एक भी विधायक सरकार से नाराज नहीं। ढाई साल में 64 प्रतिशत चुनावी वायदे पूरे। तो अब गांधी परिवार राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट के बीच किस बात की सुलह करवाएगा?

एक भी विधायक सरकार से नाराज नहीं। ढाई साल में 64 प्रतिशत चुनावी वायदे पूरे।
तो अब गांधी परिवार राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट के बीच किस बात की सुलह करवाएगा?
कांग्रेस घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष ताम्रध्वज साहू के छत्तीसगढ़ में सियासी घमासान हो रहा है।
राजस्थान के सियासी संकट पर राहुल गांधी के साथ अजय माकन की बैठक।
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सब जानते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट के बीच राजनीतिक खींचतान है। इस खींचतान को देखते हुए ही कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे गांधी परिवार ने सुलह कमेटी भी बनाई है। गांधी परिवार के निर्देश पर प्रदेश् प्रभारी महासचिव अजय माकन ने 28 व 29 जुलाई को जयपुर में कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों से मिलकर राय जानी। दो दिन की रायशुमारी के बाद माकन ने कहा कि एक भी विधायक सरकार से नाराज नहीं है। मंत्रियों में तो त्याग की इतनी भावना है कि वे मंत्री पद छोड कर संगठन में कार्य करने के इच्छुक हैं।

अजय माकन गहलोत सरकार को शाबाशी  का सर्टिफिकेट देकर रवाना ही हुए थे कि 31 जुलाई को कांग्रेस घोषणा पत्र कमेटी के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ सरकार के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू जयपुर आ गए। अजय माकन जब विधानसभा में मुख्यमंत्री के कक्ष में बैठकर एक एक विधायक से मिल रहे थे, तब अशोक गहलोत सीएमआर में चुनावी घोषणाओं की क्रियान्विति की समीक्षा कर रहे थे। यही वजह रही कि जब 31 जुलाई को ताम्रध्वज साहू ने बैठक की तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर अपना एक ब्लॉग पोस्ट कर दिया। इस ब्लॉग में गहलोत ने कहा कि गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की जनता से 501 वायदे किए थे, इनमें से 321 वायदे अभी तक पूरे किए जा चुके हैं। यानी 64 प्रतिशत वायदे ढाई वर्ष में पूरे कर दिए हैं। 138 वायदे प्रगतिरत हैं, जिन्हें शीघ्र पूरा कर दिया जाएगा। अजय माकन और ताम्रध्वज साहू ने कहा कि वे अपनी अपनी रिपोर्ट कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को सौंपेंगे। लेकिन सवाल उठता है कि जब एक भी विधायक सरकार से नाराज नहीं हैं और 64 प्रतिशत चुनावी वायदे पूरे हो गए हैं तो फिर गांधी परिवार अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच क्या सुलह करवाएगा? सीएम गहलोत ने जो रणनीति बनाई उसमें कोई विवाद ही नजर नहीं आ रहा है।

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पायलट की अब यह बात भी कोई मायने नहीं रखती है कि चुनावी वायदे पूरे नहीं हुए हैं। असल में यह सब गहलोत की रणनीति का हिस्सा है। विधायकों की रायशुमारी और ताम्रध्वज साहू का जयपुर आना भी गहलोत की रणनीति ही है। गहलोत यह दर्शाने में सफल रहे हैं कि 100 से भी ज्यादा विधायक सरकार के समर्थन में हैं। लेकिन जमीनी हकीकत अलग है। जब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सीधा संवाद नहीं होगा, तब तक राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संकट खत्म नहीं होगा। विधायकों की रायशुमारी करवा कर गहलोत भले ही अपने पक्ष में हवा बना लें, लेकिन पायलट के समर्थकों में नाराजगी बरकरार हैं। कांग्रेस की राजनीति में पायलट की अनदेखी नहीं की जा सकती है। पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष तब बने थे, जब प्रदेश में कांग्रेस के 200 में से मात्र 21 विधायक थे। वर्ष 2008 से 2013 तक अशोक गहलोत ही कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे। तब भी प्रदेश में ऐसा ही माहौल बनाया गया था। कांग्रेस की स्थिति इतनी ही अच्छी थी तो चुनाव में कांग्रेस के 21 विधायक ही क्यों चुने गए? सब जानते हैं कि भाजपा शासन में पायलट ने ही संघर्ष किया और 2018 में कांग्रेस को 100 सीटें दिलवाई। कांग्रेस ने भले ही पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया, लेकिन सरकार बनवाने का श्रेय तो पायलट को ही जाता है। अब ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है कि राजस्थान में कांग्रेस को सचिन पायलट की जरूरत नहीं है। जबकि पायलट पहले ही कह चुके हैं कि यदि ऐसे ही हालात रहे तो 2013 की स्थिति हो जाएगी। मौजूदा समय में कांग्रेस संगठन की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले वर्ष से जिला और ब्लॉक कार्यकारिणी भंग पड़ी है।

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साहू के छत्तीसगढ़ में घमासान:
जो ताम्रध्वज साहू जयपुर में आकर गहलोत सरकार के चुनावी वायदों की समीक्षा कर रहे हैं, उन साहू के गृह प्रदेश छत्तीसगढ़ में कांग्रेस में सियासी घमासान छिड़ गया है। साहू छत्तीसगढ़ में गृहमंत्री हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कार्यशैली से नाराज विधानसभा अध्यक्ष और कई मंत्री 31 जुलाई को दिल्ली पहुंच गए हैं। असंतुष्ट कांग्रेसी अब गांधी परिवार से मुलाकात कर मुख्यमंत्री की शिकायत करेंगे।
राहुल के साथ बैठक:
राजस्थान में सरकार और संगठन के साथ सब ठीक चल रहा है इसका सर्टिफिकेट भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ले लिया हो, लेकिन 1 अगस्त को रात 8 बजे राहुल गांधी के साथ प्रदेश प्रभारी अजय माकन की एक महत्वपूर्ण बैठक हो रही है। जानकार सूत्रों के अनुसार इस बैठक में माकन अपने तीन दिवसीय राजस्थान दौरे की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि गहलोत के प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट पिछले एक सप्ताह से दिल्ली में ही डेरा जमाए हुए हैं। सूत्रों की मानें तो पायलट का गांधी परिवार से लगातार संपर्क बना हुआ है। पायलट ने भी राजस्थान की स्थिति से गांधी परिवार को अवगत करा रखा है। राहुल गांधी के साथ होने वाली बैठक को राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।