रेलवे अधिकारियों ने बेची हार्वेस्टिंग तालाब की मिट्टी, लाखों रुपए में किया सौदा, गंगापुर का मामला
कोटा। कोटा रेल मंडल के गंगापुर स्टेशन पर अधिकारियों द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर खोदे गए तालाब की मिट्टी बेचने का मामला सामने आया है। इस मिट्टी की कीमत लाखों रुपए बताई जा रही है। हालांकि यह मामला पश्चिम-मध्य रेलवे विजिलेंस विभाग की नजर में है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है। सूत्रों ने बताया कि विजिलेंस के मामले में दखल के बाद ही यहां मिट्टी बिकना रुक सका था। नहीं तो अब तक यहां से पूरी मिट्टी बेची जा चुकी होती।
सूत्रों ने बताया कि मामले में खास बात यह है कि यह तालाब सहायक मंडल इंजीनियर के बंगले के पीछे हैं। इसके बावजूद भी मिट्टी बेचने यह काम दिनदहाड़े और कई दिनों तक लगातार चलता रहा। देखते ही देखते यहां से सैकड़ो ट्रॉली मिट्टी बेच दी गई। अधिकारियों ने मिट्टी के प्रति ट्रॉली के हिसाब से 500 तक भी वसूले। यह मिट्टी किसानों, बाजार में और धर्मशाला आदि संस्थाओं को बेची गई। सूत्रों ने बताया कि रेलवे की यह मिट्टी बाकी क्षेत्र से अलग होने के कारण आसानी से पहचान में आ रही है।
आरपीएफ को नहीं खबर
सूत्रों ने बताया कि दिनदहाड़े चोरी कर लाखों रुपए की मिट्टी बेच दी गई, लेकिन आरपीएफ को मामले की भनक तक नहीं लगी या मामला अधिकारियों से जुड़ा होने के कारण आरपीएफ जानबूझकर अनजान बनी रही। यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।
कार्रवाई नहीं करने का नतीजा
उल्लेखनीय है कि गंगापुर में पिछले दिनों वाटर हार्वेस्टिंग के नाम से एक लंबा चौड़ा तालाब खोदने का मामला सामने आया था। यह तलाब बिना किसी टेंडर बिना किसी ड्राइंग के मनमाने तरीके खोद दिया गया। जहां यह तालाब खोदा वह ऊंचाई वाली जगह है। ऐसे में यहां बरसाती पानी बहकर भी नहीं पहुंचता। ऐसा कर अधिकारी कोरोना काल में भी वाटर हार्वेस्टिंग के नाम पर रेलवे को लाखों रुपए का चूना लगाने से नहीं चूके। रही सही कसर अधिकारियों ने मिट्टी बेचकर पूरी कर दी।
सूत्रों ने बताया कि पिछले दिनों यह तालाब खोदे जाने का मामला सामने आने के बाद प्रशासन द्वारा भी कोई कार्रवाई की बात सामने नहीं आई है। अगर प्रशासन द्वारा समय रहते मामले को गंभीरता से लिया जाता तो संभवत: मिट्टी बेचने की घटना नहीं होती।