एमडीएस के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी के सख्त रुख से 120 करोड़ रुपए की आय का रास्ता साफ।
80 हजार विद्यार्थियों की जुर्माना राशि 16 अगस्त तक प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों को जमा करवानी पड़ेगी।
राज्यपाल ने अब उद्यमिता केन्द्र के मामले में यूनिवर्सिटी की कार्यवाही पर रोक लगाई। प्रोफेसर बीपी सारस्वत ने शिकायत की थी।
प्रोफेसर सारस्वत राजभवन में कंफ्यूजन पैदा कर रहे हैं-कुलपति थानवी।
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अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी के सख्त रुख के चलते यूनिवर्सिटी को 120 करोड़ रुपए की आय का रास्ता साफ हो गया है। बगैर अनुमति के प्रवेश देने पर प्रति विद्यार्थी 15 हजार रुपए का जो जुर्माना प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों पर लगाया था उसे जयपुर स्थित हाईकोर्ट के न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने सही ठहराया है। यानी अब संचालकों को अवैध तरीके से दिए प्रवेश वाले विद्यार्थियों को परीक्षा दिलवानी है तो यूनिवर्सिटी के कोष में प्रति विद्यार्थी 15 हजार रुपए का जुर्माना जमा करवाना ही पड़ेगा। यूनिवर्सिटी पहले ही दो बार परीक्षा आवेदन की तिथि बढ़ा चुकी है, इसलिए अब आवेदन की तिथि को नहीं बढ़ाया जाएगा। ऐसे में आवेदन की अंतिम तिथि 16 अगस्त तक ही जुर्माना राशि जमा करवानी होगी। ऐसे 80 हजार विद्यार्थी हैं, जिन्हें प्राइवेट कॉलेजों में गलत तरीके से प्रवेश दिया गया। इन 80 हजार विद्यार्थियों से ही यूनिवर्सिटी को 120 करोड़ रुपए की आय होगी। जुर्माना राशि विद्यार्थियों से नहीं ली गई है, इस आशय का एक शपथ पत्र कॉलेज संचालकों को यूनिवर्सिटी में प्रस्तुत करना होगा। संभवत: यह पहला अवसर है, जब कॉलेज के संचालकों से अवैध प्रवेश पर जुर्माना राशि वसूली जा रही है। अब तक ऐसे अवैध प्रवेश पर कॉलेज संचालक यूनिवर्सिटी के कुलपति पर राजनीतिक दबाव डालकर विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल करवा लेते थे, लेकिन इस बार कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी ने शुरू से ही सख्त रुख अपनाया। पहले एकेडमिक काउंसिल से 15 हजार रुपए के जुर्माने का निर्णय करवाया और फिर सीएमआर तक संदेश करवा दिया कि यह निर्णय बदला नहीं जाएगा। जब राजनीतिक दबाव काम में नहीं आया तो प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों ने जोधपुर और जयपुर हाईकोर्ट में अलग अलग याचिकाएं प्रस्तुत की। जोधपुर में तो याचिका अभी लंबित है, लेकिन 12 अगस्त को हाईकोर्ट की जयपुर स्थित बेंच के न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने न केवल याचिका खारिज की बल्कि अवैध प्रवेश के लिए कॉलेज संचालकों और विद्यार्थियों दोनों को कसूरवार ठहराया। न्यायाधीश शर्मा का कहना रहा कि कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थी को भी यह पता होना चाहिए कि उसके प्रवेश के लिए संबंधित कॉलेज के पास यूनिवर्सिटी की स्वीकृति है या नहीं? ओम थानवी के सख्त रुख और हाईकोर्ट के फैसले से अब अवैध प्रवेश की समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी। क्योंकि अब कोई संचालक स्वीकृत संख्या से ज्यादा विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं देगा। ऐसे अवैध प्रवेश वाले विद्यार्थियों को स्वयं पाठी मान कर परीक्षा दिलवाएगी, भले कॉलेज ने ऐसे विद्यार्थी को नियमित माना हो।
