सूचना नहीं देने से दरगाह कमेटी के प्रस्ताव को केंद्रीय सूचना आयोग ने अवैध बताते हुए खारिज किया।

सूचना नहीं देने से दरगाह कमेटी के प्रस्ताव को केंद्रीय सूचना आयोग ने अवैध बताते हुए खारिज किया।
अब सभी आवेदकों को दरगाह कमेटी को मांग के अनुरूप सूचनाएं देनी होगी।
==========
केन्द्रीय सूचना आयोग ने अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह की प्रबंध कमेटी के उस प्रस्ताव को अवैध मानते हुए खारिज कर दिया है, जिसमें सूचना के अधिकार अधिनियम कानून के अंतर्गत सात व्यक्तियों को सूचना नहीं देने का निर्णय लिया था। आयोग ने अजमेर निवासी काजी मुनव्वर अली ने द्वितीय अपील दायर कर बताया कि दरगाह कमेटी के लोक सूचना अधिकारी और नाजिम के निर्णय के बाद भी दरगाह कमेटी के कामकाज से जुड़ी सूचनाएं नहीं दी जा रही है। काजी की इस अपील के जवाब में दरगाह कमेटी की ओर से कहा गया कि कुछ लोग सूचनाएं मांग कर बेवजह परेशानी खड़ी करते हैं, इसलिए दरगाह कमेटी ने अपनी 31 जनवरी 2020 की बैठक में एक प्रस्ताव पास कर सात व्यक्तियों सूचनाएं नहीं देने का निर्णय लिया है। इन सात व्यक्तियों में काजी मुनव्वर अली भी शामिल हैं। दरगाह कमेटी के इस जवाब पर केंद्रीय सूचना आयोग ने सख्त नाराजगी प्रकट की। आयोग की आयुक्त अमिता पांडव ने अपने 19 जुलाई 2021 के आदेश में लिखा है कि दरगाह कमेटी को सूचना नहीं देने का प्रस्ताव पास करने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। यह प्रस्ताव सूचना के अधिनियम कानून की भावनाओं के विपरीत है। यह प्रस्ताव सूचनाओं को छुपाने वाला है। आयुक्त ने दरगाह कमेटी के प्रस्ताव को अवैध मानते हुए खारिज किया और निर्देश दिए कि अपीलकर्ता काजी मुनव्वर अली को सभी वांछित सूचनाएं उपलब्ध करवाई जाए और इस संबंध में एक रिपोर्ट आयोग को भी भिजवाई जाए। यहां यह उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब की दरगाह की प्रबंध कमेटी केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय के अधीन काम करती है। इसलिए कमेटी पर सूचना का अधिकार कानून विधिवत तौर से लागू होता है। लेकिन कमेटी ने सरकार के कानून और नियमों के विपरीत जाकर सोचनाएं नहीं देने का प्रस्ताव पास कर लिया। इस प्रस्ताव की आड़ में ही पिछले एक वर्ष से दरगाह कमेटी सूचना के अधिकार अधिनियम में आवेदकों को सूचनाएं नहीं दे रही है। लेकिन केंद्रीय सूचना आयोग के निर्णय के बाद कमेटी को सभी आवेदकों को वांछित सूचनाएं देनी पड़ेगी।
सूचना नहीं देने से दरगाह कमेटी के प्रस्ताव को केंद्रीय सूचना आयोग ने अवैध बताते हुए खारिज किया।