Railway: स्टेशन पर गड्ढे में भरे पानी में मिला तीन दिन पुराना ग्राम सेवक का शव
Railway: स्टेशन पर गड्ढे में भरे पानी में मिला तीन दिन पुराना ग्राम सेवक का शव

Railway: स्टेशन पर गड्ढे में भरे पानी में मिला तीन दिन पुराना ग्राम सेवक का शव

Railway: स्टेशन पर गड्ढे में भरे पानी में मिला तीन दिन पुराना ग्राम सेवक का शव, सीमा विवाद में दिन भर पानी में पड़ा रहा शव

Rail News:  कोटा मंडल के सुमेरगंजमंडी इंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पर गड्ढे में भरे पानी में शनिवार को तीन दिन पुराना एक युवक का शव बरामद हुआ है। कोटा जीआरपी ने शव को इंद्रगढ़ सरकारी अस्पताल में रखवाया है। रिववार को पोस्टमार्टम होगा।
जीआरपी ने बताया कि सूचना मिली थी की प्लेटफार्म पर रेलवे ठेकेदार द्वारा खोदे एक गड्ढे में भरे पानी की सतह पर एक शव नजर आ रहा है। सूचना पर मौके पर पहुंची जीआरपी को शव तीन-चार दिन पुराना नजर आया। यह फूल कर पानी की सतह पर आ गया था। कपड़ों की जैब से मिले दस्तावेजों से युवक की पहचान सीकर दातारामगढ निवासी निदेश कुमार पीपलीवाल (35) के रुप में हुई।
दिनेश का कोटा इटावा क्षेत्र में ग्राम सेवक पद पर नौकरी करना बताया जा रहा है। दिनेश 5 सितंबर को कोटा-श्रीगंगानगर ट्रेन से लाखेरी से जयपुर के लिए रवाना हुआ था। इसके पास ट्रेन का जनरल टिकट भी मिला है। दिनेश के घर नहीं पहुंचने पर परिजनों ने स्थानीय थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज करवा रखी है।
फिलहाल यह पता नहीं चलाव है कि दिनेश ट्रेन से उतरकर गड्ढे के पास कैसे पहुंच गया। मामले की जांच की जा रही है।
4 महीने से खुदा पड़ा है गड्ढा
कर्मचारियों ने बताया कि यह गड्ढा पिछले करीब 4 महीना से खुदा पड़ा है। इस गड्ढे गहराई करीब 8 फीट बताई जा रही है। रेलवे ठेकेदार ने इसे कोई कमरा बनाने के लिए खुद था। लेकिन यहां की जगह ठेकेदार इसी स्टेशन पर दूसरा काम करने लग गया। बारिश में इस गड्ढे में पानी भर गया। अपने काम के लिए ठेकेदार द्वारा इसी गड्ढे के पानी को काम में लिया जा रहा था। गड्ढे में गिरने से बचने के लिए मौके पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं कर रखे थे। गद्दे के चारों ओर किसी भी प्रकार की कोई फेंसिंग नहीं लगी हुई थी। जबकि प्लेटफार्म या सार्वजनिक जगह पर काम करने के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। हो सकता है गड्ढे के चारों ओर बेरी कैट्स लगे होते तो यह यात्री इसमें नहीं गिरता। कर्मचारियों ने बताया कि ठेकेदार और अधिकारियों की इस मामले में प्रथम दृष्टिया लापरवाही नजर आ रही है। जिसकी कीमत एक यात्री को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
सीमा विवाद में दिनभर पड़ा रहा शव
कर्मचारियों ने बताया कि घटना का पता सुबह ही चल गया था। इसकी जानकारी भी कोटा जीआरपी, इंदरगढ़ सिविल पुलिस और लाखेरी आरपीफ को तुरंत दे दी गई थी। सबसे पहले आरपीफ मौके पर पहुंची थी। इसके बाद जीआरपी और सिविल पुलिस इसे एक दूसरे के क्षेत्र का मामला बताती रही। इसके चलते शव को समय रहते पानी से नहीं निकाला जा सका। घंटों बाद इंदरगढ़ पहुंची कोटा जीआरपी ने शाम को एक खाट पर रख कर बुलडोजर की मदद से शव को पानी से निकाला।कर्मचारियों ने बताया कि अगर कार्यवाही तुरंत हो जाती तो संभव है कि परिजन समय पर इंदरगढ़ पहुंच जाते और पोस्टमार्टम शनिवार को ही हो जाता।
गौरतलब है कि प्लेटफार्म पर घटना की कार्रवाई जीआरपी करती है, जबकि स्टेशन परिसर के मामले सिविल पुलिस देखती है। जीआरपी इसे स्टेशन परिसर का मामला बता रही थी, वहीं सिविल पुलिस इसे स्टेशन की घटना मान रही थी।