चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का जन्मदिन मेडिकल और नर्सिंग काउंसिलों की सरकारी राशि से मनाया तो खेल मंत्री अशोक चांदना के जन्मदिन के जश्न के लिए 6 घंटे तक बच्चों को स्टेडियम में खड़ा रखा गया।
क्या अपने मंत्रियों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नियंत्रण नहीं है? ये दोनों मामले दर्शाते हैं कि सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है।
रघु शर्मा तो गुजरात में कैसे रख पाएंगे कांग्रेस की अच्छी छवि। गुस्सेल भी हैं।
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अब पता चला है कि गत 26 जुलाई को राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के जन्मदिन पर अखबारों में जो बड़े बड़े विज्ञापन प्रकाशित करवाए गए, उन विज्ञापनों का लाखों रुपए का भुगतान मेडिकल और नर्सिंग काउंसिलों की ओर से किया गया। यानी मंत्री का जन्मदिन सरकारी राशि से मना। दोनों काउंसिलों के खाते में जमा राशि से डॉक्टरों एवं नर्सिंग कर्मचारियों के कल्याण के कार्य होते हैं। अकेली नर्सिंग काउंसिल ने ही 13 लाख रुपए की राशि अपने विभाग के मंत्री के जन्मदिन पर न्योछावर कर दी। राजस्ािान में संभवत: यह पहला अवसर है, जब मंत्री के जन्मदिन का जश्न सरकारी पैसे से मनाया गया। मजे की बात तो यह है कि ढाई माह बाद भी मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि विज्ञापनों के पैसे का भुगतान कहां से हुआ। सवाल उठता है कि क्या रघु शर्मा इतने भोले और शरीफ मंत्री हैं कि उन्हें विज्ञापनों के भुगतान की जानकारी न हो? जबकि विज्ञापनों में दोनों सरकारी काउंसिलों के पदाधिकारियों के नाम प्रकाशित हुए थे। पूरे पृष्ठ के विज्ञापन देखकर ही मंत्री को पता हो जाना चाहिए था कि लाखों रुपए का भुगतान कौन कर रहा है। रघु शर्मा तो उन मंत्रियों में से हैं जो लिफाफा देखकर अंदर का मजमून समझ जाते हैं, लेकिन यदि अखबार में अपने जन्मदिन पर छपे विज्ञापन को दोनों आंखों से पढ़ने के बाद भी यदि भुगतान के बारे में जानकारी नहीं हुई तो फिर रघु की मंशा को समझा जा सकता है, चिकित्सा मंत्री के जन्मदिन पर लाखों रुपए तब उड़ाए गए, जब हर नागरिक कोरोना से उत्पन्न आर्थिक तंगी और मुसीबत के दौर से गुजर रहा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि जन्मदिन पर छपे विज्ञापनों के संबंध में जब पूर्व में रघु शर्मा से पूछा गया था, तब रघु का कहना था कि ऐसा तो होता ही रहता है।
खेल मंत्री का भी खेल:
जहां चिकित्सा मंत्री ने सरकारी पैसा खर्च करवा कर अपना जन्मदिन मनाया वहीं राजस्थान के खेल मंत्री अशोक चांदना ने 6 घंटे तक बच्चों को जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में खड़ा रखकर अपना जन्मदिन मनाया। चांदना का जन्मदिन 13 अक्टूबर को मनाया गया। मिजाजपुर्सी के उस्ताद खेल अधिकारियों ने विभिन्न खेलों में भाग लेने वाले बच्चों को सुबह 6 बजे ही स्टेडियम बुला लिया। इस दिन बच्चों को किसी भी खेल का प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया। दोपहर 12 बजे तक बच्चे स्टेडियम में इधर से उधर घूमते रहे। कैम्परों में भरा पानी भी खत्म हो गया। खेल मंत्री अशोक चांदना जब 12 बजे स्टेडियम आए तभी सैकड़ों बच्चों को स्टेडियम की जेल से मुक्ति मिली। मंत्री के सामने भीड़ जुटा कर भले ही अधिकारियों ने वाहवाही ले ली हो, लेकिन किसी भी बच्चे को मंत्री को जन्मदिन की
बधाई देने में रुचि नहीं थी। क्या यह मंत्री के पद का दुरुपयोग नहीं है? सब जानते हैं कि प्रदेश में खेल अधिकारियों ने कैसा काकस बना रखा है। जब इन्हीं खेल अधिकारियों के काम पर खेल मंत्री का जन्मदिन मनाया तो काकस और मजबूत होगा।
क्या मुख्यमंत्री का नियंत्रण नहीं है?:
मंत्री सरकार का चेहरा होते हैं और मंत्रियों पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की होती है। जब चिकित्सा मंत्री सरकारी काउंसिलों की राशि और खेल मंत्री बच्चों को 6 घंटे तक खड़ा रखकर अपना जन्मदिन मनाएंगे तो सरकार का चेहरा कैसा होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को तो बहुत होशियार और समझदार माना जाता है, लेकिन मंत्री जिस तरह सत्ता का दुरुपयोग कर अपना जन्मदिन मना रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि अपने मंत्रियों पर मुख्यमंत्री का नियंत्रण नहीं है। सीएम गहलोत ने तो रघु शर्मा को अपना चेहरा बना कर गुजरात भिजवाया है। रघु को हाल ही में गुजरात का प्रभारी बनाया गया है। प्रभारी की हैसियत से रघु तीन दिन का दौरा भी कर आए हैं। जब गुजरात के कांग्रेसियों को यह पता चलेगा कि रघु शर्मा तो सरकारी पैसे से जन्मदिन मनाते हैं तो कार्यकर्ताओं को क्या सीख देंगे? राजस्थान में रघु शर्मा की छवि एक गुस्सैल मंत्री की है, देखना होगा कि रघु का यह गुस्सा गुजरात में कांग्रेस के लिए कितनी मुसीबतेंं खड़ी करता है।