आखिर राजस्थान के जयपुर को मौत के मुंह में क्यों धकेलना चाहते हैं भाजपा और कांग्रेस। 3 दिसंबर से दिल्ली में स्कूल बंद।
पांच दिसंबर वाला अमित शाह का रोड शो रद्द कर भाजपा को पहल करनी चाहिए। रोड शो रद्द नहीं होगा तो 12 दिसंबर को कांग्रेस दो लाख लोगों की रैली जयपुर में करेगी।
महंगाई विरोधी रैली करने से पहले कांग्रेस, ममता बनर्जी और शरद पवार के कथन को सुने।
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कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन को लेकर देशभर में दहशत का माहौल है। अब देश में कोरोना संक्रमित व्यक्तियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इससे राजस्थान और राजधानी जयपुर भी अछूता नहीं है। राजस्थान में मौजूदा समय में कोरोना के जो 200 एक्टिव केस हैं, उनमें से अकेले जयपुर के 115 केस हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान और जयपुर के कैसे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी कोरोना के बढ़ते संक्रमण से चिंतित हैं। गहलोत प्रतिदिन बैठकें कर हालातों का जायजा ले रहे हैं। स्कूलों में प्रार्थना सभाओं पर फिर से रोक लगा दी गई है तथा स्कूल संचालकों से कहा गया कि वे ऑनलाइन क्लासेज दोबारा चलाएं, ताकि विद्यार्थियों अपने घरों पर ही पढ़ाई कर सके। सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता पर जोर दिया जा रहा है। लोगों को भीड़ वाले स्थानों से बचने की सलाह दी जा रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने भी कई बार कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर जरूर आएगी और यह दूसरी लहर से भी ज्यादा खतरनाक होगी। सवाल उठता है कि अब कोरोना को लेकर जयपुर से दिल्ली तक ऐसा दहशत भरा माहौल है तो राजस्थान के जयपुर में पांच दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का रोड शो और 12 दिसंबर को कांग्रेस की महंगाई हटाओ रैली क्यों हो रही है? अमित शाह को प्रदेश भाजपा की कार्यसमिति की बैठक और जनप्रतिनिधियों के सम्मेलन को संबोधित करना है, इसलिए उत्साही भाजपा नेताओं ने जयपुर में रोड शो भी रख लिया है। जबकि कांग्रेस को देश की राजधानी दिल्ली में अनुमति नहीं मिली, इसलिए रैली का आयोजन जयपुर में किया जा रहा है। यानी दिल्ली के बजाए जयपुर में कोरोना संक्रमण को फैलाया जा सकता है। देखा जाए तो मौजूदा हालातों में अमित शाह का रोड शो जरूरी नहीं है। इस रोड शो से अमित शाह की लोकप्रियता में कोई इजाफा नहीं होने वाला। इसी प्रकार कांग्रेस की रैली से महंगाई भी घटने वाली नहीं है। कांग्रेस की राजनीतिक हैसियत क्या है, यह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक दिसंबर को मुंबई में बता दिया है। ममता का कहना है कि अब कांग्रेस संयुक्त विपक्ष का चेहरा नहीं है और न ही अब यूपीए का कोई वजूद है। ममता ने यह बात एनसीपी के प्रमुख शरद पवार की उपस्थिति में कही। पवार ने भी ममता के कथन पर सहमति जताई है। ममता और शरद पवार का मानना है कि कांग्रेस अब भाजपा का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्ष का नया गठबंधन बनाने की जरुरत है। 545 सांसदों में से कांग्रेस के मात्र 52 सांसद हैं, जबकि ममता की टीएमसी के 22 तथा शरद पवार की एनसीपी के 5 सांसद हैं। ऐसे में कांग्रेस की रैली का कितना असर पड़ेगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन रैली में दो लाख लोगों के जुटने से राजस्थान जयपुर के हालात बिगड़ सकते हैं। यह माना कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। इसलिए रैली की अनुमति राहुल गांधी की जेब में ही है। जब गहलोत जैसे मुख्यमंत्री हैं तो भीड़ तो जुट ही जाएगी। यदि पड़ैसी राज्यों से लोग कम भी आए तो राजस्थान से भीड़ के कोटे को पूरा कर दिया जाएगा। दिल्ली में तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस की रैली के लिए सुविधाएं देते या नहीं, लेकिन राजस्ािान में तो सरकारी साधनों के उपयोग की पूरी छूट रहेगी। लेकिन अच्छा हो कि जयपुर में रोड शो और रैली दोनों ही न हो।
दिल्ली में स्कूल बंद:
दिल्ली में प्रदूषण की बढ़ती समस्या को देखते हुए 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जब दफ्तरों में काम करने वाले कार्मिकों को वर्क फ्रॉम होम की छूट दी गई है, तब छोटे बच्चों को स्कूलों में क्यों बुलाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार कहती कुछ है और करती कुछ ओर है। कोर्ट की इस फटकार के बाद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने 3 दिसंबर से सभी स्कूलों को बंद करने की घोषणा की है।