ख्वाजा साहब की दरगाह अजमेर में लेकिन इंतजामिया कमेटी की बैठक दिल्ली में होगी।
अमीन पठान लगातार चौथी बार बन सकते हैं दरगाह कमेटी के अध्यक्ष। 22 जून को हो रहा है कार्यकाल पूरा।
नजराने पर दरगाह कमेटी के नोटिस से खादिमों में रोष। पुलिस को भी भेजा गया पत्र।
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सब जानते हैं कि सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की विश्व विख्यात दरगाह अजमेर में है। लेकिन दरगाह के अंदर इंतजाम करने वाली दरगाह कमेटी की बैठक 15 व 16 जून को दिल्ली में हो रही है। जानकार सूत्रों के अनुसार केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की सहूलियत को देखते हुए कमेटी की बैठक दिल्ली में रखी गई है। अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के अधीन ही दरगाह कमेटी काम करती है। कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष अमीन पठान चाहते हैं कि कमेटी की बैठक नकवी के संरक्षण में हो। दिल्ली में होने वाली बैठक का महत्व इसलिए भी है कि दरगाह कमेटी के अध्यक्ष का वार्षिक चुनाव भी होना है। अमीन पठान गत तीन वर्षों से लगातार कमेटी के अध्यक्ष चुनते आ रहे हैं। पठान चौथी बार भी कमेटी के अध्यक्ष बन सकते हैं। कमेटी के जो सदस्य अध्यक्ष का चुनाव करते हैं उनकी नियुक्ति केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के द्वारा ही होती है। ऐसे में अध्यक्ष के चुनाव में केंद्रीय मंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। मौजूदा अध्यक्ष अमीन पठान और केंद्रीय मंत्री नकवी के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध हैं।
खादिमों में रोष:
दरगाह के अंदर नजराना मांगने को लेकर दरगाह कमेटी ने खादिमों की दोनों अंजुमनों को जो नोटिस जारी किया है, उससे खादिम समुदाय में भारी रोष व्याप्त है। खादिमों का कहना है कि यह नोटिस खादिमों के अधिकारों पर कुठाराघात है। इस संबंध में दरगाह के प्रमुख खादिम और वरिष्ठ वकील इकबाल चिश्ती ने एक ऑडियो संदेश भी जारी किया है। उन्होंने खादिम समुदाय से आग्रह किया है कि दरगाह कमेटी के नोटिस को लेकर किसी को भी चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। दरगाह के अंदर नजराना लेने का अधिकार खादिमों को है और रहेगा। चिश्ती ने कहा कि एक वकील के नाते उन्होंने दरगाह एक्ट 1955 के सभी प्रावधानों को अच्छी तरह से पढ़ रखा है। दरगाह एक्ट के तहत कमेटी को खादिमों को नजराना लेने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कमेटी ने अपने अधिकारों से परे जाकर नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि वे एक वकील के नाते अपनी कौम के साथ खड़े हैं। अलबत्ता खादिम इकबाल चिश्ती ने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ खादिम लॉकडाउन में दरगाह से मोबाइल पर लाइव प्रसारण करते हैं। उन्होंने कहा कि आस्ताना शरीफ और मजार शरीफ का लाइव प्रसारण नहीं होना चाहिए। हमारे बुजुर्गों ने सोच समझ कर ही फोटो खींचने पर प्रतिबंध लगाया था। उन्होंने कहा कि दरगाह की परंपरा को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी खादिम समुदाय की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि 2 जून को कमेटी के नाजिम ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो के आधार पर खादिमों की दोनों अंजुमनों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस वीडियो में खादिम सैय्यद फैजल चिश्ती लॉकडाउन में राशन सामग्री वितरित करने के लिए नजराना देने की अपील कर रहा है।
पुलिस को भी भेजा पत्र:
प्राप्त जानकारी के अनुसार दरगाह कमेटी के नाजिम ने नजराने को लेकर जो पत्र अंजुमन को भेजा है, उसकी प्रति पुलिस को भी दी गई है। पुलिस से भी आग्रह किया गया है कि वीडियो के आधार पर कानूनी कार्यवाही की जाए।