टीबी मुक्त राजस्थान बनाने के लिए व्यापक स्तर पर जांच कर टीबी के मरीजों का किया जाएगा चिन्हीकरण
-चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री
जयपुर, 2 सितंबर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा है कि प्रदेश को 2025 से पूर्व टीबी मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। प्रदेश में आगामी नवंबर माह में आयोजित स्वास्थ्य शिविरों में व्यापक स्तर पर जांच कर टीबी के मरीजों का चिन्हीकरण किया जाएगा।
डॉ. शर्मा गुरुवार को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता में वर्चुअली आयोजित एक्टिव केस फाइंडिग कैंपेन और निक्षय पोषण योजना अभियान को गति देने के लिए लॉन्च कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में देश के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री व वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
टीबी रोगियों के चिन्हीकरण में लाई जाएगी गत
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि आमजन तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार निरंतर प्रयासरत है। इसी क्रम में आगामी नवंबर माह में प्रदेश के पंचायत मुख्यालयों पर विशेष स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इसमें अन्य जांचों के साथ टीबी जांच की भी सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे टीबी रोगियों की पहचान के कार्य में तेजी आएगी और मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा।
2017 से जारी है एसीएफ अभियान
डॉ. शर्मा ने बताया कि प्रदेश में टीबी रोगियों के चिन्हीकरण के लिए वर्ष 2017 से ही एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान चल रहा है। इसकी लॉन्चिंग के बाद इस अभियान में और अधिक गति लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2021 में अब तक 96 हजार 823 टीबी के मामले निक्षय पोर्टल पर अधिसूचित किए गए हैं, जबकि वर्ष 2020 में 1 लाख 37 हजार केसेज अधिसूचित किए थे। इस वर्ष कोरोना के चलते टीबी रोगियों के चिन्हीकरण धीमा रहा। उन्होंने कहा कि आगामी महीनों इसमें और गति प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 72 हजार मरीज टीबी का इलाज ले रहे हैं।
लाभार्थियों को निरंतर किया जा रहा भुगतान
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को उपचार के दौरान 500 रुपए प्रतिमाह दिए जाते हैं। राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में 96 हजार 394 क्षय रोगियों को 25.05 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2021 में अब तक करीब 48 हजार लाभार्थियों को 8 करोड़ 20 लाख रुपए का भुगतान किया है।
मोबाइल वैन व कार्टरिज की उपलब्धता जरुरी
डॉ. शर्मा ने कार्यक्रम में केन्द्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया से टीबी रोगियों के चिन्हीकरण के लिए उपयोग में आने वाले उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में टीबी जांच हेतु 60 सीबी नॉट एवं 60 ट्रू नॉट मशीनें उपलब्ध हैं। जबकि 100 से अधिक मशीनों की आउटसोर्सिंग प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। उन्होंने कहा कि राजस्थान भौगालिक दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा राज्य है, जहां संसाधनों की भी अधिक आवश्यकता पड़ती है। अतः केन्द्र सरकार द्वारा 3 मोबाइल वैन व एक अतिरिक्त सीबी नॉट युक्त मोबाइल वैन राजस्थान को उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया। उन्होंने सीबी नॉट मशीनों में उपयोग में आने वाले कार्टरिज की कमी को लेकर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रतिवर्ष 1.50 लाख कार्टरिज की आवश्यकता है। ऎसे में पूर्व की भांति केन्द्र द्वारा ही कार्टरिज उपलब्ध करवाई जाए।
पर्याप्त संख्या में वैक्सीन उपलब्ध कराने की मांग
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश ने 15 लाख कोरोना वैक्सीन प्रतिदिन लगाने के लिए आधारभूत ढांचा लिया गया है। उन्होंने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मनसुख मंडाविया से क्षमता के अनुसार वैक्सीन उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अपनी तैयारी में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि विभाग ने 1 हजार मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए उत्पादन प्लांट से लेकर कंसंट्रेटर की भी व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि शिशु चिकित्सालयों में भी नीकू, पीकू, एस.एन.सी.यू. व आईसीयू बैड की संख्या में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। साथ ही चिन्हित 332 सीएचसी में भी आधारभूत ढांचे को मजबूत किया गया है, जिससे कि जिला स्तरीय चिकित्सा संस्थानों में मरीजों का भार ना पड़े और आमजन को नजदीक ही चिकित्सा सुविधा मिल सके।