचे से खिसकी गिट्टी-मिट्टी, बिजली का खंभा झुका- गंगापुर की घटना

Indian Railway: रेल पटरी के नीचे से खिसकी गिट्टी-मिट्टी, बिजली का खंभा झुका- गंगापुर की घटना

Indian Railway: रेल पटरी के नीचे से खिसकी गिट्टी-मिट्टी, बिजली का खंभा झुका, गंगापुर की घटना, कई ट्रेनें अटकीं

Rail News: करौली, हिंडोन, गंगापुर और सवाईमाधोपुर में हो रही तेज बारिश का असर रेल पटरी पर भी नजर आने लगा है। गंगापुर-सवाईमाधोपुर रेलखंड स्थित नारायणपुर और निमोदा स्टेशनों के बीच सोमवार को पानी के तेज बहाव से रेल पटरी के नीचे से गिट्टी और मिट्टी खिसक गई। साथ ही पास में लगे बिजली (ओएचई) के खंभे की नींव की मिट्टी और कंक्रीट ने भी अपनी जगह छोड़ दी। मिट्टी और कंक्रीट हटने से ओएचई का खंभा डेढा हो गया। इस घटना के चलते हरिद्वार-कोटा नंदादेवी, अमृतसर-मुंबई स्वर्ण मंदिर मेल, मथुरा-कोटा लोकल तथा निजामुद्दीन-त्रिवनंतपुरम कुछ देर मौके पर रुक कर चली।
की गई मरम्मत
सूचना मिलने पर प्रशासन ने इस खंभे की मरम्मत का काम शुरु कर दिया। सवाईमाधोपुर से एक टावर वैगन मौके पर भेजी गई। इसकी मदद से खंभे और तारों की मरम्मत की गई। इसके अलावा गंगापुर से एक मालगाड़ी के भरकर बड़े-बड़े पत्थर, गिट्टी और मिट्टी के कट्टे मौके पर पहुंचाए गए। इसके बाद इस खंभे को सीधा करने का प्रयास किया गया। साथ ही पटरी के नीचे से पानी के बहाव को बंद किया गया।
एक दिन पहले भी हुई थी घटना
अधिकारियों ने बताया कि एक दिन पहले रविवार को भी यहां पर ओएचई का एक खंभा डेढ़ा हो गया। यह पुरानी ओएचई का खंभा था। सोमवार को डेढ़ा हुआ खंभा नया था। यह खंभा 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेने दौड़ाने के लिए डाली गई नई ओएचई के लिए लगाया गया है। इसके अलावा रविवार को यहां पटरी के पास मिट्टी के टीले भी ढह गए। यह मिट्टी पटरी के पास तक पहुंच गई। बाद में कर्मचारियों ने फावड़ों की मदद से इस मिट्टी को पटरी के पास से हटाया। इसके चलते सवाईमाधोपुर-मथुरा ट्रेन भी कुछ देर मौके पर खड़ी रही।
धीमी रफ्तार से निकाली ट्रेन
इस घटना के चलते मौके से ट्रेनों को धीमी रफ्तार से चलाया गया। रविवार को यहां 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों को निकाला गया। वहीं सोमवार को मामला गंभीर होने पर ट्रेनों की रफ्तार घटाकर 30 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई। शाम तक भी इसी रफ्तार से ट्रेनें दौड़ाई गईं।