भरतपुर: भरतपुर जिले के वैर क्षेत्र के भौड़ा गांव में चल रहे चारागाह भूमि को बचाने के लिए जारी धरने ने नया मोड़ ले लिया है। धरना स्थल पर मौजूद ग्रामीणों का आरोप है कि वैर और हलेना पुलिस द्वारा आंदोलनरत ग्रामीणों को झूठे मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा जा रहा है। इसी के विरोध में ग्रामीणों ने एक अहम निर्णय लिया है।
क्या है मामला?
भौड़ा गांव के ग्रामीण लंबे समय से चारागाह भूमि पर अवैध कब्जे और खनन के विरोध में धरना दे रहे हैं। उनका आरोप है कि पुलिस प्रशासन उनकी मांगों को अनसुना कर रहा है और उल्टे उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है।
ग्रामीणों का रोष:
इस पुलिसिया कार्रवाई से आक्रोशित ग्रामीणों ने एकजुट होकर मकर संक्रांति का त्यौहार नहीं मनाने का फैसला किया है। भौंडा, जगजीवनपुर, रायपुर, सीता, नावर, हथौड़ी, जहाज खेरोरा, लखनपुर, नरहरपुर सहित 11 गांवों के लोगों ने यह निर्णय लिया है। इन गांवों में मकर संक्रांति को पुलिस कार्यवाही के विरोध में रोष दिवस के रूप में मनाया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जेल में बंद किए गए उनके साथी रिहा नहीं हो जाते, तब तक वे कोई त्योहार नहीं मनाएंगे।
क्या मांग रहे हैं ग्रामीण?
ग्रामीणों की मांग है कि चारागाह भूमि पर अवैध कब्जा हटाया जाए और खनन रोक दिया जाए। साथ ही, उन पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
प्रशासन का क्या कहना है?
फिलहाल प्रशासन की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला लोकतंत्र में जनता के अधिकारों और पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाता है। यह भी दिखाता है कि जब लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ते हैं तो उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
#भरतपुर #वैर #चारागाह #आंदोलन #पुलिस #मकरसंक्रांति
No comments yet. Be the first to comment!
Please Login to comment.
© G News Portal. All Rights Reserved.