Kota: कोटा में हर साल लाखों पौधा रोपण, लेकिन घट रही हरियाली
Kota: कोटा में हर साल लाखों पौधा रोपण, लेकिन घट रही हरियाली

Kota: कोटा में हर साल लाखों पौधा रोपण, लेकिन घट रही हरियाली

कोटा में हर साल लाखों पौधा रोपण, लेकिन घट रही हरियाली

कोटा। कोटा में हर साल लाखों पौधे रौंपे जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी हरियाली में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं देखी जा रही, बल्की कम ही हो रही है। इसका मुख्य कारण लगाए गए पौधों की उचित देखभाल नहीं होना और पुराने पेड़ों में संरक्षण को कमी माना जा सकता है। इसके अलावा वन क्षेत्र में लगातार जारी अवैध कटाई, खनन और अतिक्रमण भी इसका मुख्य कारण हैं। राजस्थान में वन भूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण कोटा संभाग में ही होने की जानकारी है। पिछली सरकार ने विधानसभा में पूछे एक प्रश्न के जवाब में बताया था कि पूरे राजस्थान में वन क्षेत्र में अतिक्रमण के 25 हजार 908 मामले हैं। इनमें से करीब 30 प्रतिशत मामले कोटा संभाग के हैं। इसमें से सर्वाधिक बारां जिले में 3 हजार 966, कोटा में 2 हजार 499, बूंदी में 16 व झालावाड़ में एक हजार 261 मामले दर्ज हैं।
33 प्रतिशत हरियाली जरुरी
वन विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक शहर में कम से कम 33 प्रतिशत हरियाली को प्रर्याप्त माना जा सकता है। लेकिन कोटा में मात्र 24 प्रतिशत हरियाली क्षेत्र है। यानि करीब 11 प्रतिशत कम। जब कि कोटा का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 5 हजार 217 वर्ग किलोमीटर है। शहर की सेटेलाइट इमेज में भी यही तस्वीर नजर आती है। देहरादून स्थित भारतीय सर्वेक्षण द्वारा करीब दो साल पहले जारी इस इस सेटेलाइट इमेज में कोटा में काफी कम हरियाली नजर आ रही है। 2017 में शहर में में करीब 29 प्रतिशत हरियाली थी, जो दो साल पहले घटकर 24.90 रह गई। कोटा के अलावा पूरे राजस्थान में हरियाली में कमी देखी जा रही है। प्रदेश में 10 प्रतिशत भी हरियालीं नहीं बची है।
कोटा आठवें स्थान पर
वन विभाग के आंकडों के अनुसार हरियाली में कोटा जिला आठवें स्थान पर है। यहां मात्र 1336 वर्ग किलोमीटर में हरियाली है, जबकि सबसे ज्यादा झालावाड़ में 3903, बारां में 2248, प्रतापगढ़ में 1925, धौलपुर में 1810, अलवर में 1784, चित्तौडग़ढ़ में 1772 और सिरोही में करीब 1642 वर्ग किमीटर क्षेत्र हरा भरा है।
सिटी पार्क से सुधरे हालात
हालांकि सिटी पार्क के चलते हालातों में पहले से सुधार बताया है। करीब 34 लाख 44 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस पार्क में 200 से अधिक प्रजाति के लाखों पेड़-पौधे लगे हुए हैं। इससे इस पार्क का करीब 80 प्रतिशत क्षेत्र हरियाली से आच्छांदित नजर आता है।
इसके अलावा कोटा में गणेश, उद्यान, चंबल गार्डन और सीवी गार्डन आदि पार्कों में ही हरियाली नजर आती है।
हालात चिंताजनक
मामले में पर्यावरण विशेषज्ञ डॉक्टर कृष्णेंद्रसिंह नामा ने कहा कि शहर में पहले की अपेक्षा हरियाली में गिरावट आई। इसका मुख्य कारण विभिन्न कारणों से लगातार वनों और पेड़ों का कम होना तथा लगाए गए पौधों की उचित देखभाल नहीं होना है। वास्तविक हरियाली की जगह मुकंदरा आदि जगह जगह उगे बिना काम के पौधे, खास, खरपतवार और विलायती बबूल ज्यादा नजर आते हैं। जब कि वास्तविक हरियाली के लिए हमें देशी पेड़-पौधों को बढ़ावा देना होगा और इनके संरक्षण के प्रयास करने होंगे। तभी शहर को फिर से हरा भरा बनाया जा सकता है।