क्या गांधी परिवार राजस्थान में भी पंजाब जैसा साहस दिखाएगा?

क्या गांधी परिवार राजस्थान में भी पंजाब जैसा साहस दिखाएगा?
अमरेन्द्र सिंह हो या अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं उनकी वजह से ही पार्टी जीती है। पत्रकार शकील अख्तर के इस कथन का अजय माकन ने समर्थन किया। इससे राजस्थान की राजनीति में हलचल बढ़ी।
सबकी राय लेकर ही कांग्रेस हाईकमान फैसला करता है-अशोक गहलोत।
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सवाल उठता है कि गांधी परिवार ने पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर जो साहस दिखाया है वैसा साहस क्या राजस्थान में दिखाया जाएगा? सब जानते हैं कि पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की भावनाओं के विपरीत जाकर गांधी परिवार ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। जानकारों की मानें तो गांधी परिवार के इस साहस का जवाब देने के लिए अब सीएम अमरेन्द्र अपने समर्थक विधायकों और सांसदों की बैठक करने में जुट गए हैं। लेकिन इस बार गांधी परिवार ने भी कैप्टन को सबक सिखाने की ठान ली है।
अभी देखना होगा कि कैप्टन और सिद्धू की जंग कहां तक पहुंचती है?
लेकिन इस बीच राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने जंग को भड़काने वाला काम शुरू कर दिया है। सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित किए जाने के बाद 18 जुलाई की रात को ट्विटर पर पत्रकार शकील अख्तर ने लिखा कि अमरेन्द्र सिंह हो या अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनते ही यह समझ लेते हैं कि पार्टी उनकी वजह से जीती है। कोई अपने दम पर नहीं जीतता। 20 साल से ज्यादा अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी ने कभी अपना महत्व नहीं जताया। नतीजा यह हुआ कि वे वोट लाती थी और कांग्रेसी अपना चमत्कार समझ कर गैर जवाबदेही से काम करते थे। हार जाते तो दोष राहुल पर, जीत का सहरा खुद के माथे, सिद्धू को बनाकर नेतृत्व ने सही कियाए ताकत बताना जरूरी था। शकील अख्तर के इस ट्वीट को अजय माकन ने रीट्वीट कर दिया।
इससे राजस्थान की राजनीति में खलबली मच गई है। सब जानते हैं कि सीएम अशोक गहलोत और असंतुष्ट नेता सचिन पायलट के बीच अजय माकन मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। माकन ने एक बार भी पायलट के विरुद्ध प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। लेकिन ट्वीट को रीट्वीट करने से प्रतीत होता है कि माकन सीएम गहलोत की भूमिका से संतुष्ट नहीं है। माकन चाहते हैं कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को सरकार और संगठन में महत्व मिले। लेकिन सीएम गहलोत इस प्रस्ताव पर सहमत नहीं है। सूत्रों के अनुसार गहलोत का कहना है कि जिन लोगों ने मेरे नेतृत्व में सरकार को बचाया है, उन्हें संगठन और सरकार में स्थान मिलना चाहिए। जो लोग सरकार गिराने के षड्यंत्र में शामिल थे, उन्हें अब सरकार में शामिल नहीं किया जा सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जुलाई माह में जब सचिन पायलट अपने 18 विधायकों के साथ दिल्ली गए थे, तब गहलोत ने पायलट को धोखेबाज, मक्कार और नकारा तक कहा था।
वे ही पायलट एक माह बाद वापस आ गए, लेकिन अभी भी सीएम गहलोत और उनके समर्थक पायलट को धोखेबाज ही मानते हैं। हालांकि पिछले एक वर्ष की अवधि में पायलट ने सरकार को लेकर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। अलबत्ता पायलट का यही कहना है कि जुलाई अगस्त में जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी उनकी क्रियान्विति होनी चाहिए। सूत्रों के अनुसार गांधी परिवार भी चाहता है कि पायलट और उनके समर्थकों को सरकार में एडजस्ट किया जाए। गांधी परिवार में अपनी भावनाएं अजय माकन के जरिए अशोक गहलोत तक पहुंचाई भी हैं। लेकिन अभी इन भावनाओं के अनुरूप गहलोत ने कोई निर्णय नहीं लिया है। इसलिए यह सवाल उठा है कि गांधी परिवार ने जो साहस पंजाब में दिखाया है क्या वह राजस्थान में भी दिखाया जाएगा? सूत्रों के अनुसार गांधी परिवार राजस्थान को लेकर भी गंभीर है। उम्मीद है कि पंजाब के बाद राजस्थान में ही फोकस किया जाएगा। फिलहाल अजय माकन के रीट्वीट से पायलट के समर्थक उत्साहित हैं।
सबकी राय पर फैसला:

नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने पर 19 जुलाई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई प्रतिक्रिया में गहलोत ने कहा कि कांग्रेस की परंपरा रही है कि हर निर्णय से पहले सभी राय मशवरा होता है एवं सभी को अपनी बात रखने का मौका मिलता है। सबकी राय को ध्यान में रखकर जब एक बार पार्टी हाईकमान फैसला ले लेता है, तभी कांग्रेस जन एकजुट होकर उसे स्वीकार करने की परंपरा निभाते हैं। यही कांग्रेस की आज भी सबसे बड़ी ताकत है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भी कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी से मिलकर मीडिया के सामने पिछले सप्ताह ही घोषणा कर दी थी कि वह कांग्रेस अध्यक्षा के हर फैसले को स्वीकार करेंगे। कांग्रेस अध्यक्षा ने नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की घोषणा कर दी है। सिद्धू को

बधाई

एवं शुभकामनाएं। उम्मीद है कि वे कांग्रेस पार्टी की परंपरा का निर्वहन भी करेंगे एवं सभी को साथ लेकर पार्टी की रीति नीति को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। सीएम गहलोत ने जो प्रतिक्रिया दी है उससे अब राजनीतिक क्षेत्रों में अनेक मायने लगाए जा रहे हैं।

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