यूनिवर्सिटी की कार्यवाही पर रोक:
एमडीएस यूनिवर्सिटी के उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय प्रबंध केन्द्र की सम्पत्तियों को खुर्द बुर्द किए जाने के मामले में राज्यपाल और यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति कलराज मिश्र ने यूनिवर्सिटी की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। राज्यपाल के सचिव सुबीर कुमार ने 13 अगस्त को कुलपति ओम थानवी को एक पत्र लिखकर बताया कि यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय के आचार्य रहे और केंद्र के संचालक निदेशक प्रो. बीपी सारस्वत ने अपनी शिकायत में केंद्र की सम्पत्तियों को खुदबुर्द करने की बात कही है। सारस्वत ने अपनी शिकायत में कहा कि भारत सरकार के लद्यु उद्योग मंत्रालय के सहयोग से केन्द्र की स्थापना हुई थी। यह केन्द्र पिछले 17 वर्षों से चल रहा है और स्ववित्तपोषित है। इस केंद्र से विद्यार्थियों को लाभ मिल रहा है, लेकिन अब केंद्र की सम्पत्तियों को खुर्दबुर्द करने का षडय़ंत्र किया जा रहा है। पत्र में कुलाधिपति कलराज मिश्र की ओर से कुलपति को निर्देश दिए गए हैं कि सीईएसडीएम का विश्व विद्यालय में विलयन के किसी भी निर्णय को स्थागित रखा जाए तथा इस प्रकरण में विश्वविद्यालय की विस्तृत रिपोर्ट तीन दिवस में राजभवन भिजवाई जाए। शिकायतकर्ता प्रो. सारस्वत ने कुलाधिपति के निर्णय का स्वागत करते हुए एसडीएम यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी पर अपनी विचारधारा के तहत काम करने का आरोप लगाया। सारस्वत ने कहा कि थानवी ने यूनिवर्सिटी को राजनीति का अखाड़ा बना दिया है। थानवी कुलपति बनने की शैक्षणिक योग्यता भी नहीं रखते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने थानवी को साढ़े तीन लाख विद्यार्थियों वाली यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति बना रखा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि योग केन्द्र से प्रशिक्षकों को हटाने के यूनिवर्सिटी के निर्णय पर भी कुलाधिपति रोक लगाई थी।
कन्फ्यूजन पैदा करने का आरोप:
एमडीएस यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति ओम थानवी ने कहा कि उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय प्रबंध केन्द्र की गतिविधियों को लेकर प्रोफेसर बीपी सारस्वत राजभवन में कंफ्यूजन पैदा कर रहे हैं। यह सही है कि केंद्र की स्थापना के समय भारत सरकार ने एक करोड़ रुपए की राशि दी थी। लेकिन अब इस केंद्र में उद्यमिता और लघु व्यवसाय को लेकर कोई कोर्स नहीं चल रहा है। केंद्र में एमबीए की पढ़ाई करवाई जाती है और यह एमबीए कोर्स भी यूनिवर्सिटी द्वारा संचालित हो रहा है। इसलिए इस केंद्र को यूनिवर्सिटी के अधीन लाने की कार्यवाही की जा रही है। थानवी ने कहा कि सारस्वत यदि यूनिवर्सिटी में पत्र लिखकर जानकारी मांगते तो उन्हें सही जानकारी उपलब्ध करवा दी जाती। मेरे कार्यकाल में यूनिवर्सिटी में सभी कार्य नियमानुसार किए जा रहे हैं। प्रोफेसर सारस्वत यूनिवर्सिटी में कार्य कर चुके हैं, इसलिए उन्हें भी यूनिवर्सिटी के नियमों और प्रावधानों का ज्ञान होना चाहिए। केंद्र का सारा खर्चा मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी द्वारा ही वहन किया जा रहा है। थानवी ने कहा कि इस संबंध में नियमों के अनुकूल रिपोर्ट राज्यपाल को प्रेषित कर दी जाएगी।