कोटा में ओम बिरला और शांति धारीवाल के राजनीतिक तालमेल से अजमेर के राज नेता सबक लें।
कोटा में नए एयरपोर्ट के लिए राज्य सरकार ने एक ही दिन में 1250 एकड़ जमीन मुफ्त में दे दी, जबकि अजमेर में पीने के पानी को लेकर त्राहि त्राहि मची हुई है।
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13 जुलाई को दिल्ली में केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राजस्थान के कोटा के भाजपा सांसद और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की। बिरला ने कोटा में नया एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव रखा। सिंधिया ने कहा कि यदि राज्य सरकार भूमि का आवंटन नि:शुल्क कर दे तो केन्द्र सरकार एयरपोर्ट का निर्माण करवा देगी। सब जानते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है और गहलोत केंद्र की आलोचना करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं, लेकिन कोटा में भाजपा सांसद ओम बिरला और कोटा के कांग्रेसी विधायक व प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के बीच राजनीतिक तालमेल बना हुआ है। यही कारण रहा कि 14 जुलाई को एक ही दिन में राज्य सरकार ने एयरपोर्ट के लिए 1250 एकड़ भूमि का नि:शुल्क आवंटन करने का आदेश जारी कर दिया। कोई माने या नहीं लेकिन यह चमत्कार से कम नहीं है। केंद्र और राज्य अलग अलग दलों की सरकार होने के बाद भी इतनी जल्द निर्णय हो गया। केन्द्र सरकार के ऐसे कई प्रोजेक्ट है जो राज्य सरकार के असहयोग के कारण अटके पड़े हैं। लेकिन कोटा एयरपोर्ट के लिए राज्य सरकार ने न केवल एक दिन में निर्णय लिया बल्कि करोड़ों रुपए की भूमि मुफ्त में दे दी। भूमि मुफ्त में दिलवाने में शांति धारीवाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। ओम बिरला और धारीवाल में भले ही राजनीतिक मतभेद हो लेकिन कोटा के विकास के मुद्दे पर दोनों राजनेता एक हैं। राजनेताओं के ऐसे तालमेल की प्रशंसा की जानी चाहिए। लेकिन इसके विपरीत अजमेर में राजनेताओं के बीच तालमेल के अभाव का ही नतीजा है कि भीषण गर्मी में भी तीन और चार दिन में मात्र एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई हो रही है। जिस बीसलपुर बांध से जयपुर को पानी मिलता है, उसी बांध से अजमेर तक पानी पहुंचता है। लेकिन जयपुर में पेयजल की रोजाना सप्लाई होती है। अजमेर में तीन और चार दिन में सप्लाई होने का मतलब है कि यहां के राजनेता ढीले और कमजोर हैं। यह तब है जब दो हजार करोड़ रुपए की लागत से अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा हळै। जो अफसरशाही अजमेर को स्मार्ट बनाने में लगी हुई है उसे पानी की त्राहि त्राहि पर थोड़ी तो शर्म आनी चाहिए। एक तरफ मल मूत्र के कुंड आनासागर में म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ अजमेर के लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरस रहे हें। स्मार्ट सिटी के इंजीनियर आना सागर के चारों तरफ पाथवे और बाग बगीचों का निर्माण कर सुंदर बनाने का काम कर रहे है तो आनासागर में अभी गंदे नालों का पानी गिर रहा है। अजमेर की वर्षों से यही कहानी चली आ रही है। भाजपा और कांग्रेस के नेता अपनी अपनी ढपली बजाने में लगे हुए हैं। कोई भी नेता शांति धारीवाल और ओम बिरला के तालमेल से सीख नहीं लेना चाहता। अधिकारी और इंजीनियर आते हैं तथा अपने निर्णय थोप कर चले जाते हैं।