राजस्थान के सख्त लॉकडाउन में शराब की दुकानें भी बंद हो।
संपूर्ण शराबबंदी आंदोलन की अध्यक्ष पूनम छाबड़ा ने गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा।
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कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए राजस्थान में 10 से 24 मई सख्त लॉकडाउन लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मानना है कि लोग अभी भी लापरवाही बरत रहे हैं। इसलिए मजबूरी में सख्त लॉकडाउन लागू किया जा रहा है। इस सख्त लॉकडाउन के मद्देनजर ही संपूर्ण शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम छाबड़ा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शराब की दुकानों को भी बंद रखने की मांग की है। भाजपा शासन में शराब बंदी की मांग को लेकर अपनी जान गवाने वाले पूर्व विधायक गुरुशरण सिंह छाबड़ा की पुत्रवधू पूनम ने कहा कि जब लॉकडाउन में संपूर्ण कारोबार बंद किया गया है, तब शराब की दुकानें भी नहीं खोली जानी चाहिए। शराब की दुकानें खोलकर सरकार खुद लॉकडाउन की गाइड लाइन का उल्लंघन कर रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 16 अप्रैल से जो लॉकडाउन लागू किया गया है, उसमें दूध डेयरी, फल-सब्जी और किराना की दुकानों के साथ साथ शराब की देशी-विदेशी दुकानों को भी प्रात: 6 से 11 बजे तक खुलने की छूट दी गई है। पूनम छाबड़ा चाहती है कि 10 मई से शुरू होने वाले सख्त लॉकडाउन में शराब की दुकानों को बंद रखा जाए। सरकार जब एक गांव से दूसरे गांव जाने पर रोक लगा रही है तब शराब की दुकानों को खुला रखना पूरी तरह गलत है। शराब की दुकानों के खुले रहने से अनेक लोगों को घर से बाहर निकलने का अवसर मिल जाता है। वैसे भी सुबह सुबह शराब की बिक्री सामाजिक दृष्टि से भी उचित नहीं है। पूनम छाबड़ा ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गांधीवादी छवि के राजनेता हैं। गहलोत स्वयं शराब को बुरा मानते हैं। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि सख्त लॉकडाउन में प्रदेश में शराब की दुकानें भी बंद रहेंगी। उन्होंने माना की सरकार के राजस्व का एक बड़ा स्रोत शराब की बिक्री है। लेकिन कोरोना काल में सरकार को शराब की बिक्री के राजस्व का मोह त्यागना होगा। उन्होंने कहा कि उनके ससुर गुरुशरण सिंह छाबड़ा ने प्रदेश में संपूर्ण शराबबंदी का जो आंदोलन चलाया था, उसे वे लगातार जारी रखे हुई हैं। शराब की दुकानों के विरोध में जब कोई भी आंदोलन होता है तो वे उसमें भाग लेती हैं। वे चाहती है कि राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी हो। शराब के कारण लोगों का स्वास्थ्य खराब होता है और जब ऐसे लोग सरकारी अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज करवाते हैं, तब सरकार को करोड़ों रुपया खर्च करना पड़ता है। यह राशि शराब की बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व से ज्यादा होती है। उनके नेतृत्व में चलाए जा रहे शराबबंदी के आंदोलन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9828078690 पर ली जा सकती है।