Web One, Web Two…. This Board Of The Country Kept Earning Crores!
कोरोनाकाल में परीक्षाएं नहीं होने से राजस्थान के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर को कई करोड़ की बचत हुई है। बोर्ड परीक्षाओं में आवेदन करने के लिए छात्रों से फीस लेने के बाद परीक्षा नहीं कराई गईं। परीक्षाएं कराने के बोर्ड के सभी खर्चे बच गए। अब करोड़ों की इस राशि का इस्तेमाल राजस्थान के खस्ताहाल स्कूलों की दशा सुधारने में किए जाने की मांग उठ रही है।
Web One, Web Two…. This Board Of The Country Kept Earning Crores!
-मालामाल बोर्ड, खस्ताहाल स्कूल!
-माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर के कोरोनाकाल में बचे 76 करोड़ रुपए
सीकर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, अजमेर (Ajmer) कोरोनाकाल में परीक्षा स्थगित होने की वजह से मालामाल हो गया है। पिछले साल सभी विषयों की परीक्षाएं नहीं होने और इस बार परीक्षा स्थगित होने से बोर्ड को सीधे तौर पर लगभग एक अरब रुपए की बचत हुई है।
खुद बोर्ड ने माना पेपर व कॉपियों का हुआ खर्चा
बोर्ड अध्यक्ष कई बार बयान दे चुके है कि परीक्षा होने से कई महीने पहले प्रश्न पत्र व कॉपियों का टेंडर हो जाता है। इस बार भी बोर्ड का प्रश्न पत्र व कॉपियों का खर्चा तो हुआ ही है। वह खुद मान चुके है कि परीक्षाएं नही होने से अन्य खर्च नहीं हुए है। एक्सपर्ट का मानना है कि प्रश्न पत्र व कॉपियों की प्रिटिंग पर लगभग 40 करोड़ का खर्चा हुआ है।
परीक्षा नहीं होने से यह पैसा बचा
परीक्षाएं नहीं होने से बोर्ड के प्रमुख सात मदों के खर्चे पूरी तरह बच गए है। परीक्षाएं नहीं होने की वजह से वीक्षकों को किसी तरह का पैसा नहीं देना पड़ा। इसके अलावा परीक्षा केन्द्रों पर कैमरे, कॉपी जांचने का पैसा, उडऩदस्तों, परीक्षा संग्रहण केन्द्रों की स्टेशनरी व परीक्षा पूर्व तैयारियों के दौरे से टीए-डीए का पैसा बोर्ड का बच गया है।
सवाल: क्यों नहीं मिल रहा बच्चों को अपना हक
प्रदेश के निजी स्कूलों की ओर से भी इस मामले में मांग उठाई जा रही है। निजी स्कूलों के प्रतिनिधियों का तर्क है कि बोर्ड को बचत की राशि का कुछ हिस्सा जरूरतमंद होनहार विद्यार्थियों के उपर खर्च करना चाहिए। इससे उनका उच्च शिक्षा का सपना पूरा हो सकेगा। इसके लिए हर जिले से कम से कम पांच होनहारों का शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन के जरिए चयन किया जाना चाहिए। इसके अलावा शेष राशि को सरकारी स्कूलों को दिया जाता है निजी स्कूलों को भी कोई आपत्ति नहीं है। बोर्ड प्रशासन के बच्चों के हक पर कुण्डली मारने से कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।
फैक्ट फाइल
सत्र 2020-21
दसवीं बोर्ड में आवेदन- 12 लाख 55000
12 वीं बोर्ड- 8 लाख 53000
प्रति विद्यार्थी फीस- 600 रुपए
पिछले साल परीक्षार्थी- 21 लाख
दोनों साल की बचत- एक अरब
इस सत्र में बोर्ड को सीधे तौर पर बचत- 76 करोड़
सरकार करे पहल…
यह बच्चों का पैसा है इस राशि पर बोर्ड का अधिकार नहीं है। यह राशि बोर्ड को जिला मुख्यालयों पर बच्चों की सुविधा के लिए सदुपयोग में खर्च की जानी चाहिए। सरकार को इस मामले में पहल करनी चाहिए।
उपेन्द्र शर्मा प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)
आप जानते होंगे…पढ़ाई में आगे, संसाधनों में पीछे हमारे स्कूल
प्रदेश के सरकारी स्कूल शैक्षिक गुणवत्ता के मामले में लगातार आगे आ रहे हैं। इस साल रैकिंग में भी राजस्थान आगे आया है। लेकिन संसाधनों के मामलों में स्कूल काफी पीछे है। वर्तमान दौर के अभिभावक व विद्यार्थी स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ संसाधन भी देखते हैं। यदि सरकारी स्कूलों में पानी, बिजली, फर्नीचर, हाईटेक आईटी लैब व परिवहन सुविधा हो तो निजी स्कूलों को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। इस साल परीक्षा नहीं होने से बोर्ड के पास पैसा बचा है। इस राशि से बोर्ड आसानी से 550 से अधिक स्कूलों को संवार सकता है।
धर्मेन्द्र शर्मा, सामाजिक कार्यकर्ता, सीकर