जनशताब्दी में 108 सीटें बिकना हुई बंद, होने लगा आरक्षण, लगा 60 लाख का चूना
कोटा। न्यूज़. कोटा निजामुद्दीन जनशताब्दी एक्सप्रेस (02059-60) में 108 सीटें बिकना बंद हो गई हैं। इन सीटों पर सोमवार से आरक्षण होने लगा गया है। सीटें बिकने रेलवे को पिछले 6 महीने में करीब 60 लाख का चूना लगा है। हालांकि मामले में अभी तक किसी को दोषी होने की बात सामने नहीं आई है।
उल्लेखनीय है कि जनशताब्दी ट्रेन में करीब 6 महीने पहले 4 नए कोच लगाए गए थे। इन कोचों में 102 की जगह 120 सीटें थीं। इस तरह 4 कोचों में कुल 54 सीटें ज्यादा थीं। लेकिन यह कंप्यूटर में फीड नहीं होने के कारण रेलवे द्वारा 102 सीटों पर ही आरक्षण किया जा रहा था। इस तरह ट्रेन के आने-जाने में रोजाना 108 सीटें खाली चल रही थीं।
बेची जा रही थीं सीटें
मौके का फायदा उठाकर दलालों के माध्यम से जिम्मेदार द्वारा इन सीटों को बेचा जा रहा था। रेलवे बोर्ड विजिलेंस की दो बार और एक बार मजिस्ट्रेट की कार्रवाई से यह बात साबित भी हो चुकी है। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में बिना टिकट यात्री पकड़े गए थे और टीटीइयों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया था।
खबर का असर
उल्लेखनीय है कि समाचारों के माध्यम से 20 दिन पहले इस मामले का खुलासा किया गया था। इसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने रेलवे सूचना प्रणाली (क्रिश) को मामले से अवगत कराने की औपचारिकता निभाई थी।
इसके बाद मामला ऊपर पहुंचने पर दो दिन पहले रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने भी कोटा में कार्रवाई की थी। इस दौरान विजिलेंस में आरक्षण कार्यालय और टिकट निरीक्षक ऑफिसों के रिकॉर्ड खंगाले थे। साथ ही सुपरवाइजरों के बयान भी दर्ज किए थे।
रेलवे को लगा 60 लाख का चूना
सूत्रों ने बताया कि इस मामले में रेलवे को अब तक करीब 60 लाख रुपए का चूना लग चुका है।
सूत्रों ने बताया कि कोटा से दिल्ली तक एक सीट का किराया करीब 400 रुपए है। कई लोगों के रास्ते उतर जाने के कारण एक सीट का औसत किराया करीब 300 रुपए होता है। इस तरह 108 सीट का यह किराया रोजाना करीब 32 हजार 400 रुपए होता है। इस तरह एक महीने का यह किराया करीब 9 लाख 32 हजार रुपए होता है। इस तरह पिछले 6 महीने का यह किराया करीब 58 लाख 32 रुपए बैठता है। सूत्रों ने बताया कि यह एक मोटा अनुमान है। अगर मामले की गहराई से जांच की जाए तो यह रकम 60 लाख रुपए से अधिक निकलेगी।
जानबूझकर लगाया चूना
सूत्रों ने बताया कि ऐसा भी नहीं है कि यह चूना अनजाने में लगा हो। जिम्मेदारों द्वारा जानबूझकर यह चूना रेलवे को लगाया जा रहा था।
सूत्रों ने बताया कि कोच में सीटें बढ़ने की जानकारी टीटीई को पहले दिन से ही थी। टीटीई द्वारा इसकी जानकारी सुपरवाइजरों दी गई थी। सुपरवाइजरों द्वारा मामले से अधिकारियों को अवगत कराया गया था। पिछले दिनों भरतपुर से लौटते समय भी अधिकारियों को इस मामले की जानकारी फिर से दी गई थी। लेकिन अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेना जरूरी नहीं समझा। नतीजतन जनशताब्दी की सीटें लगातार बिकती रहीं।
सूत्रों ने बताया कि हालांकि एक-दूसरे को सूचना देने का यह काम मौखिक रूप में ही हुआ। इसका फायदा उठाकर अपने आप को पाक साफ बताने में जुटे अधिकारी ऐसी कोई जानकारी होने से ही साफ मना कर रहे हैं। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि रेलवे बोर्ड विजिलेंस मामले में इसके लिए किसको जिम्मेदार ठहराती है।