जम्मू कश्मीर में आतंकी वारदातों में लिप्त पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अशरफ अली अजमेर की एक मस्जिद में दो वर्ष तक दरवेश बन कर रहा।
भारत में महत्वपूर्ण स्थानों की रैकी कर सूचनाएं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भेजता था।
अजमेर में पहले भी पकड़े गए हैं हथियार और आतंकी।
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दिल्ली पुलिस ने 11 अक्टूबर को ऐसे पाकिस्तानी आतंकी को गिरफ्तार किया है जो अजमेर की एक मस्जिद में भी दरवेश (धर्मगुरु) बनकर दो वर्ष तक रहा। किसी को भी इस बात की भनक नहीं लगी कि वह दरवेश के भेष में आतंकी है। पूछताछ में पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अशरफ अली ने बताया कि वर्ष 2011 में जम्मू में बस स्टैंड में हुए आतंकी हमले में भी उसकी भूमिका थी। इस हमले में सुरक्षा बलों के पांच जवान मारे गए। दिल्ली हाईकोर्ट और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों की रैकी कर वह सूचनाओं को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को भेजता था। यह सूचनाएं ईमेल के माध्यम से भेजी जाती थी। उसकी सूचनाओं के आधार पर आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जाता था। कोई 15 वर्ष पहले वह पाकिस्तान से भारत आया था। उसने भारत में पासपोर्ट तक नबवा लिए। कोई शक न करें, इसलिए उसने मुस्लिम धर्मगुरु का चोला भी पहन लिया। आतंकी अशरफ देश के कई स्थानों पर रहा। जानकारी के अनुसार अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह क्षेत्र से जुड़े देहली गेट में एक मस्जिद में वह दो वर्ष तक रहा। मस्जिद में रहते हुए वह झाड़ फूंक का काम भी करता था। देहली गेट क्षेत्र भी मुस्लिम बाहुल्य है। हालांकि अभी अजमेर पुलिस को दिल्ली पुलिस से कोई अधिकृत जानकारी नहीं मिली है, लेकिन फिर भी अशरफ की फोटो के आधार पर सूचनाएं एकत्रित की जा रही है। दिल्ली पुलिस आतंकी अशरफ से उसके संपर्क में आए सभी लोगों की जानकारी प्राप्त कर रही है। पुलिस का मानना है कि अशरफ की सूचनाओं के आधार पर अन्य लोग भी पकड़ में आएंगे। असल में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई जासूस के तौर पर पाकिस्तान के व्यक्तियों को भारत भेजती रही है। भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के कारण पाकिस्तानी नागरिकों के पहचान पत्र तक आसानी से बन जाते हैं। अशरफ तो पासपोर्ट बनवाने में भी सफल रहा। इसे भारत की लचर व्यवस्था ही कहा जाएगा कि अशरफ भारतीय पासपोर्ट पर दो बार विदेश यात्रा भी कर आया। चूंकि अशरफ जैसे आतंकी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में रहते हैं, इसलिए स्थानीय प्रशासन और पुलिस को जानकारी नहीं होती। अशरफ ने तो दिल्ली में बिहार की एक महिला से निकाह तक कर लिया, लेकिन बाद में आईएसआई के दबाव में अशरफ को अपनी पत्नी को छोड़ना पड़ा। सूत्रों के अनुसार अशरफ का पाकिस्तान में आईएसआई के अधिकारी नासिर हुसैन से सीधा संपर्क था। दिल्ली पुलिस ने अशरफ के पास से एक एके 47, दो पिस्टल, एक हैंड ग्रेनेड आदि हथियार भी बरामद किए है।
पहले भी पकड़े गए हैं आतंकी:
अजमेर में इससे पहले भी कई आतंकी गिरफ्तार हुए हैं। वर्ष 2010 में कर्नाटक पुलिस ने आतंकी यूसुफ को गिरफ्तार किया। यूसुफ पर दरगाह और पुष्कर की रेकी करने का आरोप था। गेगल थाना पुलिस ने हथियारों का जखीरा ले जा रहे आतंकी मोहम्मद शब्बीर को गिरफ्तार किया। आतंकी मोहम्मद इब्राहिम, हबीब मोहम्मद इलियासी आदि भी दरगाह के निकट धान मंडी की होटल में चार दिन तक ठहरे यहां यह उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में दरगाह के अंदर बम विस्फोट भी हुआ था। नशीले पदार्थों की तस्करी से जुड़े अपराधी भी कई बार अजमेर से पकड़े गए हैं।