घायल को अस्पताल पहुंचाओं, पुरस्कार मिलेगा
सरकार की पहल:गंगापुर सिटी में हर साल 150 से अधिक लोग होते है हादसे में घायल-गंगापुर सिटी
सड़क हादसों में घायल की मदद की ओर उसकी जान बचा पाए तो आपको सरकार 5 हजार रुपए का इनमा भी देगी। यह अभिनव पहल राजस्थान सरकार ने इसी बजट से शुरु की है। सीएम अशोक गहलोत ने पेश किए बजट में घोषणा की। हालांकि, इस योजना का लाभ लेने के लिए कुछ शर्त सरकार ने रखाी है। पुलिस के आंकड़े बताते है कि गंगापुर सिटी उपखण्ड क्षेत्र में हर साल 150 से ज्यादा लोग सड़क हादसों में घायल होते है। वही दूसरी ओर हादसों में 10 से 12 लोगों की मौतें भी होती है। यह आंकड़ा उपखंड स्तर पर छोटा हो सकता है। लेकिन जिले में बड़ी संख्या में हादसों में हर साल लोग जान गवां देते है।बड़ा कारण यह है कि जब हादसा होता है तो घायलों को तुरंत मदद नहीं मिल पाती।
घायलों को प्राथमिके उपचार में देरी से मिलता है। घायलों में मरने वालों की संख्या तो बढ़ती ही है। साथ ही गंभीर घायलों के अंगभंग होने तक की नौबत आ जाती है।
पुलिस नहीं करेगी सहयोग करने वालों को परेशान सामान्यतया लोगों में धारणा बनी हुइ है कि घायलों को अस्पताल पहुंचाने पर पुलिस परेशान करेगी तथा तथा अस्पताल में भी कई तरह के सवालों के जबाबव देनें पड़ेंगे। लेकिन यह सच नही ंहै। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में स्पष्ट व्याख्या की है कि सड़क हादसों में घालयों की मददकरने वालों से पुलिस पूछताछ नहीं करेंगी। दूसरा हादसों में घायलों को नजदीक के किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में भर्ती करवाया जा सकेगा। निजी अस्पताल में इलाज के लिए कोई पैसा की मांग नहीं करेगा। अगर निजी अस्पताल प्रबंधन इलाज में देरी करता है। इस दौरान घायल की जान चली जाती है अथवा अंगभंग की स्थिति बनती है तो अस्पताल प्रबंधन पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा। प्रशासन की ओर से इस संबंध में प्रचार प्रसार की कमी व अन्य कारणों से बहुत से लोग इस बात से अनभिज्ञ है। सीएम अशोक गहलोत ने घायलों की मदद करने वालों को पांच हजार रुपए के पुरस्कार की घोषणा भी कर दी है।
शुरु के आधा घंटा है महत्वपूर्ण :
सामान्य चिकित्सालय के फिजिशन डॉ.आर.सी.मीना का कहना है कि सड़क हादसे में घायल के लिए शुरुआती आधा घंटा बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि में मदद मिल जाए तो 90 फीसदी चांस होते है कि मरीज को बचाया जा सकेगा। हालांकि वर्तमान में सामान्य चिकित्सालय पर चिकित्सा व्यवस्था ऐसी है कि घायल को आधे या एक घटे में हायर स्पेशिलिटी सेंटर पहुंचाया जा सकता है। लेकिन उपखंड स्तर पर ऐसी सुविधा नहीं है। हादसे के बाद तत्काल उपचार मिलने की स्थिति में कई लोगों की जान बची है। वहीं अस्पताल पहुंचने में देरी होने से गंभीर घायलों की जान जा भी सकती है। ऐसे में सबसे पहले अविलंब घायल को अस्पताल पहुंचाएं।