गांधी परिवार की रायशुमारी से 10 घंटे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान के 114 एसडीएम बदले। कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की सिफारिश से हुए तबादले।
राजनीति में ऐसा मास्टर स्ट्रोक अशोक गहलोत ही चला सकते हैं।
मंत्रिमंडल में फेरबदल की विस्फोटक खबरें फुस्स। तो सचिन पायलट नहीं देंगे। गहलोत सरकार पर राय।
विधानसभा परिसर का दुरुपयोग-कटारिया।
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27 जुलाई की रात 12 बजे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर राजस्थान के 283 आरएएस के तबादले कर दिए गए। इनमें से 114 एसडीएम हैं। किसी भी विधायक की अपने क्षेत्र में तभी चलती है जब क्षेत्र का एसडीएम भरोसे का हो। कांग्रेस और गहलोत सरकार को समर्थन देने वाले 13 निर्दलीय विधायकों ने अपने अपने क्षेत्र के एसडीएम बदलने की सिफारिश कर रखी थी, लेकिन ऐसी सिफारिश लम्बे समय से सीएमआर में लंबित पड़ी थीं। सवाल उठता है कि आखिर 27 जुलाई को आधी रात को एक साथ 283 आरएएस के तबादले की जरूरत क्या पड़ गई? असल में 28 जुलाई को सुबह 10 बजे से जयपुर में कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की रायशुमारी हो रही है। यह रायशुमारी कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार के निर्देश पर प्रदेश प्रभारी अजय माकन कर रहे हैं। यानी रायशुमारी से 10 घंटे पहले मुख्यमंत्री गहलोत ने सभी विधायकों को खुश कर दिया। जो विधायक अपनी राय देने के लिए माकन के समक्ष उपस्थित हो रहे हैं, वे इस बात से खुश है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में सिफारिशी एसडीएम की नियुक्ति हो गई है। ऐसे में विधायक गहलोत सरकार को लेकर क्या राय देंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने एक एक विधायक की सिफारिश का ख्याल रखा है। राजनीति में ऐसा मास्टर स्ट्रोक अशोक गहलोत ही चला सकते हैं। कौन सा काम कब करना है यह गहलोत अच्छी तरह जानते हैं। इसे गहलोत की रणनीति ही कहा जाएगा कि कांग्रेस के विधायकों के साथ निर्दलीय विधायकों को भी माकन से मिलाया जा रहा है। माकन को 118 विधायकों की सूची दी गई है। यदि सचिन पायलट के समर्थक 18 विधायकों को अलग कर दिया जाए तो 100 विधायक ऐसे होंगे जो अशोक गहलोत के पक्ष में राय देंगे। आखिर 10 घंटे पहले प्रसाद मिलने का कुछ तो असर होगा ही।
पायलट नहीं देंगे राय:
अजय माकन कांग्रेस के सभी विधायकों की राय जान रहे हैं। सब जानते हैं कि अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी सचिन पायलट भी टोंक से कांग्रेस के विधायक हैं। माकन 27 जुलाई की रात को ही दिल्ली से जयपुर आ गए थे, लेकिन माकन के जयपुर पहुंचने से पहले ही पायलट दिल्ली आ गए। ऐसी स्थिति में एक विधायक के तौर पर पायलट अपनी राय नहीं देंगे। यह बात अलग है कि 27 जुलाई को पायलट और माकन की मुलाकात दिल्ली में हो गई है। विधायकों की रायशुमारी के बारे में पायलट अच्छी तरह जानते हैं। जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर गहलोत बैठे हैं तो विधायकों की राय कैसी होगी, यह सब जानते हैं। लेकिन ऐसे विधायकों की राय उनकी क्षेत्र के मतदाताओं से मेल खाती है, यह जरूरी नहीं। पायलट दिल्ली में राजस्थान की जनता की राय से ही गांधी परिवार को अवगत करवा रहे हैं। विधायकों की राय तो 10 घंटे पहले ही प्रभावित हो गई।
फेरबदल की खबरें फुस्स:
पिछले तीन चार दिनों से मीडिया में गहलोत मंत्रिमंडल में फेरबदल की विस्फोटक खबरें प्रकाशित हो रही थीं, लेकिन अब ऐसी खबरें फुस्स हो गई हैं। जानकारों की मानें तो अजय माकन की रायशुमारी भी एक तरफा है। इससे समस्या का हल नहीं निकलेगा। मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार तभी होगा, जब गहलोत चाहेंगे। सचिन पायलट को पता है कि किस उद्देश्य से विधायकों से फीडबैक लिया जा रहा है। अभी ऐसा कोई मौका नहीं है जिसमें विधायकों की राय जानी जाए। गहलोत को अपनी स्थिति और मजबूत दिखानी है, इसलिए रायशुमारी के बीच सुलह कराने वाला नहीं है। राजस्थान में नवम्बर-दिसम्बर 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इससे पहले जुलाई 22 में राजस्थान से राज्यसभा की चार सीटों के चुनाव होने हैं। गहलोत ने गांधी परिवार को भरोसा दिलाया है कि चार में से 3 सीटें कांग्रेस को दिलवा दी जाएगी। विधायकों से रायशुमारी करने वाले अजय माकन भी राज्यसभा का सांसद बनने के लिए लालायित हैं। माकन जयपुर में विधानसभा परिसर में 29 जुलाई तक विधायकों से फीडबैक लेंगे।
विधानसभा का दुरुपयोग:
कांग्रेस विधायकों की रायशुमारी विधानसभा परिसर में किए जाने पर प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया ने एतराज जताया है। कटारिया ने कहा कि विधानसभा का उपयोग दलगत राजनीति के लिए नहीं होना चाहिए। विधानसभा प्रदेश की जनता की है। ऐसे में किसी राजनीतिक दल की रायशुमारी नहीं होनी चाहिए। अच्छा होगा कांग्रेस अपने झगडों पर रायशुमारी किसी अन्य स्थान पर करती। उन्होंने आरोप लगाया कि विधानसभा में रायशुमारी का कार्यक्रम रख कर सत्तारूढ़ पार्टी ने विधानसभा का दुरुपयोग किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है, लेकिन जब कभी एक पार्टी ने कई नेता होते हैं तो फिर सत्ता को लेकर ऐसी ही खींचतान होती है।