तो क्या अशोक गहलोत की सरकार के बचे रहने पर ओएसडी देवाराम सैनी ने खोले के हनुमानजी के मंदिर में प्रसादी का आयोजन किया?

तो क्या अशोक गहलोत की सरकार के बचे रहने पर ओएसडी देवाराम सैनी ने खोले के हनुमानजी के मंदिर में प्रसादी का आयोजन किया?
इस प्रसादी के आयोजन में खुद सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस के निर्दलीय विधायक, आईएएस, आईपीएस आदि बड़ी संख्या में शामिल हुए। सात घंटे तक अफसरों और विधायकों का मेला।
सरकार गिराने के प्रयासों के आरोपी भाजपाइयों को नहीं बुलाया।
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30 अक्टूबर को जयपुर में खोले के हनुमान जी के मंदिर में एक भव्य प्रसादी का आयोजन हुआ। इस प्रसादी प्रोग्राम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी पत्नी श्रीमती सुनीता गहलोत के साथ उपस्थित हुए। मुख्यमंत्री की उपस्थिति की वजह से ही अनेक मंत्री भी शामिल हुए। हालांकि यह धार्मिक आयोजन बताया गया, लेकिन इसमें सत्तारूढ़ कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों को भी बुलाया गया। जयपुर में जो भी आईएएस और आईपीएस तैनात है वे भी सभी इस प्रसादी में शामिल हुए। आईएएस और आईपीएस इस प्रसादी में शामिल होकर स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। दोपहर एक बजे से शुरू होकर शाम सात बजे तक चले इस प्रोग्राम में दिन भी राजनीति और प्रशासनिक तंत्र का मेलजोल चलता रहा। सवाल उठता है कि आखिर इतना बड़ा आयोजन किसने किया? और ऐसा कौन सा ताकतवर व्यक्ति है जिसके निमंत्रण पर खुद सीएम और मंत्री तथा आईएएस, आईपीएस लाइन बनाकर खड़े रहे? दमदार बात तो यह है कि इस प्रसादी की सूचना वाट्सएप पर मुख्यमंत्री गहलोत के ओएसडी देवाराम सैनी ने दी। सैनी ने अपने नाम के नीचे सीएम का ओएसडी भी नहीं लिखा, क्योंकि जिन मंत्रियों,विधायकों और बड़े अधिकारियों के मोबाइल पर सूचना दी गई, उन सबके फोनों में देवाराम सैनी का नंबर दर्ज है। सबको पता है कि सीएमआर में देवाराम के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है। सीएम गहलोत वो ही देखते और सुनते हैं जो देवाराम सैनी चाहते हैं। हालांकि देवाराम आरएएस स्तर के अधिकारी है, लेकिन सरकार में उनकी मुख्य सचिव निरंजन आर्य से भी ज्यादा चलती है। देवाराम सैनी ने वाट्सएप पर जो सूचना भिजवाई उसमें यह नहीं बताया कि किस वजह से हनुमानजी के मंदिर में प्रसादी रखी गई है। पारिवारिक कारणों से प्रसादी होती तो कांग्रेस और सभी निर्दलीय विधायकों को क्यों बुलाया जाता? पारिवारिक प्रसादी में आईएएस और आईपीएस भी इतनी संख्या में भाग नहीं लेते। जहां तक सीएम गहलोत के शामिल होने का सवाल है तो सैनी के पारिवारिक कार्यक्रम में वे शामिल हो सकते थे, क्योंकि दोनों एक ही जाति के हैं। हर बड़ा आदमी अपनी जाति के लोगों का ख्याल तो रखना ही है। चूंकि निमंत्रण में प्रसादी का कारण नहीं लिखा, इसलिए यही माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार के बचे रहने पर यह भव्य आयोजन किया गया। सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई अगस्त में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायकों के दिल्ली चले जाने के कारण गहलोत सरकार के गिरने की नौबत आ आई थी। तब गहलोत सरकार के बचे रहने के लिए मुख्यमंत्री के ओएसडी देवाराम सैनी ने भी हनुमान जी से मन्नत मांगी थी। न केवल सरकार बची, बल्कि एंजियोप्लास्टी के बाद अशोक गहलोत के अगले 20 वर्ष तक जिंदा रहने की गारंटी भी हो गई। इतना ही नहीं 2023 में भी गहलोत ही मुख्यमंत्री बनेंगे, इसकी घोषणा भी हो गई। जब हनुमान जी कृपा से इतनी सारी खुशियां एक साथ मिल गई तो, तब भव्य प्रसादी का आयोजन तो बनता ही है। सीएम गहलोत आज तक कह रहे हैं कि भाजपा के नेताओं के इशारे पर उनकी सरकार गिराने के प्रयास हुए। यही वजह रही कि 30 अक्टूबर की प्रसादी में किसी भी भाजपा विधायक को नहीं बुलाया गया। जहां तक देवाराम सैनी के रुतबे का सवाल है तो इस प्रसादी के बाद रुतबे में और वृद्धि होगी। यह सही है कि गत वर्ष जुलाई अगस्त में राजनीतिक घमासान में देवाराम सैनी की मुख्यमंत्री के पक्ष में महत्वपूर्ण भूमिका थी। विधायकों को एकजुट करने में सैनी ने पूरी रणनीति बनाई। यही वजह है कि कांग्रेस और निर्दलीय विधायक तो सीएमआर में सैनी से मिलकर ही स्वयं को धन्य समझ लेते हैं। यदि किसी कार्य के लिए सैनी ने स्वीकृति दे दी है तो काम होने की सौ प्रतिशत गारंटी है। मंत्रियों को भी अपनी बात सीएम तक पहुंचाने के लिए देवाराम की मदद लेनी पड़ती है। देवाराम की बदौलत ही अनेक आईएएस आईपीएस, आरएएस, आरपीएस महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हैं।