मुख्यमंत्री का महत्वपूर्ण निर्णय
प्रदेश में 1656 किलोमीटर लम्बी सड़कें राजमार्गाें में क्रमोन्नत हाेंगी
जयपुर, 7 सितम्बर। प्रदेश मेें 20 जिलों की कुल 1656 किलोमीटर लम्बाई की ग्रामीण, अन्य जिला एवं मुख्य जिला सड़कों को राज्य राजमार्गों में क्रमोन्नत किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने इसके लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है।
श्री गहलोत ने राज्य बजट 2021-22 में प्रदेशभर के दूरदराज के क्षेत्रों को जोड़ने वाली ग्रामीण, अन्य जिला एवं मुख्य जिला सड़कों को राजमार्गों में क्रमोन्नत करने की घोषणा की थी। इस क्रम में संबंधित जिलों से प्रस्ताव प्राप्त कर उन पर विचार और विश्लेषण के बाद कुल 1712 किलोमीटर से अधिक लम्बाई की सड़कों के क्रमोन्नयन को स्वीकृति दी गई है। लगभग 56 किलोमीटर लम्बाई में ऑवरलैपिंग के चलते राज्य राजमार्ग घोषित होने वाली सड़कों की वास्तविक लम्बाई लगभग 1656 किलोमीटर है।
स्वीकृत प्रस्ताव के अनुसार, बाड़मेर जिले में 181 किलोमीटर लम्बी दो सड़कें, सवाईमाधोपुर और करौली से गुजरने वाली 199 किलोमीटर लम्बी दो सड़कें, टोंक से सवाईमाधोपुर होकर करौली जिले तक जाने वाली 158 किलोमीटर लम्बी सड़क, नागौर से अजमेर होकर जयपुर जिले तक जाने वाली 172 किलोमीटर लम्बी सड़क तथा धौलपुर और करौली से गुजरने वाली 137 किलोमीटर लम्बी सड़क राज्य राजमार्ग घोषित की जाएंगी।
उल्लेखनीय है कि दौसा, अलवर एवं सवाईमाधोपुर से गुजरने वाली 88 किलोमीटर लम्बाई की सड़कों, भीलवाड़ा से राजसमंद होकर अजमेर जिले तक जाने वाली 75 किलोमीटर लम्बी सड़क, भीलवाड़ा से अजमेर होकर नागौर जिले तक जाने वाली 69 किलोमीटर लम्बी सड़क, कोटा और झालावाड़ से गुजरने वाली 60 किलोमीटर सड़क तथा बारां से कोटा होकर झालावाड़ जिले तक जाने वाली 49 किलोमीटर लम्बी सड़क को भी राजमार्ग बनाया जाना प्रस्तावित है।
प्रस्ताव के अनुसार, बूंदी जिले में 152 किलोमीटर से अधिक लम्बाई की 21 सड़कों, झालावाड़ में 63 किलोमीटर लम्बी 14 सड़कों, बारां में 73 किलोमीटर लम्बी 5 सड़कों, पाली में 56 किलोमीटर लम्बी 4 सड़कों, टोंक जिले में 45 किलोमीटर लम्बी 6 सड़कों सहित बीकानेर में 93 किलोमीटर, जोधपुर में 28 किलोमीटर और जयपुर जिले मेें 15 किलोमीटर लम्बाई की एक-एक सड़क भी राज्य राजमार्ग घोषित की जाएंगी।
श्री गहलोत द्वारा बड़ी संख्या में सड़कों को राजमार्ग घोषित करने के इस निर्णय से प्रदेशभर मेें ग्रामीण आबादी को आवागमन में सहूलियत होगी और आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से लाभ होगा।