बिना स्वीकृति के जारी हुआ दो करोड़ का टेंडर, लेखा विभाग ने जताई आपत्ति, विजिलेंस के पास पहुंचा मामला, ठेकेदार के अटके बिल, भोपाल रेल मंडल का मामला
कोटा। न्यूज़. भोपाल रेल मंडल में बिना स्वीकृति के 2 करोड रुपए का टेंडर जारी होने का मामला सामने आया है। काम स्वीकृत नहीं होने के कारण इसके बजट का भी इंतजाम नहीं किया जा सका। लेखा विभाग में इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। विजिलेंस द्वारा भी मामले की जांच की जा रही है। काम और बजट स्वीकृत नहीं होने से करीब 2 साल से ठेकेदार के लाखों रुपए के बिल भी अटके हुए हैं। इसके चलते काम भी अधूरा पड़ा हुआ है।
जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि प्रशासन द्वारा मामले में नियमानुसार काम की बात कही जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि संकेत एवं दूरसंचार विभाग ने करीब 2 साल पहले भोपाल और इटारसी स्टेशन पर 10 लाइन का ट्रू कलर आउटडोर एलइडी डिस्पले बोर्ड लगाने का टेंडर निकाला था। विभाग ने नवंबर-2018 में ठेकेदार फर्म को काम शुरु करने के लिए स्वीकृति-पत्र भी जारी कर दिया।
वाणिज्य विभाग से नहीं ली स्वीकृति
सूत्रों ने बताया कि यह बोर्ड ट्रेनों आदि की सूचना देने यात्रियों की सुविधा के लिए लगाए जाने थे। यात्रियों की सुविधा का काम सीधे तौर पर वाणिज्य विभाग से जुड़ा है ऐसे में इस काम की स्वीकृति वाणिज्य विभाग से ली जानी थी। स्वीकृति मिलने के बाद इस काम के लिए लेखा विभाग द्वारा बजट का प्रावधान किया जाना था।
लेकिन संकेत एवं दूरसंचार विभाग द्वारा वाणिज्य विभाग से इस काम की स्वीकृति नहीं ली गई। ऐसे में इस काम के लिए बजट का प्रावधान भी नहीं हो सका। इसके बावजूद भी संकेत एवं दूरसंचार विभाग द्वारा टेंडर जारी कर दिया गया। काम स्वीकृत होने के बाद के बाद ठेकेदार ने आधे से ज्यादा बोर्ड भी लगा। लेकिन बजट का प्रावधान नहीं होने के कारण ठेका कंपनी के बिल अटक गए।
लेखा विभाग ने जताया पत्ती
काम की स्वीकृति नहीं होने और बजट का प्रावधान नहीं होने के कारण लेखा विभाग में ठेकेदार के बिल लौटा दिए। लेखा विभाग ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए टिप्पणी की है कि इस गलती के लिए दोषी अधिकारियों दंडित किया जाना चाहिए। लेखा विभाग की इस टिप्पणी के बाद हड़कंप मच गया। काम कराने के बावजूद बिल पास नहीं होने पर ठेकेदार ने भी अधिकारियों के समक्ष अपनी नाराजगी जताई है।
विजिलेंस के पास पहुंचा मामला
मामला खुलते ही इसकी शिकायत विजिलेंस के पास भी पहुंच गई। विजिलेंस द्वारा मामले की जांच की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि मामले में कुछ बड़े और जिम्मेदार अधिकारी फंस रहे हैं। इसके चलते विजिलेंस मामले में कार्रवाई करने में हिचकीचा रही है। जबकि पूरा मामला कांच की तरह साफ है।
सूत्रों ने बताया कि यह टेंडर तत्कालीन वरिष्ठ मंडल संकेत एवं दूरसंचार अभियंता समन्वय गौरव सिंह ने निकाला था। गौरव सिंह वर्तमान में भोपाल में ही अपर मंडल रेल प्रबंधक पद पर कार्यरत हैं। पदोन्नति के बाद एक ही डिवीजन में अधिकारियों की तुरंत पोस्टिंग की भी विजिलेंस जांच कर रही है।
मामला दबाने में जुटे अधिकारी
मामला सामने आने के बाद अधिकारी इसे दबाने में जुटे हुए हैं। सच्चाई बताने की जगह अधिकारी खबर के स्रोत के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। इस संबंध में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विजय प्रकाश से जानकारी लेने की कोशिश की गई। लेकिन विजय ने अनभिज्ञता जताते हुए मामले में कुछ भी कहने से से साफ मना कर दिया।
सब कुछ नियमानुसार हुआ
रेलवे में बिना स्वीकृति के कोई काम नहीं होता है। यह काम भी नियमानुसार ही हुआ है। -उदय बोरवणकर, मंडल रेल प्रबंधक,भोपाल