जिले में चिकित्सा विभाग में फैली अव्यवस्थाऐं मरीजों की जिंदगी पर भारी
सवाई माधोपुर 11 मई। जिले में लगातार जहाँ कोविड-19 कोरोना महामारी के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। वहीं जिले के सबसे बड़े अस्पताल सामान्य चिकित्सालय सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों में फैल रही अव्यवस्थाऐं मरीजों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है।
जहाँ जिला प्रशासन द्वारा हर रोज माॅनिटरिंग एवं सामान्य चिकित्सालय की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने की बात कही जाती है। वहीं सामान्य चिकित्सालय की व्यवस्थाओं में कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।
सामान्य चिकित्सालय में समय पर चिकित्सकों के नहीं मिलने से मरीजों की लम्बी लाईन लगी नजर आती है। वहीं इस दौरान सोशल डिस्टिेंसिंग की पालना के बारे में सोचना भी बेमानी लगता है। यह हाल केवल दिखाने आने वाले मरीजों का ही नहीं बल्की वार्ड में भर्ती मरीजों के बीच भी इसी तरह की अव्यवस्थाऐं देखी जा रही है जहाँ एक बेड पर दो मरीज भी देखे जा सकते हैं।
गंभीर अवस्था में जिले के किसी भी चिकित्सालय से सामान्य चिकित्सालय पहुंचने वाले मरीज को एम्बुलेंस से उतार कर भर्ती कराने के लिए कोई कर्मचारी नजर नहीं आता। मरीज के परिजन ही स्ट्रेचर ढूंढते तथा बाद में मरीज को लेकर घुमते नजर आते हैं। इस दौरान कई बार अधिक समय लग जाने से मरीजों की जान पर बन आती है।
अस्पताल में भर्ती कुछ कोरोना मरीजों के परिजनों ने बताया कि उनके परिजन को आॅक्सीजन भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
इसके साथ ही गर्मी के मौसम में लगातार बढ़ते तापमान में वार्डों में मरीजों ओर उनके परिजनों का गर्मी से बुरा हाल नजर आया। लोगों ने बताया कि वार्ड में एसी है मगर चलते नहीं है।
कुछ लोगों ने बताया कि चिकित्सालय की अव्यवस्थाओं के कारण लगता है कि मरीज को यहाँ लाकर गलती कर दी।
बहरहाल जिले के गरीब मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बीमारी में सामान्य चिकित्सालय ही सहारा दिखाई देता है। लेकिन चिकित्सालय की अव्यवस्थाऐं उनके लिए परेशानी का सबब बन रही है। जिसकी बानगी यहाँ प्रतिदिन अपनी जान देने वाले लोगों की संख्या देख कर लगायी जा सकती है।
इसी तरह से जिले में भी कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या को लेकर लोगों में चिकित्सा विभाग के प्रति काफी आक्रोष नजर आता है। जिला प्रषासन खासतौर पर जिला कलेक्टर दिन रात कोविड-19 को लेकर खुद तो गंभीर नजर आते हैं। सरकारी मीडिया के जरिये दिनरात की जा रही मेहनत को आमजन तक पहुंचाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
लेकिन ऐसा लगता है कि प्रषासन एवं चिकित्सा विभाग में आला अधिकारी जिला कलेक्टर को आंकड़ों के जाल में उलझाकर वास्तविकता से अंधेरे में रख रहे हैं। इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व में कोरोना की प्रथम लहर के दौरान सवाई माधोपुर जिला अन्य जिलों के मुकाबले काफी सुकुनभरा रहा। कोरोना संक्रमितों की रिकवरी रेट भी राजस्थान में सबसे अच्छी थी। लेकिन दूसरी इस लहर में सवाई माधोपुर जिले में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या, मौत का आंकड़ा साथ ही जिले की रिकवरी रेट जो राजस्थान में सबसे कम बताई जा रही है से प्रषासन की खासतौर पर चिकित्सा विभाग की लापरवाही को दर्षाता है।