एलम पाउडर घोटाला: सीबीआई की जांच शुरु, आधा दर्जन कर्मचारियों के बयान दर्ज
एलम पाउडर घोटाला: सीबीआई की जांच शुरु, आधा दर्जन कर्मचारियों के बयान दर्ज

एलम पाउडर घोटाला: सीबीआई की जांच शुरु, आधा दर्जन कर्मचारियों के बयान दर्ज

एलम पाउडर घोटाला: सीबीआई की जांच शुरु, आधा दर्जन कर्मचारियों के बयान दर्ज

Rail News:  कोटा रेल मंडल का सबसे बड़ा करोड़ों रुपए का बहुचर्चित एलम (फिटकरी) पाउडर परिवहन घोटाला मामले में जयपुर केंद्रीय अन्वेक्षण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपना शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। दर्ज एफआईआर के बाद कार्रवाई में तेजी लाते हुए सीबीआई ने मामले से संबंधित कर्मचारियों के बयान दर्ज करना शुरु कर दिए हैं। बयान के लिए सीबीआई ने मंडल रेल प्रशासन को नोटिस देकर कर्मचारियों को जयपुर बुलाया था। सीबीआई अब तक आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों के बयान दर्ज कर चुकी है। कुछ कर्मचारियों के बयान पिछले हफ्ते ही दर्ज किए गए हैं। बयान देने वालों में कोटा और अजमेर मंडल के कर्मचारी शामिल हैं। बयानों के आधार पर सीबीआई घोटाले में कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि मामले में जल्द ही अधिकारियों के बयान दर्ज किए जाएंगे। इनमें कुछ बड़े अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। सभी के बयान के बाद मामले में गिरफ्तारियां शुरु हो सकती हैं।
ढाई साल पहले का मामला
उल्लेखनीय है कि करीब ढाई साल पहले मार्च-2022 में यह ममाला पहली बार सामने आया था। मामला खुलने पर हरकत में आई सीबीआई ने अपनी जांच शुरु की थी। करीब डेढ़ साल चली जांच के बाद सीबीआई नेे गत वर्ष अक्टूबर में यह मामला दर्ज किया था। इसमें सीबीआई ने मांडलगढ़, भरतपुर और नाथद्वारा मामले में तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की है। तीनों मामलों के जांच अधिकारी अलग-अलग हैं। इस रिपोर्ट में कोटा और अजमेर मंडल के अज्ञात अधिकारियों के अलावा परिवहन कंपनी गुवाहाटी जिला कामरुप एमजी रोड़ फैंसी बाजार स्थित मेसर्स विनायक लॉजिस्टिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक प्रवेश काबरा के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी, जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना और लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार की 120-बी, 420, 467, 468, 471 और 13 आदि धाराओं में मामला दर्ज है।
अधिकारियों ने रची आपराधिक साजिश
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में माना कि रेलवे अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर आपराधिक साजिश रची और इसके अलावा रेल अधिकारियों ने अपने संबंधित आधिकारिक पद का दुरुपयोग करके माल की गलत घोषणा की अनुमति दी। अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने माना कि इन कोटा मंडल के मांडलगढ़ और भरतपुर तथा अजमेर के नाथद्वारा स्टेशन से फिटकरी के नाम पर मार्बल पाउडर की दर्जनों मालगाडिय़ां रवाना की गईं। सीबीआई फिटकरी की दर में मार्बल पाउडर परिवहन होने से रेलवे को साढ़े पांच करोड़ रुपए से अधिक का घाटा होने की आशंका जताई है।
जी न्यूज़ पोर्टल ने किया था खुलासा
इस रिपोर्ट का खुलासा सबसे पहले हमारे  द्वारा ही किया गया था। इसके बाद कोटा रेल मंडल में हडकंप मच गया था। बाद में सभी मीडिया में यह समाचार सुर्खिया बना था।
यहां भेजा मार्बल पाउडर
अपनी रिपोर्ट में सीबीआई ने बताया कि मांडलगढ़ और भरतपुर और नाथद्वारा से स्टेशन से दर्जनों मालगाडियां जम्मू और कश्मीर, कठुआ, पश्चिम-बंगाल स्थित संकरेल गुड्स टर्मिनल यार्ड, डेकारगांव 2021 से मार्च 2022 की अवधि में असम, रंगपानी चांगसारी में एलम के नाम पर मार्बल पाउडर के रैक भेजे गए। सूचना मिलने पर नाथद्वारा से रवाना हुई एक मालगाड़ी को तो सीबीआई ने रास्ते में अजमेर मंडल के घोंसुंडा स्टेशन पर रोकर जांच भी की थी। इसके नमूने की जांच रिपोर्ट में मालगाड़ी में मार्बल अंश की पुष्टि हुई थी। जब कि असम स्थित चांगसारी स्टेशन जा रही 42 डिब्बों की इस मालगाड़ी में फर्म विनायक लॉजिस्टिक्स ने पुट्टी भरने की घोषणा की थी।
पुट्टी परिवहन के लिए विनायक लॉजिस्टक ने रेलवे को 54 लाख 39 हजार 247 रुपए का भुगतान किया गया था। जब कि अगर कंपनी इसे मार्बल का अंश डोलोमाइट घोषित करती तो उसे रेलवे को 77 लाख 46 हजार 464 रुपए किराया चुकाना होता। इस तरह कंपनी ने गलत जानकारी देकर रेलवे को करीब 23 लाख 7 हजार 217 रुपए का चुना लगाया।
पंकज डीआएम और अजय थे सीनियर डीसीएम
यह मामला सामने आने के समय कोटा मंडल में पंकज शर्मा डीआरएम और अजय पाल वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक पद थे। मामले में खास बात यह है कि यह मामला सामने आने के दौरान भरतपुर भ्रष्ट्राचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अजय पाल को उसी चेंबर में रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। एसीबी का अरोप है कि अजय ने यह रिश्वत अपने अधिनस्थ कर्मचारी से चार्जशीट माफ करवाने की एवज में ली थी। इसी दौरान एसीबी ने अजय को दलाल के साथ दबोच लिया था। अजय अभी जबलपुर मुख्यालय में तैनात हैं।
पंकज को सौंपी खुद की जांच
मामले में दूसरी खास बात यह है कि इतना बड़ा घोटाला सामने आने के बाद पंकज शर्मा का तबादला पश्चिम-मध्य रेलवे में मुख्य सर्तकता अधिकारी पद पर कर दिया गया था। नियुक्ति के बाद पंकज शर्मा ने इस मामले की जांच भी की थी। यानि पंकज ने खुद की भूमिका की जांच खुद ही की थी। पिछले दिनों समय से पहले ही पंकज का स्थानांतरण रेलवे बोर्ड में हुआ है। गौरतलब है कि यह मामला उस समय कार्फी सुर्खियों में रहा था।