शिक्षा बोर्ड का रीट कार्यालय तो रिटायर कार्मिको के भरोसे ही चल रहा है। किरोड़ीलाल मीणा और वासुदेव देवनानी के आरोपों के बाद बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली खुद कटघरे में।

शिक्षा बोर्ड का रीट कार्यालय तो रिटायर कार्मिको के भरोसे ही चल रहा है।
किरोड़ीलाल मीणा और वासुदेव देवनानी के आरोपों के बाद बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली खुद कटघरे में।
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राजस्थान में हुइ शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) की गड़बडिय़ों में अब यह बात भी सामने आई है कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का रीट परीक्षा कार्यालय तो रिटायर कार्मिकों के भरोसे ही चल रहा है। रीट कार्यालय शिक्षा बोर्ड के अतिरिक्त भवन में ही संचालित होता है। चूंकि शिक्षा बोर्ड प्रतिवर्ष 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा करवाता है, इसलिए राज्य सरकार रीट की परीक्षा भी शिक्षा बोर्ड के माध्यम से ही करवाती है। हालांकि बोर्ड के सचिव को रीट परीक्षा का समन्वयक बनाया जाता है, लेकिन इस बार बोर्ड अध्यक्ष डीपी जारोली ने दो रिटायर कार्मिकों को अतिरिक्त समन्वयक नियुक्त किया है। एक है शिक्षा बोर्ड से परीक्षा नियंत्रक पद से सेवानिवृत्त हुए जीके माथुर तथा दूसरे हैं राजस्थान यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड लेक्चरर मदन। इसके अलावा रीट कार्यालय में अन्य कार्मिक भी सेवानिवृत्त हैं। हालांकि परीक्षा का अधिकांश काम ठेके पर हो रहा है, लेकिन निगरानी का काम भी अनुबंध पर रखे गए रिटायर कार्मिक ही कर रहे हैं। सब जानते हैं कि अनुबंध पर रखे गए रिटायर कर्मियों पर कोई सेवा नियम लागू नहीं होते हैं। बोर्ड अध्यक्ष को यह बताना चाहिए कि रीट कार्यालय में अधिकांश कार्मिक सेवानिवृत्त वाले ही क्यों रखे गए हैं? सेवानिवृत्त कार्मिक बोर्ड अध्यक्ष जारोली के इशारे पर ही काम करते हैं, परीक्षा का गोपनीय काम भी इन्हीं अनुभव वाले कार्मिकों से करवाया जा रहा है। रीट परीक्षा में हुई गड़बडिय़ों को लेकर संसद किरोड़ीलाल मीणा और भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने जो आरोप लगाएं हैं उससे तो बोर्ड अध्यक्ष जारोली खुद कटघरे में खड़े हो गए है। ऐसा प्रतीत होता है कि पेपर लीक करवाने में खुद बोर्ड अध्यक्ष की भूमिका रही है। सांसद मीणा और विधायक देवनानी का आरोप है कि बोर्ड अध्यक्ष जारोली ने जानबूझकर जयपुर जिले का समन्वयक एक रिटायर व्याख्याता प्रदीप पाराशर को बनाया। अधिकांश जिलों में अतिरिक्त कलेक्टर को रीट परीक्षा का समन्वयक नियुक्त किया गया था, लेकिन जयपुर में इस नियम की पालना नहीं की गई। आरोप है कि 26 सितंबर की परीक्षा से पूर्व 24 सितंबर को जारोली जयपुर में शिक्षा संकुल के उस स्ट्रांग रूम में गए, जहां रीट परीक्षा के प्रश्न पत्र रखे गए थे। बोर्ड अध्यक्ष को यह बताना चाहिए कि क्या वे 24 सितंबर को जयपुर में शिक्षा संकुल में गए थे? रीट परीक्षा की गड़बडिय़ों की जांच कर रही एसओजी को भी 24 सितंबर के शिक्षा संकुल के सीसीटीवी फुटेज अपने कब्जे में लेने चाहिए। यह भी जांच का विषय है कि रिटायर लेक्चरार प्रदीप पाराशर ने अपने स्तर पर चार मित्रों को रीट परीक्षा के काम में क्यों लगाया? क्या इन चारों मित्रों के माध्यम से ही प्रश्न पत्र मुख्य सरगना बत्तीलाल मीणा तक पहुंचे? मीणा की फरारी भी बहुत मायने रखती है। जयपुर में एक ब्लैक लिस्टेड संस्थान को रीट का परीक्षा केंद्र बनाया जाना भी अनेक सवाल खड़े करता है। बोर्ड अध्यक्ष जारोली जनप्रतिनिधियों पर गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियां करते रहते हैं, लेकिन अब उन्हें रीट परीक्षा से गंभीर सवालों के जवाब देने चाहिए। एसओजी ने भी माना है कि 26 सितंबर को परीक्षा से डेढ़ घंटे पहले रीट का प्रश्न पत्र मोबाइल फोन पर वायरल हो गया था। प्रश्न पत्रों के लिफाफों की सील टूटी होने की भी अनेक शिकायतें हैं। रीट परीक्षा से प्रदेश के 31 हजार युवाओं का भविष्य जुड़ा है। रीट परीक्षा में करीब 15 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया है। परिणाम की मेरिट के आधार पर 31 हजार युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिलेगी।