जनशताब्दी में रोज बिक रहीं 54 सीटें, इनका नहीं होता आरक्षण, छह महीने से चल रहा खेल, लाखों रुपए का लगा चूना

जनशताब्दी में रोज बिक रहीं 54 सीटें, इनका नहीं होता आरक्षण, छह महीने से चल रहा खेल, लाखों रुपए का लगा चूना
कोटा।  कोटा-निजामुद्दीन जनशताब्दी स्पेशल ट्रेन (02059-60) में रोजाना 54 सीटें बिकने का मामला सामने आया है। ट्रेन में चाहे कितनी भी वेटिंग हो, इन सीटों पर कभी आरक्षण नहीं होता। इसके चलते यह सीटें हमेशा खाली रहती है। अवैध रूप से बेचकर इन सीटों पर जमकर काली कमाई की जा रही है। यह खेल करीब 6 महीने से लगातार चल रहा है।
सूत्रों ने बताया कि जनशताब्दी में कुल 22 कोच हैं। जिसमें से 17 सामान्य सीटिंग और 3 कोच वातानुकूलित (एसी) हैं। इसके अलावा एक जनरेटर यान तथा एक गार्ड के साथ आधा कोच है।
सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक सामान्य कोच में 102 सीटें हैं। इस तरह 17 कोचों में कुल 1734 सीटें हैं। इसी तरह एक एसी कोच में 78 सीटें हैं। इस हिसाब से 3 एसी कोचों में कुल 234 सीटें हैं। इसके अलावा 31 सीटें गार्ड के पास वाले कोच में हैं। इस तरह ट्रेन में कुल 1999 सीटें हैं।
यूं होता है खेल
सूत्रों ने बताया कि करीब 6 महीने पहले जनशताब्दी में तीन नए कोच जोड़े गए थे। इन कोचों में 102 की जगह 120 सीटें हैं। यानी कि प्रत्येक कोच में 18 सीटें ज्यादा हैं। इस तरह तीनों कोचों में कुल 54 सीटें अतिरिक्त हैं। यानी कि ट्रेन में 1999 की जगह कुल 2053 सीटें हैं। लेकिन कंप्यूटरों में यह अतिरिक्त 54 सीटें फीड नहीं हैं। ऐसे में आरक्षण सिर्फ 1999 सीटों पर ही होता है। ट्रेन में कितनी भी वेटिंग हो यह 54 सीटें रोज खाली रह जाती हैं। बाद में जिम्मेदार लोग दलालों के जरिए इन सीटों की बोली लगा देते हैं।
रेलवे को लगा लाखों का चुनाव
सूत्रों ने बताया कि यह खेल करीब 6 महीने से लगातार चल रहा है। ऐसे में रेलवे को पिछले 6 महीने में लाखों रुपए का चूना लग चुका है। लंबे समय से चल रहे इस खेल के कारण इस बात की संभावना बहुत कम है कि जिम्मेदार अधिकारियों को इसकी जानकारी ही नहीं हो।
अगर जानकारी थी तो अधिकारियों ने इस गलती को सुधारने की कौशिक क्यों नहीं की। या जानबूझकर अधिकारी इस पूरे मामले से अनजान बने रहे।
फिक्स है टीटीई की ड्यूटी
यह खेल बिना किसी की जानकारी में आए लगातार चलता रहे। इसके लिए इस ट्रेन में टीटीइयों की ड्यूटी लगभग फिक्स है। ट्रेन में टीटीइयों की ड्यूटी में बहुत कम बदलाव किया जाता है। घूम फिर कर जिम्मेदार टीटीइयों को बार-बार इसी ट्रेन में लगा दिया जाता है।