ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी और जयपुर कमिश्नरेट की महिला कांस्टेबल के अश्लील वीडियो प्रकरण में प्यादों को सस्पेंड करने से कुछ नहीं होगा।
आखिर महिला मित्रों का शौकीन सैनी किसकी मेहरबानी से तीन साल से ब्यावर में ही नियुक्त था? रुतबा इतना की आईपीएस की नियुक्ति भी नहीं होने दी।
पुष्कर के वेस्टिन रिजॉर्ट एंड स्पा में अश्लील वीडियो बना, इसलिए अजमेर के जेएलएन अस्पताल में सैनी का मेडिकल मुआयना करवाया गया।
नागौर के एएसपी राजेश मीणा को भी कारण बताओ नोटिस।
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11 सितंबर को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में ब्यावर के निलंबित डीएसपी हीरालाल सैनी का मेडिकल मुआयना करवाया गया। सैनी जिस अश्लील वीडियो प्रकरण में गिरफ्तार हुए है, वह वीडियो 10 जुलाई 2021 को पुष्कर स्थित वेस्टिन रिजॉर्ट एंड स्पा में बनाया गया था। इस वीडियो में सैनी जयपुर कमिश्नरेट की महिला कांस्टेबल के साथ अश्लील हरकतें करते नजर आ रहे हैं। राजस्थान पुलिस की छवि खराब करने वाले इस अश्लील वीडियो के प्रकरण में अब तक तीन आरपीएस, दो पुलिस निरीक्षक और आरोपी महिला कांस्टेबल निलंबित हो चुकी है। हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में आईपीएस स्तर के अधिकारियों पर ही कार्यवाही हो। असल में सभी आईपीएस, आरपीएस और थानाधिकारी संदेह के घेरे में इसलिए कि इन्होंने ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी को बचाने की कोशिश की। संबंधित अधिकारी चाहते थे कि यह मामला किसी तरफ रफा दफा हो जाए। सवाल उठता है कि आखिर आईपीएस और आरपीएस स्तर के अधिकारियों ने अपनी नौकरी खतरे में क्यों डाली? आखिर इन बड़े अधिकारियों पर किस का दबाव था? इन सवालों का सही जवाब है कि कांग्रेस सरकार के जिस सत्ता के केंद्र बिंदु ने सैनी को तीन वर्ष तक ब्यावर में जमाए रखा उसी का दबाव था कि अश्लील वीडियो प्रकरण दबा दिया जाए। सैनी की ब्यावर में नियुक्ति अगस्त 2018 में तब हुई थी, जब भाजपा का शासन था, लेकिन अशोक गहलोत के नेतृत्व कांग्रेस की सरकार बनने के बाद भी सैनी का स्थानांतरण ब्यावर से नहीं हुआ। ब्यावर बड़ा उपखंड है, इसलिए नवनियुक्त आईपीएस को ब्यावर में नियुक्त किया जाता है। 10 सितंबर को भी सरकार ने आईपीएस का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कुंदन कावरिया को ब्यावर का सहायक पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया है, लेकिन यह तभी संभव हुआ, जब हीरालाल सैनी सस्पेंड होने के बाद गिरफ्तार हो गए। यदि सैनी सस्पेंड नहीं होते तो उन्हें ब्यावर से कोई नहीं हटा सकता था, क्योंकि पूर्व में भी सरकार ने एक नवनियुक्त आईपीएस को नियुक्ति था, लेकिन सैनी ने अपने प्रभाव से आईपीएस की नियुक्ति निरस्त करवा दी। सूत्रों की मानें तो सैनी की सीध एप्रोच सीएमआर में थी। सीएमआर के एक प्रभावशाली अधिकारी से सैनी जब चाहे, तब मोबाइल पर बात करते थे। यह सही है कि सीएम अशोक गहलोत की ओर से कभी भी गलत और चरित्रहीन अधिकारी को संरक्षण नहीं दिया जाता है, लेकिन सीएमआर में नियुक्त सभी अधिकारियों पर प्रभावी निगरानी नहीं हो सकती। गृह विभाग भी सीएम गहलोत के पास ही है, इसलिए सीएमआर के अधिकारी पुलिस महकमे में बहुत पावरफुल हैं। जब सीएम गहलोत कोरोना संक्रमण के कारण पिछले छह माह से किसी से नहीं मिल रहे हों, तब सीएमआर में नियुक्ति अधिकारियों का ही शासन चलता है। अब तक की जांच पड़ताल में यह सामने आया है जयपुर कमिश्नरेट की महिला कांस्टेबल ने ही 26 जुलाई को जयपुर के कालवाड़ पुलिस स्टेशन पर मुकदमा दर्ज कराया था। इससे दो व्यक्तियों पर दस लाख रुपए मांगने का आरोप लगाया गया। दोनों व्यक्तियों ने महिला कांस्टेबल को धमकी दी थी कि यदि 10 लाख रुपए नहीं ीिए तो पुष्कर के वेस्टिन रिजॉर्ट के स्विमिंग पुल में बना अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा। जानकार सूत्रों के अनुसार वीडियो को वायरल होने से रोकने के लिए 50 लाख रुपए में सौदा भी हो गया, लेकिन 50 लाख रुपए की सुपुर्दगी को लेकर विवाद हो गया। इससे समझौता नहीं हो सका। बात बिगड़ने के बाद ही 2 अगस्त को महिला कांस्टेबल के पति ने नागौर के चितावा थानाधिकारी को अश्लील वीडियो की जानकारी दी थी। कालवाड़ और चितावा की शिकायतों पर नियमानुसार कार्यवाही करने के बजाए पुलिस के अधिकारी समझौते में लगे रहे। अब इस प्रकरण में महिला कांस्टेबल के पति की भूमिका को भी संदिग्ध माना जा रहा है। पति का कहना है उसकी पत्नी ने ही अश्लील वीडियो के कुछ दृश्य अपने मोबाइल पर वाट्सएप स्टेटस पर लगाए थे। सवाल उठता है कि क्या कोई महिला ऐसा अश्लील वीडियो अपने वाट्सएप पर पोस्ट करेगी? असल में यह मामला पुलिस की छवि खराब करने वाला तो है ही साथ पुलिस सिस्टम में राजनीतिक दखल का भी है। पुलिस के अफसर तो बेवजह मारे जा रहे हैं।
एएसपी मीणा को नोटिस:
ब्यावर के निलंबित डीएसपी सैनी के अश्लील वीडियो प्रकरण में नागौर के जिला पुलिस अधीक्षक अभिजीत सिंह ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश मीणा और एसपी ऑफिस के अपराध सहायक गोविंद सिंह को कारण बताओं नोटिस जारी किया है। आरोप है कि महिला कांस्टेबल के पति की लिखित शिकायत जब डाक से प्राप्त हुई थी तो इन दोनों अधिकारियों ने घटना की जानकारी पुलिस अधीक्षक को नहीं दी। चूंकि इस दिन पुलिस अधीक्षक जनसुनवाई में व्यस्त थे, इसलिए ऑफिस में प्राप्त डाक को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मीणा ने ही देखा था।