जोनल टेंडरों में रेलवे को 50 लाख का चूना लगना तय, अनुमानित लागत एक हजार बढ़ाने का नतीजा

जोनल टेंडरों में रेलवे को 50 लाख का चूना लगना तय, अनुमानित लागत एक हजार बढ़ाने का नतीजा
कोटा। न्यूज़. कोटा रेल मंडल के जोनल टेंडरों में रेलवे को करीब 50 लाख रुपए का चूना लगना तय माना जा रहा है। इसका कारण रेलवे द्वारा टेंडर वैल्यू एक हजार रुपए की बढ़ोतरी को बताया जा रहा है।
ठेकेदारों ने बताया कि कोटा मंडल में हर साल करीब 15 जोनों के टेंडर होते हैं। करोड़ो रुपए के इन टेंडरों में रेलवे आवासों की मरम्मत तथा रंगाई- पुताई सहित अन्य काम कराए जाते हैं। 50 लाख रुपए से कम के टेंडरों को कोई भी ठेकेदार भर सकता है। जबकि 50 लाख से ऊपर के टेंडरों में शर्त पूरी करने वाला ठेकेदार ही भाग ले सकता है।
संवेदकों ने बताया कि रेलवे ने इनमें से करीब आधे टेंडरों की अनुमानित लागत (टेंडर वैल्यू) 50 लाख एक हजार रुपए रखी, जबकि अन्य टेंडरों की लागत 50 लाख रुपए से कम रखी थी।
दरों में आया भारी अंतर
ठेकेदारों ने बताया कि यह टेंडर पिछले दिनों ही खोले गए हैं। मात्र एक हजार रुपए के कारण इन टेंडरों की दरों में भारी अंतर देखने को मिला है। 50 लाख एक हजार रुपए की लागत वाले टेंडरों की दर 16 से 23 प्रतिशत तक कम आई है। जब की 50 लाख से कम के टेंडरों की दर 40 से 50 प्रतिशत तक नीचे गई है।
ठेकेदारों ने बताया कि यदि अन्य जोनल टेंडर वैल्यू भी 50 लाख रुपए से कम होती है तो निश्चित रूप से इनकी दर भी 40 से 50 प्रतिशत कम आती। लेकिन टेंडर वैल्यू 50 लाख रुपए एक हजार रुपए रखने से दरें अपेक्षाकृत अधिक आईं। इसके चलते रेलवे को करीब 50 लाख रुपए का चूना लगना लगभग तय माना जा रहा है।
एक हजार बढ़ाने का नहीं हुआ लाभ
ठेकेदारों ने बताया कि टेंडर वैल्यू एक हजार रुपए बढ़ाने का कोई लाभ रेलवे को नहीं मिला। दरें कम आने से टेंडर वैल्यू वैसे ही 50 लाख रुपए से नीचे चली गईं। इसकी जगह अगर बेस रेट 50 लाख से कम रहती तो रेलवे को करीब 50 लाख रुपए का फायदा जरुर हो सकता था। क्योंकि दरें 40 से 50 प्रतिशत तक कम आतीं।
पहले ही सामने आ चुका था मामला
उल्लेखनीय है कि यह मामला टेंडर निकाले जाने के समय ही सामने आ चुका था। मीडिया की सुर्खी बनने बाद भी रेलवे ने इसमें कोई बदलाव करना जरूरी नहीं समझा। अधिकारियों की इस अनदेखी का नतीजा है कि कोरोना काल में पहले से ही खस्ताहाल रेलवे को 50 लाख रुपए का चूना लग सकता है।