वीकेंड से भी कमजोर रहा सख्त लॉकडाउन। प्रातः 6 से 11 बजे तक शराब की दुकानें तक खुली। अलबत्ता पुलिस ने सख्ती दिखाई।
औद्योगिक क्षेत्रों में कैम्प लगाकर श्रमिकों को टीके लगाए जाएं। 50 प्रतिशत श्रमिक भी फैक्ट्रियों में नहीं आ रहे।
अजमेर में रोजाना चार हजार आरटी पीसीआर टेस्ट हो रहे हैं इसलिए रिपोर्ट आने में दो दिन का विलंब।
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राजस्थान में 24 मई तक लगाए गए सख्त लॉकडाउन की शुरुआत 10 मई से हो गई है। यूं तो प्रदेश में 16 अप्रैल से ही लॉक डाउन लगा हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 से 24 मई तक के लिए सख्त लॉकडाउन की घोषणा की है। लेकिन 10 मई को सख्त लॉकडाउन वीकेंड के लॉकडाउन से भी कमजोर रहा है। 16 अप्रैल से लागू लॉकडाउन में वीकेंड का लॉकडाउन भी शामिल हैं। यानी सप्ताह में शनिवार और रविवार को किराना स्टोर और शराब की दुकानें भी बंद रहेंगी। लेकिन 10 मई से लागू सख्त लॉकडाउन में शराब की दुकानें भी खोल दी है। एक सरकार सख्त लॉकडाउन का ढिंढोरा पीट रही है तो दूसरी ओर शराब की दुकान खोल दी गई है। अब जब शराब की दुकानें तक खुली रहेंगी तो लॉकडाउन को सख्त कैसे माना जाएगा। यदि कोई व्यक्ति प्रातः 6 से 11 बजे के बीच शराब लेने के लिए घर से बाहर निकलेगा तो पुलिस कैसे रोकेगी? बहुत से लोगों को किराना से ज्यादा शराब की दुकान की जरूरत है। राज्य सरकार यह तो चाहती है कि लोग अपने घरों से नहीं निकले, लेकिन राजस्व प्राप्ति के लिए शराब की बिक्री का मोह नहीं छोड़ रही है। 10 मई को प्रदेशभर में प्रातः 6 से 11 बजे तक सड़कों पर आवागमन जारी रहा। जबकि ऐसा आवागमन वीकेंड के लॉकडाउन में देखने को नहीं मिला था। श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए निर्माण कार्यों को जारी रखा गया है। इस वजह से भी आवागमन देखा गया। औद्योगिक इकाइयों के श्रमिकों का आवागमन भी जारी रहा। सरकार ने लोगों को घर से बाहर निकलने के अनेक बहाने दे दिए हैं। हालांकि सख्त लॉकडाउन में पुलिस ने सख्ती दिखाई है। थानाधिकारी बड़ा डंडा लेकर अपने अपने क्षेत्रों के चौराहों पर खड़े नजर आए हैं। बिना किसी ठोस कारण के घर से बाहर निकलने वालों से न केवल जुर्माना वसूला गया, बल्कि सरकारी संस्थानों में क्वारंटाइन भी किया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस के डंडे के भय से ही सख्त लॉकडाउन सफल होगा।
श्रमिकों के लिए कैम्प लगे:
अजमेर जिले की औद्योगिक इकाइयों की प्रतिनिधि संस्था लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष चार्टर्ड अकाउंटेंट अजीत अग्रवाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया है कि औद्योगिक क्षेत्रों में कैम्प लगाकर श्रमिकों को कोरोना की टीके लगाए जाए। उन्होंने कहा कि फैक्ट्रियों में काम करने वाले श्रमिक आईटी के जानकार नहीं है, इसलिए वैक्सीन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे हैं। अग्रवाल ने कहा कि यदि चिकित्सा विभाग औद्योगिक क्षेत्रों में शिविर लगाता है तो फैक्ट्री मालिक भी सहयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में श्रमिक मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहा है। राज्य सरकार ने सख्त लॉकडाउन में भी औद्योगिक इकाइयों को चालू रखने की छूट दी है, लेकिन हकीकत यह है कि पचास प्रतिशत श्रमिक भी काम पर नहीं आ रहे हैं। इसकी वजह यही है कि श्रमिक भी कोरोना संक्रमण से डरा हुआ है। ऐसे में यदि उसे वैक्सीन लगाई जाती है तो उसकी मानसिक स्थिति भी ठीक होगी। अग्रवाल ने बताया कि सरकार ने 10 मई से जो सख्त लॉकडाउन लागू किया है उसमें कहा है कि फैक्ट्री मालिक श्रमिक को बस में घर से लाए और फिर बस में ही छोड़े। अग्रवाल ने कहा कि अधिकांश फैक्ट्री मालिक इस स्थिति में नहीं है कि श्रमिकों को अपने साधन से लाए। ऐसे में सरकार को चाहिए रोडवेज की बसों में श्रमिकों का परिवहन करवाया जाए।
चार हजार टेस्ट प्रतिदिन:
अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी ने बताया कि जिले में प्रतिदिन चार हजार आरटी पीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं। इसलिए रिपोर्ट आने में दो दिन का समय लग रहा है। कोविड टेस्ट कराने के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। डॉक्टरों द्वारा कोविड टेस्ट के लिए पर्ची नहीं लिखे जाने की शिकायतों पर डॉक्टर सोनी ने कहा कि सरकारी अस्पताल में जो भी व्यक्ति टेस्ट के लिए आता है, उसका टेस्ट नि:शुल्क किया जाता है, लेकिन कई बार अनेक लोग बेवजह भी आरटी पीसीआर टेस्ट करवा रहे हैं। प्रतिदिन चार हजार लोगों के कोविड टेस्ट होने से जाहिर है कि टेस्ट कराने से इंकार नहीं किया जा रहा है। अब तो सड़कों पर बेवजह घूमने वालों के भी आरटी पीसीआर टेस्ट करवाए जा रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट होने से रिपोर्ट आने में विलंब हो रहा है। जांच के सभी मापदंड पूरा होने के बाद ही रिपोर्ट दी जाती है। डॉ. सोनी ने बताया कि चिकित्सा विभाग को कोविशील्ड वैक्सीन उपलब्ध हो गई है। 10 मई को सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर जरूरतमंद व्यक्तियों को वैक्सीन लगाई गई। उन्होंने बताया कि दूसरा डोज लगवाने वालों को प्राथमिकता दी जा रही है।