गोराधाय ग्रुप फोस्टर केयर‘ योजना के दिशा निर्देश जारी
बाल अधिकारिता विभाग द्वारा सामूहिक पालन – पोषण देखरेख कार्यक्रम के अंतर्गत ‘गोराधाय ग्रुप फोस्टर केयर योजना ‘की क्रियान्विति हेतु दिशा निर्देश जारी कर दिए गये हैं।
पारिवारिक देखरेख से वंचित एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को पारिवारिक स्नेह ,देखरेख, स्वास्थ्य एवं अपनत्व की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार अधिवेशन एवं राष्ट्रीय बाल नीति के अनुरूप नवाचार के रूप में यह योजना संचालित की जाएगी ।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉं. समित शर्मा ने बताया कि योजना में 18 वर्ष तक की आयु के देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले ऎसे बालक -बालिका जिन्हें लंबे समय तक परिवार आधारित देखरेख की आवश्यकता है, को लाभान्वित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि योजना का क्रियान्वयन जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा ग्रुप फोस्टर केयर फैसिलिटी के संचालन के लिए जिला स्तर पर पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाओं जो ग्रुप फोस्टर केयर हेतु फैसिलिटी के संचालन करने की इच्छुक हो, के आवेदन पर निर्णय कर उनके माध्यम से किया जाएगा।
जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा प्राप्त आवेदनों की जांच कर बाल कल्याण समिति को भिजवाए जाने से पूर्व आवेदक संस्थाओं को संपूर्ण जानकारी से अवगत कराया जाएगा। बाल कल्याण समिति द्वारा आवेदन प्राप्त होने की तारीख से 15 दिवस में उचित निर्णय लिया जाकर संबंधित जिला बाल संरक्षण इकाई एवं संस्था को सूचित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि ग्रुप फोस्टर केयर फैसिलिटी के रूप में मान्यता आदेश के जारी होने की दिनांक से 3 वर्ष के लिए मान्य होगी जिसे संतोषजनक पाए जाने पर आगामी 3 वर्ष के लिए नवीनीकृत किया जा सकेगा ।मान्यता प्राप्त चयनित संस्थाओं को ग्रुप फोस्टर केयर फैसिलिटी के संचालन हेतु जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा रूपये 4000 प्रति माह प्रति बालक-बालिका के वस्त्र, शिक्षण -प्रशिक्षण एवं अन्य दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु दिए जाएंगे। देखभालकर्ता के मानदेय हेतु रूपये 20000 प्रतिमाह तथा संचालन से जुड़े अन्य व्यय हेतु रूपये 10000 प्रतिमाह दिए जाएंगे।
ग्रुप फोस्टर केयर फैसिलिटी में देखरेख के मानकों को बनाए रखने के अतिरिक्त 7 से 11 वर्ष एवं 12 से 18 वर्ष तक की आयु वर्ग के बालक बालिकाओं के लिए अलग-अलग सुविधाएं संचालित की जाएंगी। बच्चों के गंभीर रोग ग्रस्त होने अथवा गुम होने अथवा पलायन करने, बच्चे द्वारा किसी प्रकार का आपराधिकृत्य अथवा उसकी मृत्यु होने की स्थिति में तत्काल संबंधित जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल कल्याण समिति को अवगत कराना आवश्यक होगा।
बच्चों को पारिवारिक देखरेख के साथ साथ आत्मनिर्भर बनाने हेतु जीवन कौशल व्यवसाय की शिक्षा, शिक्षा, कौशल विकास प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। बच्चों को उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का रिकार्ड संधारित किया जाकर समय-समय पर बाल कल्याण समिति को अवगत कराया जाएगा। बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का शोषण एवं दुर्व्यवहार ना हो इस हेतु आवश्यक प्रबंध किए जाएंगे।
बाल अधिकारिता विभाग की अतिरिक्त निदेशक रीना शर्मा ने बताया कि योजना के संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश बाल अधिकारिता विभाग की वेबसाइट www.sje.rajasthan.gov.in पर देखे जा सकते हैं।