महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक
किराये के भवनों में सचांलित आंगनबाड़ी केन्द्र जल्द से जल्द स्कूलों में शिफ्ट किए जाएं -मुख्य सचिव
महिला हिंसा में दर्ज शिकायतों के डिस्पोजल मामलों की ऑडिट कराने के दिए निर्देश
पोषण वाटिकाओं की सराहना की, व्यापक प्रचार-प्रसार के दिए निर्देश
जयपुर, 11 जनवरी। मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने अधिकारियोंं को निर्देश दिये कि राज्य में किराये के भवनों में सचांलित हो रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों को जल्द से जल्द स्कूलों में अथवा अन्य सरकारी भवनों में शिफ्ट किया जाए। उन्होंने राज्य में संचालित महिला हैल्प लाइन-181 में दर्ज महिला शिकायतों के निस्तारण के मामलों के डिस्पोजल की ऑडिट कराने के निर्देश भी दिए। श्री आर्य सोमवार को यहां सचिवालय में महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
बैठक में मुख्य सचिव ने राज्य में संचालित हो रहे 61 हजार 613 आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन और उनकी वर्तमान स्थिति पर विस्तार से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने किराये के भवनों में संचालित राज्य के 17 प्रतिशत आंगनबाड़ी केन्द्रों को स्कूलों या विभागीय भवनों में शिफ्ट करने के लिए अधिकारियों को टारगेट देते हुए कहा कि 1 प्रतिशत प्रतिमाह की दर से इन केन्द्रों को स्कूलों में शिफ्ट किया जाए। उन्होंने आंगनबाड़ी केन्द्रों में पेयजल सुविधाओं को पूरा कराने के साथ ही वहां बने शौचालयों की स्वयं विजिट कर सही स्थिति की जानकारी लेने के निर्देश भी दिये।
श्री आर्य ने कहा कि अधिकारी स्वयं विजिट कर यह देखें कि शौचालय उपयोग करने की स्थिति में भी है या नहीं। उन्होंने सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में शौचालय बनाने तथा शौचालय में पानी की पूरी सुविधा सुनिश्चित करने के लिए जिला कलेक्टरों से चर्चा करके प्रॉपर मॉडल तैयार करने के निर्देश भी दिये। मुख्य सचिव ने आंगनबाड़ी केन्द्राें में नवाचार के रूप में विकसित हो रही पोषण वाटिकाओं की सराहना करते हुए कहा कि इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हो। उन्होंने कहा कि पोषण वाटिकाओं में उगाई जा रही सब्जियों के सही इस्तेमाल से बच्चों को पोष्टिक भोजन प्राप्त होगा और खाली जमीन का भी सदुपयोग होगा।
मुख्य सचिव ने महिला एवं अधिकारिता विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिये कि मुख्यमंत्री राजश्री योजना में अधिक से अधिक लाभार्थियों को शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए चिकित्सा विभाग से डाटा लेकर समन्वय से काम किया जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि महिलाओं के सम्मान और संरक्षण के लिए संचालित वन स्टॉप सेन्टर- सखी केन्द्र, महिला सुरक्षा एवं सलाहकार केन्द्र तथा महिला हैल्प लाइन-181 मेें दर्ज हिंसा, घरेलु हिंसा की शिकायतों, पुलिस, विधिक परामर्श तथा निःशुल्क चिकित्सा के संबंध में वास्तविक जांच होनी चाहिए। इसके लिए अधिकारियों द्वारा शिकायतों के निस्तारण की डिस्पोजल ऑडिट हो।
बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव डॉ. के. के. पाठक ने विभाग द्वारा संचालित हो रही महिला कल्याण एवं सुरक्षा की तथा बाल विकास की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में स्कूलों के बाद आंगनबाड़ी केन्द्रों की संख्या सबसे अधिक है।
डॉ. पाठक ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के पालन, टीकाकरण, सप्लीमेंट भोजन, पढ़ाई के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में नौनिहालों के स्वस्थ बचपन के लिए पूरा प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों में पेयजल शौचालय तथा बिजली जैसी सुविधाएं बढ़ाने के लिए मनरेगा, सांसद-विधायक कोष, राज्य वित्त आयोग निधि, स्वच्छ भारत कार्यक्रम के तहत निर्माण कार्य करवाये जाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग को प्रस्ताव भेज जा चुके हैं।
महिला एंव बाल विकास सचिव ने मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा आरम्भ की गई इंदिरा गांधी मातृत्व योजना के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि योजना में गर्भवती महिला को 5 चरणों में कुल 6 हजार रुपये की राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा कि पोषण अभियान के तहत शिशुओं मेें होने वाले नाटेपन, दुबलेपन और रक्ताल्पता में कमी आई है। डॉ. पाठक ने जानकारी दी की विभाग द्वारा एक ही स्थान पर महिलाओं के लिए टे्रनिंग सेन्टर, उनकी कांउसलिंग, उनके ठहरने की सस्ती आवास सुविधा, महिलाओं द्वारा संचालित दुकानें, क्रेच जैसी सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर विकसित करने के लिए भवन निर्माण के लिए विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार है। मुख्य सचिव ने विभाग के इस प्रस्ताव को बेहतर बताते हुए इसके लिए शीघ्र कार्य योजना तैयार करने के लिए कहा।
समीक्षा बैठक मेें समेकित बाल विकास सेवाएं की निदेशक श्रीमती प्रतिभा सिंह तथा महिला अधिकारिता विभाग की निदेशक श्रीमती रश्मि गुप्ता भी उपस्थित थीं। बैठक में विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी वेबिनार के माध्यम से भाग लिया।