उधर जयपुर में चिकित्सा विभाग में चहेते अफसरों को हटाया तो इधर रघु शर्मा ने अशोक गहलोत सरकार के फैसलों के विरुद्ध आवाज उठाई।
गुजरात का प्रभारी बनाए जाने के बाद रघु शर्मा को कांग्रेस संगठन में कोई पद नहीं मिला है।
रघु शर्मा की राजनीतिक हैसियत का अब पता चलेगा।
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10 जनवरी को जयपुर में चिकित्सा विभाग में डॉ. केके शर्मा को जन स्वास्थ्य के निदेशक पद से हटा दिया। इसी प्रकार राजाराम शर्मा की भी औषधि नियंत्रक के पद से छुट्टी कर दी गई। ये दोनों ही अधिकारी प्रदेश के पूर्व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के चहेते थे। डॉ. केके शर्मा ने तो चमचागिरी की तब हद कर दी, जब गत रघु शर्मा के जन्मदिन पर नर्सिंग काउंसिल की राशि में से लाखों रुपए के विज्ञापन अखबारों में दे दिए। राजाराम शर्मा भी औषधि नियंत्रक का काम रघु शर्मा के इशारे पर ही करते थे। उधर जयपुर में इन चहेते अफसरों को हटाने का निर्णय लिया गया तो इधर रघु शर्मा ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के फैसलों का विरोध करना शुरू कर दिया। रघु ने 10 जनवरी को अपने गृह जिले अजमेर की दो समस्याओं को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिख दिए। इन पत्रों के लिखे जाने से माना जा रहा है कि बदली हुई परिस्थितियों में रघु शर्मा अपनी ही पार्टी की सरकार से नाखुश हैं। रघु शर्मा तीन वर्ष तक गहलोत सरकार में दमदार मंत्री रहे, लेकिन उन्होंने कभी भी अजमेर की भीषण पेयजल समस्या पर आवाज नहीं उठाई। गर्मी के दिनों में जब लोगों को छह दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही थी तब भी रघु शर्मा चुप रहे। लेकिन अब जब मंत्री पद छीन चुका है और चिकित्सा विभाग से चहेते अफसरों को हटाया जा रहा है, तब रघु शर्मा को अपने गृह जिले अजमेर की पेयजल की समस्या याद आई है। रघु शर्मा का कहना है कि बीसलपुर बांध से पानी लेने के मामले में जयपुर के मुकाबले में अजमेर के साथ भेदभाव हो रहा है। रघु ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर बताया है कि जल जीवन मिशन के तहत हर घर में कनेक्शन देने पर जयपुर जिले के लिए बीसलपुर बांध में 4 टीएमसी अतिरिक्त आरक्षित किया गया, लेकिन जल जीवन मिशन के तहत अजमेर के लिए बांध में अतिरिक्त पानी का आरक्षण नहीं किया गया है। जबकि जयपुर के अनुपात में अजमेर जिले के लिए भी 3.7 टीएमसी पानी आरक्षित किया जाना चाहिए। पूर्व के आरक्षण की ओर भी रघु ने सीएम गहलोत का ध्यान आकर्षित किया। वर्ष 2021 में बीसलपुर बांध में जयपुर के लिए 11 टीएमसी पानी आरक्षित किया, जबकि अजमेर के लिए मात्र 5 टीएमसी पानी ही आरक्षित रखा गया। रघु ने मुख्यमंत्री से अजमेर जिले का पेयजल का कोटा बढ़ाने की मांग की। रघु शर्मा ने दूसरा विरोध माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का संभागीय कार्यालय बीकानेर में खोलने का किया है। शर्मा ने कहा कि इससे अजमेर स्थित शिक्षा बोर्ड का महत्व कम होगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को खुश करने के लिए शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली बोर्ड का संभागीय कार्यालय बीकानेर में खोल रहे हैं। यदि बीकानेर में संभागीय कार्यालय खुल जाता है तो फिर राज्य के सभी संभागों पर शिक्षा बोर्ड के दफ्तर खुलेंगे। शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली के सामने रघु शर्मा की कितनी चलेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इन दो पत्रों से रघु शर्मा की राजनीतिक हैसियत का भी पता चल जाएगा। दो माह पहले तक रघु शर्मा की गहलोत सरकार में तूती बोलती थी, लेकिन अब उन्हीं रघु शर्मा को मुख्यमंत्री को पत्र लिखने पड़ रहे हैं। चिकित्सा मंत्री का पद जाने के बाद चिकित्सा विभाग में भी रघु शर्मा के चेहतों को हटाया जा रहा है। रघु शर्मा को गत वर्ष गुजरात का प्रभारी बनाया गया था। आमतौर पर जब किसी नेता को राज्य का प्रभारी बनाया जाता है, तब उसे कांग्रेस में कोई पद भी दिया जाता है। लेकिन चार माह गुजर जाने के बाद भी रघु शर्मा को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव तक नहीं बनाया गया है। गुजरात से प्राप्त समाचारों के अनुसार कांग्रेस संगठन में प्रदेशाध्यक्ष हार्दिक पटेल का भी प्रभाव है। हालांकि अशोक गहलोत भी गुजरात के प्रभारी रहे, लेकिन तब वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी थे और गुजरात कांग्रेस में गहलोत का दबदबा भी देखा गया, लेकिन रघु का गुजरात में कोई प्रभाव नजर नहीं आ रहा है। शायद इसलिए अब अजमेर गृह जिले की समस्याओं के समाधान की सुध आई है। रघु शर्मा अजमेर जिले के केकड़ी से कांग्रेस के विधायक हैं।