राजस्थान की 78 पंचायत समितियों के 1 हजार 564 वार्डों में सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुकाबले भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा ज्यादा।

राजस्थान की 78 पंचायत समितियों के 1 हजार 564 वार्डों में सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुकाबले भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत का आंकड़ा ज्यादा।
घोषित 1008 वार्डों के परिणामों में कांग्रेस को 417, भाजपा व निर्दलीयों को 591 वार्डों में जीत मिली। शेष वार्डों और जिला परिषद के 200 वार्डों में ऐसे ही नतीजे।
हनुमान बेनीवाल की बोतल और निर्दलीयों का झुकाव कांग्रेस की ओर, इसलिए कांग्रेस के प्रधान ज्यादा बनेगे।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के निर्वाचन क्षेत्र आमेर की पंचायत समिति में बराबर का मुकाबला। 23 वार्डों में से 11-11 पर भाजपा-कांग्रेस तथा एक वार्ड में निर्दलीय की जीत।
78 पंचायत समितियों पर 47 विधायक हैं, इनमें से 33 कांग्रेस तथा 7 कांग्रेस को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक हैं। भाजपा के सिर्फ 7 विधायक हैं, लेकिन सभी 6 जिलों में भाजपा के सांसद हैं।
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4 सितम्बर को 6 जिलों की 78 पंचायत समितियों के 1 हजार 564 वार्डों के चुनाव की मतगणना हुई। दोपहर दो बजे तक 1 हजार 8 वार्डों के चुनाव परिणाम जारी किए गए। इनमें से 417 वार्डों में कांग्रेस जबकि 591 वार्डों में भाजपा के प्रत्याशी विजय रहे। जबकि शेष वार्डों में निर्दलीय और आरएलपी के उम्मीदवार विजय रहे हैं। निर्दलीय और भाजपा के उम्मीदवारों की संख्या कांग्रेस के विजय उम्मीदवारों से ज्यादा है। शेष पंचायत समिति के वार्डों और जिला परिषद के 200 वार्डों के नतीजे भी इसी तरह सामने आ रहे हैं। कांग्रेस इस बात से खुश है कि उसे भाजपा से ज्यादा वार्डों में जीत मिल रही है। लेकिन यदि भाजपा और निर्दलीय विजयी उम्मीदवारों की संख्या जोड़ी जाए तो कांग्रेस की ज्यादा वार्डों में हार हुई है। लेकिन अब हनुमान बेनीवाल की आरएलपी (चुनाव चिन्ह बोतल) और निर्दलीय सदस्यों की मदद से कांग्रेस के प्रधान ज्यादा बनेंगे। हालांकि अभी बेनीवाल कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है। लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से बेनीवाल की कांग्रेस से निकटता बढ़ी है, उससे प्रतीत होता है कि आरएलपी के विजय सदस्य कांग्रेस का प्रधान बनवाने में सहयोग करेंगे। इसी प्रकार निर्दलीय सदस्यों का झुकाव भी कांग्रेस की ओर ही देखा जा रहा है। जिन 78 पंचायत समितियों में चुनाव हुए उन पर 47 विधायक हैं। इनमें से 33 कांग्रेस के हैं, जबकि 7 निर्दलीय विधायक कांग्रेस को समर्थन देने वाले हैं। इन 47 विधायकों में से भाजपा के सिर्फ 7 विधायक हैं। लेकिन सभी 6 जिलों में भाजपा के सांसद हैं। जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को केंद्र में मंत्री भी हैं। जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है। लेकिन जोधपुर में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। 21 पंचायत समितियों में से सिर्फ 7 पर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिला है, चार में भाजपा प्रधान बनाने की स्थिति में है, शेष पंचायत समिति में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है।
आमेर में बराबर का मुकाबला:
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के निर्वाचन क्षेत्र की आमेर पंचायत समिति में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। 23 वार्डों में से 11 में कांग्रेस और 11 में भाजपा को जीत मिली है, एक वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है। ऐसे में अब निर्दलीय प्रत्याशी के समर्थन से प्रधान बनेगा। आमेर में भाजपा के उम्मीदवारों का मुकाबला कांग्रेस से तो था ही साथ ही राजनीतिक कारणों से भाजपा उम्मीदवारों को कई वार्डों में अपने ही लोगों से संघर्ष करना पड़ रहा था। कई वार्डाे में निर्दलीय उम्मीदवारों ने भाजपा के समीकरण बिगाड़ दिए।