5वां ऑल इण्डिया रहमतुल्लिल-आलमीन कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल प्रदर्शनी एवं वर्कशॉप का समापन एपीआरआई सभ्यता संस्कृति के दर्शन का केन्द्र, सभी धर्माें में इंसानियत का संदेश

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5वां ऑल इण्डिया रहमतुल्लिल-आलमीन कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल प्रदर्शनी एवं वर्कशॉप का समापनएपीआरआई सभ्यता संस्कृति के दर्शन का केन्द्र, सभी धर्माें में इंसानियत का संदेश जयपुर, एक नवंबर। आज़ादी के अमृत महोत्सव के आयोजन की श्रृंखला में पांचवा ऑल इण्डिया रहमतुल्लिल-आलमीन कैलीग्राफी आर्ट फेस्टिवल प्रदर्शनी एवं वर्कशॉप का टोंक में रविवार को समापन समारोह हुआ। कार्यक्रम में राजस्व मण्डल के अध्यक्ष श्री राजेश्वर सिंह ने कहा कि इंसानियत को बचा के रखना करूणा और सद्भाव को कायम रखना हम सबका दायित्व है इसके लिए संवेदनशीलता के साथ सक्रिय रहना होगा, सभी धमोर्ं का दर्शन इंसानियत की सीख देता है। उन्होंने दार्शनिक अंदाज में गीता व कु़रआन की बात करते हुए कहा कि हम सबको भलाई का काम करना है, दया का काम करना हैं उन्होंने साम्प्रदायिक सद्भाव का आह्वान किया तथा गीता के श्लोक सुनाकर जीवन संघर्ष को सुंदर शब्दों में परिभाषित किया। समारोह में हिन्दी यूनिवर्स फाउण्डेशन नीदरलैण्ड्स के उपाध्यक्ष मुजीब अता आज़ाद, ने कहा कि भारत के दर्शन को टोंक के एपीआरआई में देखा जा सकता हैं। अरबी फारसी के संस्थान में कामकाज हिन्दी भाषा में होना इस देश की संस्कृति को दर्शाता हैं। श्रीमद् भगवत गीता, रामायण-बालखण्ड, महाभारत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद बताता है कि भारत की रूह और आत्मा सर्वधर्म सम्भाव में है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्थापक निदेशक साहिबजादा शौकत अली खान ने कहा कि संस्थान का स्थापना से लेकर आज तक का सफर जद्दोजहद भरा रहा है। उन्होंने संस्थान में बहुमूल्य ग्रन्थों के संरक्षण पर किये जा रहे कार्यों की सराहना की ओर भावी पीढी तक ऎतिहासिक पाण्डुलिपियों के अनमोल खजाने को पंहुचाने के लिए यह आवश्यक कार्य है।संस्थान के निदेशक डॉ. सौलत अली खान ने आर्ट फेस्टिवल के कार्यक्रमों पर विस्तार से प्रकाश डाला। संस्थान में श्री राजेश्वर सिंह ने फीता काटकर आर्ट गैलेरी का उद्घाटन किया। उन्होंने एमएएपीआरआई में टोंक के इतिहास की जानकारी ली डिस्प्ले हॉल में दुनिया के सबसे बडे हस्तलिखित ग्रन्थ कु़रआन के दर्शन किये। देश के अनेक राज्यों से आये कैलीग्राफिस्टों द्वारा तैयार की गई कैलीग्राफी का अवलोकन किया। संस्थान में मौजूद बहुमूल्य ग्रन्थों, पाण्डुलिपियों, ऎतिहासिक महत्व की पुस्तकों को देखकर अभिभूत हुए। श्रीमद् भगवत गीता, रामायण-बालखण्ड, महाभारत ग्रन्थों को फारसी में देखकर कहा कि सभ्यता संस्कृति के इस अनमोल खज़ाने को देखकर उनका हृदय गद्गद् हो गया है यह संस्थान आध्यात्मिक दर्शन का केन्द्र हैं। इस अवसर पर श्री राजेश्वर सिंह ने समारोह में भारतीय कला संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए चार राष्ट्रीय अवार्ड दिये। जिसमें नवाब मोहम्मद इस्माईल अली खां ‘ताज‘ फन्ने शायरी अवार्ड निज़ामुद्दीन ‘शाद‘ कैफी को, हज़रत खलीक़ टोंकी फन्ने खत्ताती अवार्ड ज़फ़र रज़ा खां, उस्ताद अब्दुल मुसव्विर खां फन्ने चारबैत अवार्ड बुन्दू खां, उस्ताद भुन्दू खां फन्ने क़व्वाली अवार्ड नज़र मोहम्मद को दिये। —–