ख्वाजा साहब की दरगाह के अंदर बैनर लगाकर खादिम द्वारा नजराना मांगने पर दरगाह कमेटी खफा।
दरगाह शरीफ में सभी तरह के नजराने हासिल करने का हक सिर्फ दरगाह कमेटी के नाजिम को है। खादिमों की दोनों अंजुमनों से जवाब तलब।
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अजमेर स्थित विश्व विख्यात ख्वाजा साहब की दरगाह के अंदर नजराना मांगने को लेकर एक बार फिर खादिमों और दरगाह कमेटी के बीच विवाद की स्थिति हो गई है। दरगाह में आंतरिक इंतजाम करने वाली दरगाह कमेटी केन्द्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है। कमेटी के नाजिम ने खादिमों की दोनों अंजुमनों सैय्यद जादगान और शेख जादगान के सचिवों को पत्र लिखकर बताया है कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में खादिम सैय्यद फैजल चिश्ती दरगाह के अंदर आस्ताना शरीफ के निकट साहिबजादी साहिबा (सेहन) में घूमते हुए लॉकडाउन के दौरान राशन सामग्री बांटने के नाम पर नजराना मांगता दिख रहा है। इस व्यक्ति ने मार्बल की चिश्तिया दस्तरख्वान नाम की तंजीम का बैनर भी लगा रखा है। इस बैनर पर मोबाइल नम्बर 9828249300 अंकित है। इस बैनर को दिखाकर ही नजराना मांगा जा रहा है। पत्र में लिखा गया है कि दरगाह ख्वाजा एक्ट 1955 की दफा 2 (1) के मुताबिक दरगाह शरीफ में सभी प्रकार के नजराने हासिल करने का हक सिर्फ नाजिम को है। ऐसे में इस शख्स सैय्यद फैजल चिश्ती के द्वारा दरगाह ख्वाजा साहब एक्ट 1955 की खिलाफ वर्जी की गई है। साथ ही बिना इजाजत आस्ताना शरीफ की वीडियो बनाकर आमजन को गुमराह करने की नियत से झूठे और भ्रामक बयान जारी किए गए है। नाजिम ने अंजुमनों से जवाब तलब करते हुए कहा है कि संबंधित शख्स के विरुद्ध नियमों के तहत कार्यवाही क्यों न की जाए। साथ ही पत्र में यह भी कहा गया है कि बिना इजाजत आस्ताना शरीफ की वीडियो जारी करने जैसे गंभीर अपराध पर कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान ख्वाजा साहब की दरगाह में भी जायरीन के प्रवेश पर प्रतिबंध है, लेकिन दरगाह में धार्मिक रस्मों को निभाने के लिए अंजुमन की सलाह पर कुछ खादिमों को प्रवेश की अनुमति है। यह अनुमति जिला प्रशासन की सहमति से दी जाती है। लेकिन खादिम सैय्यद फैजल चिश्ती के पास कोई वेद्य प्रवेश पत्र नहीं है। नाजिम के इस पत्र के बाद दरगाह में नजराने को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो सकता है। खादिम समुदाय भी दरगाह में आने वाले जायरीन से नजराना लेता रहा है। नजराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में विवाद चला है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ही दरगाह परिसर में दान पेटियां भी लगाई हैं।