राजस्थान में बिजली निगमों का 'उल्टा गणित', फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बड़ा 'खेल'!

राजस्थान में बिजली निगमों का 'उल्टा गणित', फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बड़ा 'खेल'!

जयपुर, 22 अप्रैल: राजस्थान के बिजली निगमों में एक अजीबोगरीब वित्तीय घालमेल सामने आया है। फ्यूल सरचार्ज (ईंधन अधिभार) के नाम पर उपभोक्ताओं से पहले अधिक वसूली गई 2663 करोड़ रुपये की राशि को वापस करना था, लेकिन निगमों ने इसके उलट 3168 करोड़ रुपये की और वसूली निकाल दी है। चौंकाने वाली बात यह है कि निगम ने हाल ही में उस बकाया राशि को निकाला है, जिसका हिसाब पहले ही राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (आरइआरसी) स्वीकृत कर चुका है।

दरअसल, वित्तीय वर्ष 2022-23 के चौथे और 2023-24 के पहले क्वार्टर में जो फ्यूल सरचार्ज लगाया गया था, वह बिजली वर्ष 2022-23 के तीसरे और चौथे क्वार्टर में खरीदी गई थी। आरइआरसी ने वर्ष 2022-23 के तीनों डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियां) का हिसाब पहले ही मंजूर कर लिया था। इसका स्पष्ट उल्लेख 26 जुलाई 2024 के टैरिफ आदेश में किया गया है। इस आदेश में वर्ष 2022-23 के तहत 4 हजार 574 करोड़ रुपये का घाटा भी दर्शाया गया था, जिस पर आयोग ने अपनी सहमति भी दे दी थी। ऐसे में, वर्ष 2022-23 की कोई भी पुरानी राशि अब उपभोक्ताओं से वसूली योग्य नहीं रह जाती है।

क्यों रिफंड होनी चाहिए राशि?

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदेश में फ्यूल सरचार्ज के नाम पर उपभोक्ताओं से 57 पैसे प्रति यूनिट की वसूली की जा रही थी, और यह वसूली अप्रैल के बिजली बिलों में भी जारी रही। जबकि वास्तविक बेस फ्यूल सरचार्ज की दर इससे काफी कम बन रही थी। इस स्थिति में उपभोक्ताओं को पहले से वसूली गई अतिरिक्त राशि वापस की जानी चाहिए।

हाल ही में, डिस्कॉम ने फ्यूल सरचार्ज की दर को घटाकर 28 पैसे प्रति यूनिट करने का आदेश जारी किया है। लेकिन, यदि पुरानी अधिक वसूली गई राशि का समायोजन किया जाता है, तो यह 28 पैसे प्रति यूनिट की वर्तमान वसूली भी न्यायसंगत नहीं ठहरती है।

डिस्कॉम का नया आदेश और उसकी खामियां:

अगस्त 2023 से डिस्कॉम बेस फ्यूल सरचार्ज लगा रहा है, जिसे तिमाही गणना के आधार पर बेस फ्यूल सरचार्ज से समायोजित किया जा रहा है। वर्तमान में, बिजली उपभोक्ताओं से बेस फ्यूल सरचार्ज के रूप में 57 पैसे प्रति यूनिट लिया जा रहा है। हालांकि, पिछले तीन क्वार्टरों में वास्तविक गणना इससे काफी कम रही है, जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं से अतिरिक्त राशि वसूली गई है।

नए आदेश में कुछ महत्वपूर्ण खामियां भी उजागर हुई हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहले क्वार्टर में वसूली राशि को शून्य दर्शाया गया है, जो कि गलत है। इसके अतिरिक्त, नए आदेश में वर्ष 2024-25 के चौथे क्वार्टर का कोई विवरण नहीं दिया गया है।

यह फ्यूल सरचार्ज वसूलना बताया:

  • 2022-23 के चौथे क्वार्टर का: 2235 करोड़ रुपये
  • 2022-24 के पहले क्वार्टर का: 1779 करोड़ रुपये
  • कुल वसूली: 3168 करोड़ रुपये

ऊर्जा सलाहकार ने उठाए सवाल:

पूर्व एसई और ऊर्जा सलाहकार इंजी. वाई.के. बोलिया ने इस समायोजन को लेकर डिस्कॉम्स चेयरमैन को अवगत कराया है। उन्होंने बताया कि इस मामले को पहले भी दो बार उनके संज्ञान में लाया जा चुका है। जयपुर डिस्कॉम ने समायोजन करने के बजाय 3168 करोड़ रुपये बकाया बताया है, जबकि आदेश के साथ फ्यूल सरचार्ज की गणना भी दी गई है। उनका कहना है कि सरचार्ज की अधिक वसूल की गई राशि का समायोजन अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

बिजली निगमों का यह 'उल्टा गणित' उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि उन्हें पहले से ही महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। अब देखना यह है कि नियामक आयोग इस पूरे मामले पर क्या रुख अख्तियार करता है और उपभोक्ताओं को उनकी हक की राशि कब तक वापस मिलती है।

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