राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के पिता मोहन सिंह शिक्षक रहे तथा पत्नी श्रीमती सुनीता देवी डोटासरा अभी भी तृतीय श्रेणी की शिक्षिका हैं।
डोटासरा सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष हैं। अपने मंत्रियों को क्या नसीहत देंगे? सीएम अशोक गहलोत और प्रभारी महासचिव अजय माकन वीडियो को देखकर बताएं कि क्या डोटासरा का व्यवहार सही है?
तो फिर समित शर्मा का जयपुर के संभागीय आयुक्त के पद से तबादला क्यों किया?
राजस्थान के स्कूली शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से जुड़ा एक वीडियो देखा जा सकता है। यह वीडियो 9 अप्रैल का है। इस दिन डोटासरा अपने सीकर स्थित निजी आवास पर मौजूद थे। डोटासरा की उपस्थिति को देखते हुए राजस्थान शिक्षा सेवा प्राध्यापक संघ (रेसला लोकतांत्रिक) के प्रतिनिधि खज्जन सिंह, नरेन्द्र सिंह, रघुवीर सिंह और रामनिवास महलावत ज्ञापन देने पहुंच गए। हालांकि डोटासरा के आवास पर सीकर के अनेक लोग भी थे, लेकिन डोटासरा को शिक्षकों की उपस्थिति नागवार गुजरी। गुस्साए डोटासरा ने कहा कि मेरे निजी आवास पर आप ज्ञापन देने क्यों आए? आपको ज्ञापन देना था तो सचिवालय में समय लेकर आते। डोटासरा ने अपने स्टाफ को निर्देश दिए कि जिन स्कूलों में शिक्षक काम करते हैं उसके जिला शिक्षा अधिकारी से पता लगाओं कि इन्होंने आज का अवकाश लिया है या नहीं। यदि अवकाश का प्रार्थना पत्र नहीं हो तो इन सभी शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया जाए। जब तक शिक्षा अधिकारी से बात न हो तब तक इन शिक्षक नेताओं को यहीं पर बैठा कर रखा जाए। डोटासरा ने कहा कि शिक्षकों ने उनके आवास को नाथी का बाड़ा समझ रखा है। जिसका जी चाहता है चला आता है। शिक्षक नेता सस्पेंड होने से बच गए, क्योंकि वे पूर्ण ईमानदारी से अवकाश का प्रार्थना पत्र देकर आए थे, लेकिन सवाल उठता है कि क्या एक मंत्री को ऐसा बर्ताव करना चाहिए? लोकतांत्रिक व्यवस्था में जब भी कोई मंत्री आता है तो संबंधित विभाग के लोग ज्ञापन लेकर पहुंच जाते हैं। संवेदनशील मंत्री सभी की सुनते हैं। सीकर तो डोटासरा का गृह जिला है। यदि डोटासरा सीकर आएंगे तो भीड़ तो आएगी ही। प्रदेश में सबसे ज्यादा सरकारी कर्मचारी शिक्षा विभाग में ही हैं। प्रदेशभर के शिक्षकों को डोटासरा के व्यवहार पर इसलिए भी आश्चर्य हो रहा है कि डोटासरा के पिता मोहन सिंह शिक्षक रहे हैं तथा पत्नी श्रीमती सुनीता अभी भी तृतीय श्रेणी शिक्षक के तौर पर सीकर के लक्ष्मणगढ़ में कार्यरत हैं। शिक्षक बनने के लिए खुद डोटासरा ने बीएड किया था, लेकिन बाद में एलएलबी करने के बाद राजनीति में आ गए। जिस मंत्री का परिवार शिक्षा से जुुड़ा हो, उस मंत्री का शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार शोभा नहीं देता। राजस्थान शिक्षक संघ (राधाकृष्ण) के प्रदेशाध्यक्ष विजय सोनी ने कहा कि डोटासरा को आदेश जारी कर बताना चाहिए कि वे शिक्षकों से सिर्फ सचिवालय में ही मिलेंगे। ऐसे आदेश के बाद शिक्षक संघों का कोई प्रतिनिधि मंडल बगैर अनुमति के डोटासरा से नहीं मिलेगा। डोटासरा का 9 अप्रैल का बर्ताव प्रदेशभर के शिक्षकों का अपमान करने वाला है।
मंत्रियों को क्या सीख देंगे?:
डोटासरा ने 9 अप्रैल को शिक्षकों के साथ जो व्यवहार किया, उसके बाद सवाल उठता है कि डोटासरा कांग्रेस सरकार के मंत्रियों को क्या सीख देंगे? डोटासरा सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी हैं। सरकार के मंत्री आम लोगों से सद्व्यवहार करें, जिसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के साथ साथ सत्तारूढ़ पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष की भी होती है। जब प्रदेशाध्यक्ष ही ऐसा व्यवहार कर रहे हैं, तब अन्य मंत्रियों के व्यवहार का अंदाजा लगाया जा सकता है। डोटासरा के इस वीडियो को देखने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन को अपनी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। क्या डोटासरा का यह व्यवहार उचित है? क्या इससे सरकार की छवि खराब नहीं होगी? सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई में सचिन पायलट की बर्खास्तगी के बाद सीएम अशोक गहलोत की पसंद के कारण डोटासरा को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाया था, लेकिन अब सत्ता का नशा डोटासरा के सिर चढ़ कर बोल रहा है।
तो फिर समित शर्मा को क्यों हटाया?:
9 अप्रैल को डोटासरा का कहना रहा कि जब स्कूल में बच्चों को पढ़ाने का समय है, तब शिक्षक उन्हें ज्ञापन देने आ गए हैं, इससे बच्चों की पढ़ाई खराब होगी। जयपुर के संभागीय आयुक्त के पद पर रहते हुए समित शर्मा भी स्कूलों और अस्पतालों में आकस्मिक जांच कर सरकारी कर्मचारियों की उपस्थिति को सुनिचित कर रहे थे, लेकिन सरकार को यह अच्छा नहीं लगा और चार माह में ही शर्मा को संभागीय आयुक्त के पद से हटा दिया गया। डोटासरा चाहते हैं कि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति हो तो फिर समित शर्मा का उपयोग किया जाना चाहिए। शर्मा तो सरकारी कर्मचारियों की अनुपस्थिति को भ्रष्टाचार ही मानते हैं।