तरल पदार्थों की चिपचिपाहट और लोच में सामंजस्य लाने से खाद्य उद्योगों में प्रवाहन और प्रसंस्करण को और अधिक कुशल बनाया जा सकता है

वैज्ञानिकों ने खाद्य और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों के उद्योगों में प्रयुक्त सामग्री के प्रसंस्करण के दौरान तरल पदार्थ की चिपचिपाहट और लोचनी  में सामंजस्य स्थापित करके  करके चॉकलेट, लोशन,  चटनी (सॉस)  जैसे तरल पदार्थों के प्रवाह  में सुधार करने के लिए एक नई विधि खोजी है।

आमतौर पर पाइप लाइनों के माध्यम से तरल पदार्थों को प्रवाहित करते समय की प्रक्रिया में कम चिपचिपे द्रव द्वारा अधिक चिपचिपे द्रव का विस्थापन करना शामिल होता है। इससे  तरल पदार्थों के बीच सम्मिश्रण  में अस्थिरता पैदा होती  है जो एक पदार्थ द्वारा दूसरे में मिश्रित होने  के जटिल पैटर्न की दिशा में अग्रसर हो जाता है। ऐसा होने पर तरल पदार्थों के आगे प्रवाहित होने के दौरान अशुद्धियाँ शुरू हो जाती हैं। इसलिए प्रसंस्करण के दौरान तरल पदार्थों के सुचारू प्रवाह  को सुनिश्चित करने के लिए इन अस्थिरताओं को दूर करने की आवश्यकता है ।

 

 

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान, रमन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह  पाया है कि विस्थापित करने वाले द्रव की चिपचिपाहट और विस्थापित होने वाले द्रव की सांद्रता पर निर्भर लोच में परिवर्तन करने से ऐसी  अस्थिरता को कम किया जा सकता है और परस्पर सम्पर्क के दौरान सम्मिश्रित होने की स्थूलता (रफ्नेस)  और विस्थापन की क्षमता  को नियंत्रित किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें :   सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री ने की पीडित परिवार से बातचीत

 

इस अध्ययन में  विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विज्ञान और इंजीनियरी विकास बोर्ड (एसईआरबी)  भारत और रमन अनुसंधान केंद्र (रिसर्च इंस्टीट्यूट)  द्वारा संयुक्त रूप से वित्त पोषित  शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोग में मकई  से प्राप्त स्टार्च  के जलीय निलंबन  (अर्थात एक गैर-न्यूटोनियन विस्कोलेस्टिक तरल पदार्थ)  और ग्लिसरॉल- एवं पानी  के मिश्रण (एक न्यूटनियन तरल पदार्थ) का उपयोग किया । प्रयोगों के पहले भाग  में, ग्लिसरॉल पानी के मिश्रण की चिपचिपाहट को बदलकर दो तरल पदार्थों (विस्थापित करने वाले द्रव  अर्थात  ग्लिसरॉल-पानी के मिश्र और विस्थापित  होने वाले  द्रव अर्थात  और मकई (कॉर्न)  स्टार्च  के निलंबन द्रव) के बीच चिपचिपाहट के अनुपात को बदल दिया गया था। इस मामले में मकई स्टार्च निलंबन की चिपचिपाहट स्थिर थी जबकि ग्लिसरॉल और पानी के मिश्रण की चिपचिपाहट ग्लिसरॉल-पानी के मिश्रण में ग्लिसरॉल के अनुपात को बदलकर भिन्न  हो गई थी। प्रयोगों के दूसरे भाग जिसमे  मकई स्टार्च निलंबन की लोच के प्रभाव की जांच की जाती है, चिपचिपेपन के अनुपात को स्थिर रखा गया था। मकई स्टार्च निलंबन की लोच को बदल दिया गया जिससे इसकी सांद्रता बदल गई, जबकि ग्लिसरॉल-पानी के मिश्रण की विभिन्न सांद्रता को चुनकर तरल पदार्थों के बीच चिपचिपाहट अनुपात को स्थिर रखा गया। यह शोध जर्नल ‘कोलाइड्स एंड सर्फेस ए’ में प्रकाशित हुआ है ।

यह भी पढ़ें :   विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के आयोजन हेतु उच्च स्तरीय एक समिति का गठन – उच्च शिक्षा मंत्री 

 

इन अस्थिरताओं पर दवाब  डालने  से अधिक चिपचिपे/ विस्कोलेटिक  तरल पदार्थ का कुशलता से  विस्थापन होता है और जो खाद्य प्रसंस्करण, तेल निकालने  एवं  चीनी का  शोधन करने  जैसे उद्योगों में सामग्री को प्रवाहित करने में उपयोगी होता है। इस अध्ययन से  दो तरल पदार्थों के बीच परस्पर सम्मिश्रण (इंटरफेस) में आने वाली अस्थिरता को समझने में भी सहायता  मिल  सकती है और  यह  धातुओं के निस्यन्दन (फिल्ट्रेशन) और इलेक्ट्रोडपोजिशन जैसी प्रक्रियाओं के डिजाइन और वृद्धि में आवश्यक है साथ ही यह चीनी और चॉकलेट जैसे दो चरणों के   मिश्रण और  विलगन (डीमिक्सिंग)  के बाद चॉकलेट की बनावट और  स्वाद को  भी प्रभावित कर सकता है।

 

प्रकाशन लिंक: https://doi.org/10.1016/j.colsurfa.2021.127405

 

लेखक: पालका, राहुल सत्यनाथब, श्रीराम के. कल्पथिब, रंजिनी बंद्योपाध्याय

 

 

*******

एमजी/एएम/एसटी/सीएस