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नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री ने किया श्री झूलेलाल तिब्बती मार्केट का शुभारम्भमण्ड़ल द्वारा 266 दुकानों का आवंटन किया है मण्ड़ल ने तिब्बती शरणार्थियों की 40 वर्ष पुरानी स्थाई बाजार की समस्या का किया समाधानआवासन मण्ड़ल ने 13 वर्ष पुराने इस बाजार का किया कायाकल्पतीन कनेक्टिंग ब्रिज बनाने के साथ की गई हेरिटेज लाइटिंगजयपुर, 17 नवम्बर। राजस्थान आवासन मण्ड़ल द्वारा मानसरोवर योजना में शिप्रापथ पर विकसित श्री झूलेलाल तिब्बती मार्केट का शुभारम्भ बुधवार को नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री श्री शांति धारीवाल द्वारा फीता काटकर किया। इस अवसर पर विधायक श्री अशोक लाहोटी और नगरीय विकास एवं आवासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री कुंजीलाल मीणा भी उपस्थित थे। शुभारम्भ कार्यक्रम के दौरान अपने सम्बोधन में नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री श्री धारीवाल ने कहा कि यह वही मार्केट है जिसको गत सरकार ने बिना किसी प्लानिंग के 13 साल पहले बना दिया। 13 साल तक इसकी तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। 13 साल तक इन दुकानों को खरीदने के लिये कोई नहीं आया। जिनको मण्डल ने यहां दुकानें आवंटित की, उन्होंने भी अपने आवंटन निरस्त करा लिए। यह पवनजी का ही विजन है कि जिन्होंने न केवल इस मार्केट की कमियों को दूर किया बल्कि इन दुकानों का निस्तारण कर मण्डल को 22 करोड़ रूपये का राजस्व भी दिलाया। उन्होंने कहा कि इस मार्केट का शुरू होना जयपुरवासियों के लिये मण्ड़ल की बड़ी सौगात है। एक और जहां तिब्बती शरणार्थियों की जयपुर में स्थाई बाजार की 40 वर्ष पुरानी समस्या का समाधान हुआ है वहीं जयपुरवासियों को भी सालभर एक ही स्थान पर ऊनी कपडे़ उपलब्ध हो सकेंगे।आवासन आयुक्त श्री पवन अरोड़ा ने बताया कि 2003 में राज्य सरकार द्वारा जब ऑपरेशन पिंक चलाया, तब मानसरोवर योजना में स्थित थड़ी होल्डर्स के पुर्नवास के लिए स्थाई दुकानों के निर्माण हेतु जयपुर नगर निगम द्वारा सर्वे करवाया गया। इस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन थड़ी होल्डर्स के पुर्नवास के लिये झूलेलाल मार्केट की प्लानिंग की गई। इस मार्केट में दुकान लेने के लिये 355 योग्य आवेदकों ने पंजीकरण कराया। इस सर्वे रिर्पोट के आधार पर ही 4098.33 वर्गमीटर के भूखण्ड़ पर तीन मंजिला झूलेलाल मार्केट का निर्माण कर 526 दुकानें 10 करोड़ रूपये की लागत से इन लोगों के लिये बनाई गई थी। उन्होंने बताया कि इन 526 निर्मित दुकानों में से 23 दुकानें विद्युत पैनल, 20 दुकानें फूड कोर्ट हेतु आरक्षित की गई। इस प्रकार आरक्षित कुल 43 दुकानों के पश्चात शेष 483 दुकानें निस्तारण हेतु उपलब्ध थी। उन्होंने बताया कि इन निर्मित दुकानों में से जिन 355 आवेदकाें द्वारा अपना पंजीकरण करवाया गया था, उन सभी पंजीकृत थड़ी होल्डर्स को नगद भुगतान पद्धति के आधार पर सभी को 355 दुकानें आवंटित कर दी थी। इनको यह दुकानें बहुत कम दरों पर आवंटित की गई थी। भूतल पर 3 लाख 18 हजार रूपये में और प्रथम तल पर 2 लाख 25 हजार रूपये में इनको दुकानों का आवंटन किया गया। उनकी मांग पर ये दुकानें किस्तों पर आवंटित की थी। उस वक्त केवल 68 लोगों ने ही पैसे जमा कराए और कब्जा लिया था। वर्ष 2009 से 2019 तक 10 साल तक किसी दुकानदार ने पैसे जमा नहीं कराएं और न कब्जा लिया। उसके बाद 2019 में 77 लोग वापस आए कि हमें दुकानें आवंटित कर दो। मण्ड़ल ने तत्परता दिखाते हुए सभी 77 इच्छुक लोगों को दुकानें आवंटित कर दी, लेकिन इसके बावजूद भी दुकानें बच गई थीं। उन्होंने बताया कि राजस्थान आवासन मण्डल की बोर्ड बैठक में इस मार्केट की 266 दुकानों को तिब्बतीयन रिफ्यूजी होजरी रेडीमेड सेलर यूनियन को लॉटरी से आवंटन का निर्णय लिया गया। इनको यह दुकानें 2014-15 की आरक्षित दर पर भूतल के लिए राशि 8 लाख 60 हजार 700 रूपये एवं बेसमेन्ट एवं प्रथम तल के लिए राशि 5 लाख 57 हजार 700 रूपये पर 5 वर्ष की किश्तों पर आवंटित की गई।उन्होंने कहा कि तिब्बती शरणार्थियों के आने के बाद लगभग 250 स्थानीय थडी-ठेला वाले लघु व्यवसायियों ने भी यहां दुकानें खोलना शुरू कर दिया है। आने वाले एक सप्ताह में सभी दुकानें खुल जाएगी।तिब्बती शरणार्थियों की 40 वर्ष पुरानी स्थाई बाजार की समस्या का हुआ समाधानतिब्बती शरणार्थी एसोसिएशन की अध्यक्ष ल्हामो ने इन दुकानों के आवंटन के लिए मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल और आवासन आयुक्त श्री पवन अरोड़ा का आभार व्यक्त किया है। श्रीमती ल्हामो ने बताया कि बीते 40 सालों से तिब्बती शरणार्थी ऊनी और गर्म कपड़ों के व्यापार के लिए जयपुर आ रहे हैं, लेकिन यहां व्यापार के लिए उन्हें कोई स्थान विशेष आवंटित नहीं होने से खासी परेशानी का सामना करना पड़ता था, लेकिन इन दुकानों के आवंटन से हमें जयपुर में स्थाई बाजार की बड़ी समस्या से मुक्ति मिली है। आवासन मण्ड़ल ने 13 वर्ष पुराने बाजार को किया चमनआवासन आयुक्त श्री पवन अरोड़ा ने बताया कि 13 वर्षों से बंद पड़े इस मार्केट की दुकानों को खरीदने के लिए कोई नहीं आ रहा था। इसके दो बड़े कारण थे। एक तो यहां दुकानें अत्यंत छोटी थी और दूसरा मुख्य सड़क से बाजार का कोई सीधा सम्पर्क नहीं था। वहां के स्थानीय लोग कचरा डालने लगे थे और निगम ने भी इसको कचरा डिपो बना दिया था। आवासन मंडल द्वारा इस बाजार को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए तीन सम्पर्क ब्रिज बनाने के साथ यहां हेरिटेज लाइटिंग की गई। इसके साथ ही यहां रंग-रोगन और मूलभूत सुविधाओं को सुधार कर पार्किंग की समुचित व्यवस्था की गई। —–